Monday, June 1, 2015

छत्तीसगढ़ में में घातक हुईं अल्ट्रावायलेट किरणें, ओजोन भी पड़ रहा कमजोर

छत्तीसगढ़ में  में घातक हुईं अल्ट्रावायलेट किरणें, ओजोन भी पड़ रहा कमजोर




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चेहरे को ढककर इस तरह बचा जा सकता है फोटोः नईदुनियारायपुर(निप्र) राजधानी समेत प्रदेशभर में सूरज आग उगल रहा है इसके साथ ही आसमान से बरस रही खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणें (यूवी रेडिएशन) भी अब घातक हो चुकी हैं इसका स्तर सामान्य से दोगुना हो गया है छत्तीसगढ़ समेत आसपास के राज्यों में इसका स्तर १३ से १४ यूनिट तक पहुंच चुका है, जबकि ५ से ७ यूनिट को सामान्य माना जाता है ऐसे में कड़ी धूप में बाहर निकलने वालों की आंखों में जलन, मोतियाबिंद, स्किन कैंसर और त्वचा संबंधी अन्य बीमारियां होने का खतरा मंडरा रहा है हालांकि जमीन से ४५ किलोमीटर ऊपर ओजोन की परत सूरज की किरणों के साथ आने वाली यूवी रेडिएशन का बहुत सारा हिस्सा सोख लेती है, लेकिन जहां परत कमजोर होती है, वहां रेडिएशन का कहर बरप रहा है राजधानी के अम्बेडकर अस्पताल में एक हफ्ते के भीतर २३८ लू के मरीज आ चुके हैं पारा पिछले हफ्तों में लगातार ४५ डिग्री को छू रहा है। 

३० साल के बाद बदल गई स्थितिि
इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो छत्तीसगढ़ में सन १९८० तक गर्मी के दिनों में भी यूवी रेडिएशन का स्तर लगभग ९ से १० यूनिट तक पहुंचता था इसका स्तर १९८५ के बाद लगातार बढ़ रहा है इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में ही रेडिएशन का स्तर १२ यूनिट तक चला गया था मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव, कोरबा और जगदलपुर में इसका स्तर १३ से १४ यूनिट तक पहुंच गया है दुनियाभर के मौसम में बदलाव पर नजर रखने वाले अमेरिकन उपग्रहों की मदद से रोज मौसम के साथ अल्ट्रावायलेट किरणों का स्तर मापा जा रहा है सुबह ११ से शाम ४ बजे तक घर से बाहर निकलने से बचें यदि 
निकलना पड़े तो शरीर को ढंक लें, टोपी और चश्मा लगा लें, ताकि सूरज की रोशनी सीधे न पहुंचे, अच्छी अल्ट्रा वायलेट प्रोटेक्शन क्रीम लगाएं आंखों को पानी से धोते रहें,शरीर में पानी की कमी से भी परेशानी हो सकती है, इसलिए पानी लगाातर पीते रहें,
 औद्योगीकरण के कारण कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन बढ़ना, शहरीकरण, यातायात और निर्माण के नाम पर वनों का कटना , सड़कों में बढ़ते वाहन और कार्बन की लगातार मात्रा बढ़ना, कार्बन की मात्रा बढ़ने से वातावरण में महीन कण उत्सर्जित हो जाना, क्लोरोफ्लोरो कार्बन का ओजोन की परत को सीधे नुकसान पहुंचाना (विशेषज्ञों के मुताबिक )
आंख को भी खतराअल्ट्रावायलेट किरणों के लगातार संपर्क में आने से आंखों में मोतियाबिंद या पूर्ण अंधत्व भी हो सकता है किरणों की वजह से आंखों का लाल होना अथवा जलन की शिकायत बढ़ जाती है[-डॉ. दिनेश मिश्रा, नेत्र रोग विशेषज्ञ]
राज्य में पिछले सालों में यूवी किरणों की वजह से कैंसर का खतरा बढ़ा है यह ज्यादातर गोरे व्यक्तियों को ज्यादा प्रभावित करती है घर से बाहर निकलने से पहले सावधानी बरतना जरूरी है- डॉ. यूसूफ मेमन, कैंसर विशेषज्ञ
जमीन से करीब ४५ किलोमीटर ऊपर स्थित ओजोन लेयर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है अभी यूवी किरणों का स्तर १३ से १४ यूनिट के स्तर तक पूरे प्रदेश में पहुंच चुका है जहां लेयर कमजोर है, वहां ज्यादा कहर बरप रहा है,- डॉ.एएसआरएएस शास्त्री, कृषि मौसम वैज्ञानिक
यूवी किरणों का पूरा दारोमदार तो ओजोन परत पर ही है अभी तक ऐसा कोई रिसर्च छत्तीसगढ़ के स्तर पर नहीं हुआ है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि परत कितनी कमजोर हो रही है, लेकिन अभी धूप से बचना बहुत जरूरी है- डॉ. एमएल साहू, मौसम निदेशक ,

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