Sunday, June 7, 2015

जिंदल प्रबंधन ने २५४ कर्मचारियों को नौकरी से हटाने नोटिस

जिंदल प्रबंधन ने 

२५४ कर्मचारियों को नौकरी से हटाने नोटिस

तमनार के गारे पेलमा के ४/१ व २, ३ के २५४ लैंड लूजर्स को जिंदल प्रबंधन ने नौकरी से हटाने नोटिस दिया है प्रबंधन का कहना है कि जब उनके पास खदान ही नहीं हैं, तो इन लोगों को वेतन कहां से दें वहीं शासन की आर एंड आर पॉलिसी में भी इन परिस्थितियों का जिक्र नहीं है, ताकि प्रशासन यहां के लैंड लूजर्स को राहत दिला सके 

रायगढ़ (निप्र) गारे पेलमा ४/१ व २, ३ के २५४ ग्रामीण परेशान हैं, जिन्होंने खदान के लिए सरकार को अपनी जमीन दी थी और उसके बदले छत्तीसगढ़ शासन की आर एंड आर पालिसी के तहत उन्हें नौकरी मिली थी पहले ये खदान जिंदल उद्योग समूह के पास थी, लेकिन सरकार द्वारा ई-ऑक्शन के जरिए जब इन खदानों को जिंदल और बाल्को कंपनी ने लिया, तो सरकार ने इसे कर्टलाइजेशन करार देकर निरस्त कर दिया इसके बाद से दोनों कंपनियां कोर्ट चली गई है, मामला अभी कोर्ट में है लेकिन इसके शिकार अब वे विस्थापित हो रहे हैं, जिनकी जमीन तो गई, अब नौकरी भी जा रही है उनका कहना है कि क्या हमने खदान के लिए जमीन देकर गलती कर दी शासन की नीति में भी इन परिस्थितयों में उठाए जाने वाले कदमों का कोई जिक्र नहीं है वहीं कंपनी ने अपने इस कदम से जिला प्रशासन को भी पत्र लिखकर वाकिफ करा दिया है 


जिससे प्रशासन हलके में पेशोपेश की स्थिति बनी है बैठक का नहीं निकला नतीजासमस्या को लेकर जिला प्रशासन और संबंधित उद्योग के बीच बैठक हो चुकी है और समाधान तलाशने की कोशिश की गई पर समाधान नहीं निकला कंपनी का कहना है कि जब उक्त लैंड का हमें कोई फायदा नहीं मिल रहा है, तो हम लैंड लूजर्स को घर बिठाकर वेतन क्यों दें प्रशासन को कंपनी का यह पक्ष सही लग रहा है 

लेकिन सवाल यह है कि इन परिस्थितियों के लिए वे विस्थापित तो जिम्मेदार हैं नहीं, फिर इसकी सजा उन्हें क्यों दी जाए लैंड लूजर्स ही निशाने पर क्योंजन संगठनों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है उनका कहना है कि कंपनी यदि बिठाकर किसी को वेतन नहीं देना चाहती तो अपने सभी कर्मचारियों को नोटिस देकर निकाल दे सिर्फ स्थानीय भू-विस्थापितों को ही क्यों निकालना चाह रही है क्या इन परिस्थितियों के लिए भू-स्वामी जिम्मेदार हैं 

गारे के किसान मजदूर संघ व सामाजिक संगठन जनचेतना ने इसेकंपनी की हठधर्मिता बता रहा है उनका कहना है कि कं पनी को स्थानीय लोगों को हटाने से पहले विचार करना चाहिए एसईसीएल ने खड़े किए हाथ दोनों खदान का केयर टेकर सरकार ने एसईसीएल को बनाया है लेकिन केयर टेकर के बतौर एसईसीएल कुछ नहीं कर सकता ऐसे में इन भूूस्वामियों के पक्ष में भी यह नहीं खड़ी हो सकती यदि यह खदान एसईसीएल को मिलती है तो उसकी जिम्मेदारी बन सकती थी, लेकिन अभी उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है


तारीख पर तारीखइस मामले में कोर्ट से सिर्फ तारीख ही मिल रही है फैसला अटकने से यहां के हालात भी अटके हैं भू-विस्थापितों के अलावा कंपनियों में काम कर रहे ठेका मजदूरों का भी कोई ठौर नहीं रहा ज्यादातर लोग अपने घर की राह पकड़ ली कुछ आशा में बचे हुए हैं और इधर-उधर काम कर रहे हैं उन्हें लग रहा है कि आज नहीं तो कल इस खदान में काम शुरू हो जाएगा और उन्हें काम मिल ही जाएगा मामले में हालांकि तुरंत फैसला आने की उम्मीद नहीं है हाईकोर्ट यदि किसी भी पक्ष के समर्थन में देगी तो दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट चला जाएगा ऐसे में मामला और लंबा खींचने की उम्मीद है

सरकारी नीति में विशेष परिस्थितियों का नहीं हवाला, कहां जाएंगे ग्रामीण


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