Tuesday, June 23, 2015

शिक्षक माँ बाप का बेटा था विवेक ,शव नही सौंपा गया परिवार को


शिक्षक माँ बाप का बेटा था विवेक ,शव नही सौंपा  गया परिवार को 





जगदलपुर. बीजापुर जिले के लंकापल्ली में हुए मुठभेड़ के दौरान मारे गए हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ड्राप छात्र विवेक को भद्राचलम इलाके में अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान क्रांतिकारी कवि वरवरा राव ने विवेक को मुखाग्नि दी। इधर, तेलंगाना स्टेट कमेटी के सेक्रेटरी जगन ने पुलिस मुठभेड़ पर एक बार फिर सवाल खड़े करते कहा है कि मुठभेड़ के बाद हमारे साथियों को पुलिस जिंदा भी पकड़ सकती थी लेकिन उन्हें मार दिया गया।
इस बीच विवेक उर्फ रघु के शव को पीएम के बाद खम्मम पुलिस के हवाले कर दिया है। बताया जा रहा है कि विवेक के शव को उसके परिजनों के हवाले नहीं किया गया। उसे भद्राचलम के इलाके में अंतिम बिदाई दी गई। उसके माता-पिता तेलंगाना के नालकोण्डा जिले के सूर्यापेट के निवासी हैं। दोनों पेशे से शिक्षक हैं। इधर, पुलिस इस मुठभेड़ को बड़ी सफलता मान रही है। तेलंगाना की ग्रेहाउंड व छग की डीआरजी के संयुक्त आपरेशन में यह सफलता मिली है।
70 किमी पैदल चली फोर्स
ग्रेहाउंड ने ऑपरेशन को गोपनीय रखा था। छत्तीसगढ़ से महज 25 डीआरजी के जवानों को अपने साथ उन्होंने लिया। इस बीच पुलिस के आला अधिकारियों ने इलमिडी के पास तक फोर्स को हेलीकाप्टर से ड्राप किया। यहां से करीब 35 किमी पैदल चलकर जवान जंगल के रास्ते पहुंचे। इस दौरान पडऩे वाले गांव को भी जवानों ने रातों रात पार किया और लंकापल्ली के पास उनकी मुठभेड़ हुई। यहां से पुलिस को सूचना देने के बाद माओवादियों के शव को पुलिस को सौंपकर वापस अपने नियत स्थान तक पहुंचे। कुल 70 किमी का सफर पैदल तय कर जवानों ने माओवादियों को मार गिराने में सफलता हासिल की।
माओवादियों का इनकार नहीं
इस घटना के बाद वरवरा राव और तेलंगाना स्टेट कमेटी के सेक्रेट्री ने जिस तरह से विवेक और उसके साथियों को लेकर अपने बयान जारी किए हैं। इससे यह स्पष्ट है कि वो इन्हे माओवादी मान रहे हैं और युवा विवेक की मौत से उन्हें खासा नुकसान हुआ है।
ब्रेनवॉश करते हैं माओवादी
माओवादी युवाओं का ब्रेनवॉश करते हैं। इसका ही नतीजा है कि विवेक पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। वो एक पढ़े लिखे परिवार से संबंध रखता था। 12वीं पास के बाद जब वो हैदराबाद आया तो तेलंगाना राज्य को लेकर जो मूवमेंट चल रहा था। इस दौरान वो माओवादी विचारधारा से अधिक प्रभावित हुआ और उसे लगने लगा कि बंदूक के दम पर क्रांति लाई जा सकती है। इससे वह माओवाद के रास्ते चला गया।

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