Tuesday, June 2, 2015

छत्तीसगढ़ ;ग्रामसभा से पूछे बगैर जमीन लेगी सरकार जनसंघटनो ने किया जबरजस्त विरोध


छत्तीसगढ़ ;ग्रामसभा से पूछे बगैर जमीन लेगी सरकार

जनसंघटनो ने किया जबरजस्त विरोध 


Posted:   Updated: 2015-06-01 15:56:20 ISTRaipur : Government does not need the consent of the gram sabha before acquisition

केंद्र के नए भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश के अनुरूप राज्य सरकार ने इसके प्रावधानों को लागू कर दिया है। अब सरकार को अधिग्रहण से पहले ग्रामसभा और स्थानीय समुदायों की सहमति की जरूरत नहीं रह गई है।
रायपुर. केंद्र के नए भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश के अनुरूप राज्य सरकार ने इसके प्रावधानों को लागू कर दिया है। इसके लिए राजस्व, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वासन विभाग ने छत्तीसगढ़ के राजपत्र में अधिसूचना जारी कर दी है, जिसमें पांच कामों को \'भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम-2013\' के दायरे से बाहर कर दिया गया है।�
अब सरकार को अधिग्रहण से पहले ग्रामसभा और स्थानीय समुदायों की सहमति की जरूरत नहीं रह गई है। 2013� के कानून में अधिग्रहण से पहले स्थानीय निकायों की सहमति और सामाजिक-पर्यावरणीय आकलन को अनिवार्य किया गया था।
इसके साथ ही बहुफसली जमीन के अधिग्रहण को अंतिम विकल्प के रूप में अनुमति दी गई थी। नया प्रावधान इन दोनों प्रावधानों को खत्म कर रहा है। �� �
इन परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण
देश की सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाएं और रक्षा उत्पादन।� ग्रामीण अधोसंरचना, जिसमें विद्युतिकरण भी शामिल।� गरीबों के लिए आवास परियोजनाएं।� सरकार और उसके उपक्रम द्वारा स्थापित औद्योगिक कॉरीडोर (कॉरीडोर के लिए चुनी रेलवे लाइन अथवा सड़क के दोनो तरफ एक किमी तक जमीन अधिग्रहित हो सकेगी)।� सार्वजनिक-निजी भागीदारी की अधोसंरचना परियोजनाएं, इसमें भूमि का स्वामित्व सरकार में निहित होगा।
पुराने कानून में इसका आकलन जरूरी था
स्थानीय निकायों से अधिग्रहण की सहमति लेनी पड़ती।� यह तय करना पड़ता कि क्या प्रस्तावित अधिग्रहण लोकहित में है।� पुनर्वास की प्रक्रिया क्या होगी।� अधिग्रहण का समाज और स्थानीय पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा।� क्या कोई कम नुकसान वाला रास्ता है।� परियोजना के फायदे और विस्थापन से नुकसान में किसका पलड़ा भारी है।
- जब कानून विवादित हो चुका और उसका मसौदा संसद की संयुक्त समिति के पास लंबित है तो राज्य सरकार को अधिसूचना लाने की जल्दी क्या थी। इसके भयंकर परिणाम होंगे। छोटे और भूमिहीन किसान बर्बाद हो जाएंगे। ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। सींचित जमीन का अधिग्रहण होने से खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ेगा।
गौतम बंद्योपाध्याय, संयोजक नदी-घाटी मोर्चा
- यह अधिसूचना जारी करना जरूरी था। इससे विभिन्न क्षेत्रों में रुकी हुई परियोजनाओं को गति मिलेगी। खाद्य सुरक्षा अपने प्रदेश में कोई मुद्दा नहीं है, यहां पर्याप्त उत्पादन है। वैसे भी राज्य सरकार ने एक प्रतिशत से अधिक बहुफसली जमीन का अधिग्रहण नहीं करने का फैसला पहले ही कर लिया है।
पी.निहलानी, संयुक्त सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग �
- यह अधिूसचना अवैधानिक है। भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुन : व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर व पारदर्शिता अधिकार कानून के जिस धारा 10 की शक्तियों के हवाले से सामाजिक प्रभाव आकलन को बाहर किया है, वह शासन को एेसी शक्ति नहीं देती।� धारा-10 बहुफसली जमीन के अधिग्रहण को कुछ शर्तों के साथ छूट देती है। इसमें अधिग्रहण की अधिकतर सीमा और अन्य विकल्प नहीं होने पर अधिग्रहण की बात है। �� �
-सुधा भारद्वाज, वरिष्ठ अधिवक्ता
-

No comments:

Post a Comment