Sunday, June 7, 2015

दक्षिण बस्तर में विकासके नाम पर कम कर रहे बफर एरिया

दक्षिण बस्तर में विकासके नाम पर कम कर रहे बफर एरिया

बनाया गया वर्किंग प्लान

जगह चाहिए

५५ साल पहले बनी थी कुटरू सेन्चुरी

बना टाइगर प्रोजेक्ट

भूल सुधारने बनाए दो सेन्चुरी

छोटा कर दिए बफर एरिया

टाइगर प्रोजेक्ट के नाम पर वनभैंसों के इलाके में लाखों खर्च ५५ साल में वनभैंसा योजना को कोई राशि नहीं







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हेमंत कश्यप जगदलपुर


संकटग्रस्त प्रजाति घोषित कर जिन वनभैंसों के लिए ५५ साल पहले कुटरू अभयारण्य बनाया था, उसे तुमनार में कागज कारखाना और भोपालपट्टनम ्‌में बांध बनाने की योजना के साथ खत्म कर इसे टाईगर प्रोजेक्ट का हिस्सा बना दिया गया.
अब इसी इलाके के बफर जोन को कम किया जा रहा है, जबकि अब वहां बाघ और वनभैंसे दिखने लगे हैं सूत्रों ने बताया कि बीजापुर को हवाई पट्टी के अलावा अन्य विकास कार्य चाहिए ,इसलिए बफर एरिया कम किया गया है, परन्तु पिछले ५५ साल में वनभैंसों को बचाने विभाग को फूटी कौड़ी नहीं दी गईसूत्रों ने बताया कि जान बूझकर वन्य प्राणियों के बड़े विचरण इलाके को छोटा करने की साजिश की जा रही है और इस कार्य में राजनीति होने के कारण इन्द्रावती राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारी भी खुल कर कुछ नहीं बोल पा रहे हैंजगदलपुर लगातार होता रहा वनभैंसों का शिकार-॥--फोटो : फाइलजगदलपुर वनभैंसों को बचाने बनाए गए कुटरू सेन्चुरी का ५५ वर्ष पुराना मैप-॥-राष्ट्रीय उद्यान से अलग किए जा रहे करीब एक हजार वर्ग किमी क्षेत्र का जंगल किसी उद्योग -धंधे के लिए कम नहीं किया जा रहा है बीजापुर क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों की मांग के अनुरूप बफर एरिया कम करने का निर्णय हुआ है यह वन क्षेत्र वनमंडल सामान्य बीजापुर के अधीनस्थ ही रहेगा वनभैसों के संवर्धन के लिए केन्द्र या राज्य सरकार से अब तक कोई राशि नहीं मिली है वनभैसा प्रजनन केन्द्र बनाने प्रोजेक्ट तैयार करने का आदेश हुआ है इसके लिए २४ लाख रूपए का प्रावधान किया गया है
-व्ही माराव, सीसीएफ वन्यप्राणी जगदलपुरकुटरू को सेन्चुरी बनाने के कुछ साल बाद तुमनार में कागज कारखाना बनाने की बात उठी तत्कालीन वन अधिकारी व्ही जी कोहली ने इसके लिए वर्किग प्लान बनाया, जिसे वन आधरित औद्योगिक कार्य योजना नाम दिया गया योजना अंर्तगत्‌ यह प्रावधान किया गया कि तुमनार से ५० किमी की परिधि में आने वाले जंगलों से कागज उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप में बांस की कटाई होगी इधर वनभैंसों के जानकारों ने योजना का विरोध किया और काम रोक दिया गयाबीजापुर जिले को हवाई सेवा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय उद्यान के नारंगी क्षेत्र की ३३ हेक्टेयर (८५.५ एकड़) वन भूमि को अधिग्रहित किया गया है सूत्रों ने बताया कि बीजापुर जिले के जन प्रतिनिधियों के कहने पर व हवाई पट्टी आदि के लिए ही बफर एरिया को कम किया गया है 
वर्ष १९६० में म.प्र शासन ने संवेदनशील वन अधिकारियों के सुझाव पर वनभैंसा को संकटग्रस्त प्रजाति घोषित किया था वहीं विशेषज्ञों के सुझाव पर बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री ऑफ सोसाइटी से सर्वेक्षण व सिफारिश मांगा गया था रिपोर्ट आने के बाद इन्द्रावती नदी के किनारे कुटरू अभयारण्य की स्थापना की गई ,चूंकि वनभैंसों को पानी और घास की आवश्यकता अधिक होती है इसमें कुटरू और भैरमगढ़ जंगल को शामिल किया गया थाबीजापुर का इलाका शुरू के ही बाघों के लिए प्रसिध्द रहा है राजा के अतिथि और आला अधिकारियों के लिए यह इलाका शिकारगाह के रूप में चर्चित रहा, इसलिए तत्कालीन सीसीएफ वीके सेठ ने इन्द्रावती नेशनल पार्क और पामेड़ व भैरमगढ़ को अभयारण्य बनाया और इस इलाके को टाईगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया,वहीं १९६० में बनी वनभैंसों को बचाने की योजना पीछे रह गईकुटरू सेन्चुरी के बड़े हिस्से से बांस दोहन की योजना का विरोध होने के बाद वन विभाग ने अपनी भूल सुधारने के लिए कुटरू सेन्चुरी को खत्म कर भैरमगढ़ व पामेड़ को वनभैंसों के लिए नया अभयारण्य बना दिया गया इसके तहत ८० के दशक में कोर व बफर एरिया बनाया गया था, परन्तु ना वनभैंसों को बचाने कार्य हुआ ना ही तुमनार के कागज कारखाना बना और ना ही भोपालपट्टनम्‌ के पास इन्द्रावती में बांध बन पायाअब राष्ट्रीय उद्यान और अभयारण्यों में वन्य प्राणियों की संख्या कम बता कर बपᆬर एरिया को भी कम कर दिया गया है
 पहले बफर एरिया १५४० वर्ग किमी था वहीं कोर एरिया के १२५० वर्ग किमी में ५६ गांव और बफर एरिया में ८१ गांव थे अब बफर एरिया का क्षेत्रफल महज ५०० वर्ग किमी का किया जा रहा है यहां मुरकीनार, एगसगोंदी, कोटजीत और बंडेमारा गांव ही बच गए हैं अब केन्द्र सरकार इन चार गांवों को विस्थापित करने करोड़ों खर्च करेगी बता दें कि साल भर पहले १६ वन भैंसों का झुंड देखा गया था, वहीं कुछ दिनों पहले उद्यान क्षेत्र में बाघ के कई पगचिन्ह मिले हैं इन सबूतों के बाद बफर इलाका को यथावत रखना जरूरी हो गया है, चूंकि बाघ व वनभैसों को लंबा - चौड़ा इलाका चाहिए

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