Thursday, October 9, 2014

'नक्सली' बेटों को देखने में निकल जाता है दिवाला

'नक्सली' बेटों को देखने में निकल जाता है  दिवाला 


नारायणपुर(ब्यूरो)। जाने-अनजाने नक्सली मामलों में फंसे जिले के युवाओं को देखने-मिलने में माता-पिता को कई किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।
आने-जाने और रहने-खाने में इनकी जमा-पूंजी खर्च हो जाती है। जिले के नारायणपुर और ओरछा ब्लॉक में नक्सली मामलों में पकड़े गए युवाओं को सेंट्रल जेल जगदलपुर में रखा जाता है।
इन्हें पेशी के लिए नारायणपुर और कोंडागांव की अदालतों में ले जाया जाता है। अब कोंडागांव में सत्र न्यायालय खुल गया है। पहले पेशी जगदलपुर में होती थी।
यहां जिला अदालत नहीं है और सुनवाई कोंडागांव में होती है। जिले के अंदरूनी गांवों में रहने वाले प्रभावित लोग अपने बेटी-बेटों और भाई-बहनों या फिर अन्य नाते-रिश्तेदारों से मिलने मेन रोड तक पैदल आते हैं।
सोमवार को भी यहां कई लोग अदालत में आए थे। उन्हें पता चला था कि आरोपियों को सोमवार को लाया जा रहा है। अपने बेटों से मिलने की चाह में अंदरुनी गांवों से आए लोगों ने अपना दुखड़ा सुनाया।
धौड़ाई इलाके के बोथा गांव से आए सुकालू कोर्राम ने बताया कि वे एक घंटे पैदल चलकर सुबह धौड़ाई पहुंचे। उनके बेटे रजमेन को पकड़ा गया है। रजमेन कोण्डागांव जिले के मर्दापाल गया था। राखी के दिन बाजार से पुलिस ने उसे पकड़ा।
मर्दापाल में उनके रिश्तेदार रहते हैं। रजमेन को सोमवार को लाए जाने की बात कही गई थी। इसी वजह से वह यहां आया है। सुलेंगा से आए सुका, सुकदेर, रामलाल एवं एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उनके बेटे और भाई को नक्सली होने के आरोप में तीन माह पहले पकड़ा गया था।
वे तब पकड़ में आए जब वे घर का काम कर रहे थे। इनका कहना है कि वे अपने बेटों से मिलने के लिए जगदलपुर भी जाते हैं। इसमें काफी राशि खर्च हो जाती है। वे अपने बेटों से मिलना चाहते हैं और इसलिए वे आते हैं। किसी तरह वे पैसे जुटाते हैं। नगद राशि के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
होगी सहूलियत
अभी यहां जिला एवं सत्र न्यायालय प्रस्तावित है। सत्र न्यायालय खुलने पर लोगों को सुविधा होगी। जिला जेल कई सालों से बंद है। इस वजह से कैदियों को जगदलपुर की जेल में रखा जाता है। जिला जेल पुनः शुरू होने पर सभी को सुविधा होगी। जिला न्यायालय के लिए भवन की तलाश  की जा रही है ,

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