Monday, October 13, 2014

सिरसगुड़ा और कुनगुड़ा में आदिवासी [ ईसाई ] दहशत में , 34 परिवारो ने छोड़ा अपना गॉव, बस्तर के गॉवो में बजरंगियों ने आतंक का माहोल बनाया ,

सिरसगुड़ा और कुनगुड़ा  में आदिवासी [ ईसाई ] दहशत में , 34  परिवारो ने छोड़ा अपना  गॉव,  बस्तर के गॉवो  में बजरंगियों  ने मचाया  आतंक। 

जगदलपुर  से   25 किलो मीटर दूर तोकापाल  तहसील का  गॉव सिरसगुड़ा जहा अभी दो महीने पहले बजरंगदल और  विश्वहिन्दु  परिषद   के लोगो ने गॉव गॉव जाके   आदिवासी  ईसाइयो को जबरजस्त धमकी दिया जाने और उनकी मूल   सुविधा छीनने के लिए अभियान चलाया था ,और एक सभा भी की थी कि इन गॉव में हिन्दू धर्म  के अलावा  किसी और धर्म की पूजा ,समारोह ,या कोई प्रचार गैरकानूनी होगा , इनके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही  जाएगी , इस सारे ग्रामो  में इसे समुदाय के लगभग  500  परिवार रहते है ,जो मूलतः आदिवासी ही हैं। इनके राशन कार्ड निरस्त  करवा दिया गए और उन्हें जबरजस्ती हिन्दू धर्म में वापसी का दबाब बनाया जा रहा हैं , 

अभी परसो [ 11  अक्टुम्बर 14 ] को कुनगुडा  गॉव  में जगदलपुर के संसद [ भाजप] दिनेश कश्यप ने भारी तामझाम के साथ 33  आदिवासी परिवारो को वापस हिन्दू धर्म में लाने का समारोह किया ,वो अलग बात है की उनमे से अधिकांश लोग पहले से ही हिन्दू थे ,इसके पहले पुरे गॉव में बड़ा जुलुस निजकल गया ,जिसमे ईसाइयो के खिलाफ उत्तेजक नारे लगाये गए , उन्हें गन्दी गन्दी गालिया दी गई ,पिछले दो सप्ताह से पुरे इलाके में िसलयो के हिलफ नफरत का माहोल बनाया जा रहा है ,स्थानीय अख़बार और पूरी सरकार ,पुलिस प्रशाशन भी इनके साथ हैं , 

अभी पिछले दिनों पीयूसीएल  की एक  टीम ने इन गॉवो का दौरा भी क्या था ,  बताया की 30 ,40 ग्राम में भरी दशहत का माहोल है , कुनगुडा  से ही 35 ईसाई परिवार पाना गॉव छोड़ के जगदलपुर  भाग गये  है ,उनका कहना ही की उन्हें अपने गॉव में हमले का डर  है ,इनमे से एक फादर  सिंधु ने अपनी जान का भी खतरा बताया है, 
मोदी  के आने के बाद तो विश्वहुन्दु  परिषद और उनके तरह तरह के अन्य संघटन पुरे शबाब में आ गए है , गॉव गॉव में ईसाइयो के खिलाफ दुष्प्रचार किया जा रहा है ,कोई कानून का राज नहीं बचा है ,किसी को धर्मिक आज़ादी नही है म कानून तो ये भी कहता ही की कोई धर्म परिवर्तन करे तो प्रशाशन से अनुमति लेना जरुरी है ,लेकिन भाजपा और बजरंगी खुले आम आदिवासियों को हिन्दू धर्म में लाने  का समारोह करते है , और उसमे सांसद ,पुलिस  और जिला प्रशाशन शामिल रहता है ,कोई नहीं पूछता की यदि ईसाई  बनने के पहले प्रशाशन की परमिशन की जरुरत है तो फिर हिन्दू बनने में इसकी जरुरत क्यों नहीं हैं ,

संविधान और धार्मिक आज़ादी का मखोल बनाया जा रहा हैं , 

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