Wednesday, October 1, 2014

भगवान पर भरोसा न करने वाले को गोली मार दें

भगवान पर भरोसा न करने वाले को गोली मार दें

भगवान पर भरोसा न करने वाले को गोली मार दें
बिलासपुर/पेंड्रा [निप्र]। आचार्य धर्मेद्र ने भगवान पर आस्था नहीं रखने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यदि कोई भगवान पर भरोसा नहीं करता हो तो उसे चौराहे पर खड़ा करके गोली मार देना चाहिए, क्योंकि भगवान की सृष्टि के अकाट्य प्रमाण है और सृष्टि का संचालन ही ईश्वर द्वारा होता है। ऐसे में भगवान को नहीं मानने वाले के जिंदा रहने का क्या औचित्य है। उन्होंने कहा कि भारत के किसी भी स्कूल में ब्रह्मांड, धर्म आदि के बारे में बताया ही नहीं जाता तो इसी शिक्षा का क्या औचित्य है?
वे अमरकंटक के मृत्युंजय आश्रम में आयोजित 10 दिवसीय सत्संग समारोह के दूसरे दिन सोमवार को भक्तों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान वे रविवार को दिए गए उस बयान पर कायम रहे, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई डे़़ढ पसलीवाला, बकरी का दूध पीने और सूत कातने वाला व्यक्ति भारत का राष्ट्रपिता नहीं बन सकता। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी कभी भी भारत के पिता [राष्ट्रपिता] नहीं हो सकते। वे भारत मां के पुत्र जरूर हो सकते हैं।
उन्होंने दावा करते हुए बताया कि 16 साल की उम्र में उन्होंने भारत के दो महात्माओं के नाम से किताब लिखी थी, जिसमें महात्मा गांधी के बारे में बहुत कुछ लिखा और उजागर किया था, पर उस किताब को प्रतिबंधित कर दिया गया। उन्होंने राजनैतिक पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में बरसात में मेंढकों और कुकुरमुत्तों की तरह पार्टियां हो गई हैं और यदि मेरी गंगा मां, नर्मदा मां, यमुना मां कहेंगी तो मैं भी पार्टी बना लूंगा।
उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की भी निंदा करते हुए कहा कि हमारा नाम हिंदू और देश का नाम हिंदुस्तान हमारे प़़डोसी मुल्क ने दिया है, हम तो सिंधु की पवित्र भूमि में रहने वाले सिंधु संस्कृति के सिंधु लोग हैं। जब हमारे देश को हिंदुस्तान तुमने ही कहा है तो फिर हमारे अंगने में तुम्हारा क्या काम?। जो भारत माता को स्वीकार नहीं करता, वो हमारे योग्य नहीं है। आचार्य धर्मेद्र ने विनोबा भावे के जय जगत के नारे के विरोध करने की बात बतलाते हुए कहा कि विनोबाजी से मुलाकात के दौरान नीलिमा देशपांडे भी थीं। मैंने जब जय जगत के नारे देखा तो विनोबाजी से तर्क किया कि ये तो जय हिंद का वैकल्पिक रूप हुआ। इस बात को लेकर विनोबाजी से काफी तर्क हुआ। इसके बाद मैं वहां से जब जाने लगा तो विनोबाजी संतुष्ट दिखे और छह महीने बाद जब मैं उनके यहां गया तो उनके पत्थरों में जय जगत लिखना बंद हो गया था।
क्योंकि.. मैं टिप--टॉप रहता हूॅं
आचार्य धर्मेद्र ने कहा कि मैं टिप-टॉप रहता हूं। आइना अपने पास रखता हूं। बाल व्यवस्थित रखता हूं, क्योंकि मैं भगवान शंकर और विष्णु का भक्त हूं, जिन्हें एक ही समुद्र मंथन से एक को विष और दूसरे को लक्ष्मी की प्राप्ति हुई थी। मैं फैशन नहीं करता, बल्कि सलीके से रहता हूं।

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