Thursday, October 16, 2014

एसईसीएल ने कोयला खदान अपने हाथ में लेने से किया इनकार

एसईसीएल ने कोयला खदान अपने हाथ में लेने से किया इनकार


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विनय पाण्डेय, रायगढ़ । जिले के कोयला खदानों को अधिग्रहित करने के लिए एसईसीएल के पास सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो आ गया, पर अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र की इस कंपनी को कोयला मंत्रालय से कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है। कहा जा रहा है कि एसईसीएल के उच्च स्तरीय प्रबंधन ने कोयला खदानों के अधिग्रहण से इनकार कर दिया है।
निजी कोयला खदानों का आबंटन रद्द करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इन खदानों के चलाने में हो रही परेशानी को कम करने का आदेश दिया था और कहा था कि इन खदानों को मार्च के बाद कोल इंडिया की इकाईयां संचालित करेगी। रायगढ़ में कोल इंडिया की एसईसीएल इकाई काम करती है। ऐसे में यहां की 5 कोयला खदानों को एसईसीएल को संचालित करने दिया जाएगा। लेकिन अधिकारिक सूत्रों से यह खबर आ रही है कि एसईसीएल प्रबंधन निजी कोयला खदानों के अधिग्रहण से इनकार कर दिया है। इसके पीछे निजी कोयला खदानों द्वारा सरकार को दी जाने वाली गलत जानकारी को आधार मनाया गया है। उत्पादन से लेकर जमीन तक की जानकारी निजी खदानों द्वारा मंत्रालय को सही ढंग से उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे में एसईसीएल के अधिकारियों को संदेह है कि इसके अधिग्रहण में एक तो उनके झूठ का हिसाब उन्हें देना पड़ेगा, वहीं यदि कोई गड़बड़ी पाई गई तो वे भी लपेटे में आ जाएंगे।
कोयला मंत्रालय पर भारी कर्मचारी
एसईसीएल की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि वह निजी कंपनियों के कर्मचारियों को कैसे एडजस्ट करेगी। हालांकि निजी कंपनियों में कर्मचारी कम व ठेकेदार ज्यादा होते हैं, लेकिन उनकी भारी भरकम फौज को एडजस्ट करना काफी मुश्किल होगा। एक खदान में कम से कम हजार कर्मचारी होते हैं और जिले में 5 चालू खदानें हैं, ऐसे में इन खदानों के कर्मचारियों के समायोजन में ही एसईसीएल को पसीने छूट जाएंगे।
जमीन का झंझट
जिले के कोल ब्लॉक में जमीन को लेकर भी विवाद की स्थिति है। यहां कई कोयला खदान और कंपनियों की जमीन बताई गई है, वे यहां की बजाए कहीं और संचालित हो रही हैं। इसको एसईसीएल अच्छी तरह से जानती है और वह विवाद में नहीं पड़ना चाहती है। यही वजह है कि वह स्थानीय कोयला खदानों के अधिग्रहण से अपना हाथ खींचना चाहती है।
अपनी खदान ही नहीं संभलती
एसईसीएल के अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि एसईसीएल अपनी खदान ही ठीक से नहीं संभाल पा रही है। वर्तमान में जो सेटअप चाहिए वह उपलब्ध नहीं है। ऐसे में निजी कोयला खदानों को हाथ में लेकर कैसे संचालित किया जाएगा। वह भी तब जब सुप्रीम कोर्ट के हाथ में पूरा मामला है।
गाइड लाइन का अभाव
एसईसीएल के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास सुप्रीम कोर्ट का आर्डर तो आ गया है, पर मंत्रालय का कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है। ऐसे में वे औपचारिक रूप से कुछ कह नहीं पाएंगे। उनका मानना है कि गाइड लाइन मिलने के बाद ही कार्ययोजना के बारे में कुछ बताया जा सकता है।
अभी तक मंत्रालय से कोई गाइड लाइन नहीं आई है, हो सकता है यह जनवरी-फरवरी तक आ जाए। उच्च प्रबंधन की बातों के बारे में हमें बात करने का अधिकार नहीं है। गाइड लाइन जिस दिन मिलेगी आप सभी को पता चल जाएगा।
यूके सिंह महाप्रबंधक एसईसीएल, रायगढ़ परिक्षेत्र

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