Thursday, October 16, 2014

संस्कृति की "रवानी" में एकता की कहानी

संस्कृति की "रवानी" में एकता की कहानी

Culture "flair" the story of unity


Culture
10/14/2014 1:12:32 AM
भिलाई। मुसलमान ने स्टेज दिया, क्रिश्चियन ने व्यवस्था संभाली और इसके बाद सभी वर्ग और समुदाय के लोगों ने केरला समाजम् के छह दिन उत्सव में संस्कृति और कला के रंग भरे। प्रस्तुतियों में शास्त्रीय नृत्य के अलावा, लोक नृत्य और फिल्मी गीतों पर प्रस्तुतियां दी गई। इसमें सभी वर्ग और समुदाय के कलाकार शामिल हुए।
उनके बीच धर्म या संप्रदाय आड़े नहीं आया। इस तरह केरला समाजम् के सांस्कृतिक कार्यक्रमों कडियों में कौमी एकता की मिशाल प्रस्तुत की गई। केरला समाजम् दुर्ग 12 साल से ओणम् का उत्सव इसी तरह मनाते आ रहा है। जाति विशेष, धर्म और मजहब की दीवार को तोड़ सभी मिनी भारत में एकता की मिशाल प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
19 से ज्यादा इसाई परिवार
समाजम् के अध्यक्ष शशि कोट्टारकरा ने बताया कि कमेटी में 19 से ज्यादा इसाई परिवार केरला समाजम के आजीवन सदस्य हैं। कमेटी में अब्राहम जार्ज, वीके फिलिपोस, मैथ्यू जोसफ सहित कई समर्पित सदस्य हैं, जो इन दिनों अपना सारा काम छोड़ 24 घंटे उत्सव की जिम्मेदारी को निभाते हैं। अब्राहम जार्ज ने बताया कि केरलवासी होने के नाते ओणम उत्सव से वे दिल से जुड़े हुए हैं। अपने प्रदेश की परंपरा को वे इसी मंच के माध्यम से जिंदा रखे हुए हैं।
ओणम जाति बंधन से ऊपर का उत्सव है। केरला समाजम के लिए एसएनजी का सभागृह उपलब्ध कराने वाले वली मोहम्मद ने बताया कि केरला समाजम के भाईचारे और यहां की एकता ही मिनी इंडिया की पहचान है। भिलाई में सभी प्रांत वाले मिलजुल कर रहते हैं। ऎसे में केरलवासियों ने समाजम की स्थापना कर केरल में रहने वाले सभी धर्म के लोगों को जोड़ने का प्रयास किया और वे भी इससे जुड़ गए।
नृत्य में भी कौमी एकता
इन छह दिनों के उत्सव में केवल अपने काम से ही नहीं समाजम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी कौमी एकता को दर्शाया। केरल में हिन्दुओं द्वारा किए जाने वाले नृत्य तिरूवाथिरा, मुस्लिम द्वारा किया जाने वाला ओपन्ना और क्रिश्चन के नृत्य मारगमकली को भी मंच पर प्रस्तुत कर नृत्य के जरिए सर्वधम समभाव का संदेश दिया गया।

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