लू उगलते छत्तीसगढ़ के उदयोग
Tuesday, May 26, 2015
[सीजीखबर ]
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के वातावरण में उच्च जैविक कार्बन की उपस्थिति से जानलेवा गर्मी पड़ रही है. छत्तीसगढ़ के वातावरण में इन उच्च जैविक कार्बन की उपस्थिति का कारण कोल आधारित उदयोग हैं. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में ताप विद्युत संयंत्रों के कारण फ्लाई एश की भी अधिकता है. दरअसल, ये जैविक कार्बन सूर्य की किरणों से आने वाले अल्ट्रावायलेट किरणों को अधिक मात्रा में सोख लेते हैं तथा उच्च ताप वातावरण में छोड़ देते हैं जिससे भीषण गर्मी पड़ती है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी के पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी के पर्यावरणविद शम्स परवेज ने मीडिया के हवाले से बताया कि छत्तीसगढ़ के वातावरण में जैविक कार्बन की उपस्थिति 25-30 फीसदी ज्यादा है. जाहिर है कि इसी कारण से छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है.
उन्होंने आगे कहा कि रायपुर तथा भिलाई में अल्ट्रावायलेट इंडेक्स सोमवार को 11 नोट किया गया जबकि इसकी मात्रा 5 से कम होनी चाहिये.
उल्लेखनीय है कि सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों को पृथ्वी की ओजोन परत रोक लेती है. इससे नतीजा निकलता है कि छत्तीसगढ़ के ऊपर का ओजोन परत क्षतिग्रस्त हो गया है. जिसके कारण छत्तीसगढ़ में ज्यादा अल्ट्रावायलेट किरणे पहुंच रहीं हैं जिन्हें उच्च जैविक कार्बन ज्यादा मात्रा में सोख कर आग उगल रहें हैं.
कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी का कारण ज्यादा मात्रा में अल्ट्रावायलेट की किरणें आना तथा वातावरण में उच्च जैविक कार्बन की उपस्थिति होना है. दोनों के लिये उद्योगों को ही जिम्मेदार माना जाता है. इसका हरगिज भी अर्थ नहीं है कि छत्तीसगढ़ में उदयोगों का विरोध किया जा रहा है. जरूरत है कि उद्योगों को इन हानिकारक तत्वों तथा कम्पाउंड की उत्पत्ति कम करने को कहा जाये.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में बगैर पर्यावरण विभाग की अनुमति के ही उद्योगों का विस्तार किया जा रहा है. जिन कंपनियों के ख़िलाफ़ बिना उचित अनुमति के उद्योग शुरू करने या उसका विस्तार करने का आरोप है, उनमें जिंदल पॉवर लिमिटेड, कोरबा वेस्ट पॉवर कंपनी लिमिटेड (अब अडानी पॉवर का हिस्सा), जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी लिमिटेड, वीसा पॉवर लिमिटेड, गोदावरी पावर एंड इस्पात लिमिटेड जैसी कंपनियाँ शामिल हैं.
गौरतलब है कि पृथ्वी की ओजोन परत को क्लोरोफ्लुरोकार्बन तथा ब्रोमोफ्लुरोकार्बन क्षति पहुंचाते हैं.
क्लोरोफ्लुरोकार्बन या सीएफसीज की उत्पत्ति सॉल्वैंट्स तथा फ्रीज एवं एसी की गैस से होती है. हैरत की बात है कि जहां दुनिया भर में क्लोरोफ्लुरोकार्बन का उत्पादन कम किया जा रहा है छत्तीसगढ़ में उसकी ज्यादा उत्पत्ति हो रही है. अन्यथा क्या कारण है कि छत्तीसगढ़ के ऊपर से ओजोन परत पतला होता जा रहा है.
आजकल तो दमें में उपयोग होने वाले इनहेलरों को भी क्लोरोफ्लुरोकार्बन से मुक्त रखा जा रहा है भले ही उससे कीमत बढ़ जाती है.
भीषण गर्मी से जहां छत्तीसगढ़ के बाशिंदे लू का शिकार हो रहें हैं वहीं, अल्ट्रवायलेट से स्कीन कैंसर, मोतियाबिंद का खतरा बना रहता है. कोई आश्चर्य की बात नहीं कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में सूर्य की तेज अल्ट्रावायलेट किरमों के कारण चमड़ी का कैंसर तथा आखों की मोतियाबिन्द के मरीज बढ़ जाये.
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