पहले पानी तो शुद्द करो बाद में स्मार्ट सिटी की बात करना ,सरगुजा के पानी में आयरन और फ्लोराइड की मात्रा अधिक
अंबिकापुर(निप्र)। शुद्घ पेयजल को लेकर लोग अब गंभीरता दिखाने लगे हैं। जलजनित बीमारियों के बढ़ने और सरगुजा जिले के पानी में आयरन और फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण हो रही शारीरिक व्याधियों के कारण लोग अब जागरूक होकर पीने के उपयोग में आने वाले पानी का टेस्ट जरूर करा रहे हैं। वर्ष 2014-15 में शहर सहित पूरे सरगुजा जिले का आंकड़ा देखें तो स्थानीय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की जिला जल परीक्षण प्रयोगशाला में तीन हजार से अधिक टेस्ट किए गए हैं। लोगों में इतनी जागरूकता आई है कि बोतल में पानी लेकर स्वयं प्रयोगशाला पहुंच रहे हैं। विभाग ने भी जांच रिपोर्ट को आनलाइन कर दिया है। प्रयोगशाला में वे सारी व्यवस्थाएं हैं जिससे पानी का टेस्ट आसानी से किया जा सके। इस वर्ष भी अप्रैल माह में काफी संख्या में लोगों ने पानी की जांच कराई है। जिले में कई जगह फ्लोराइड की मात्रा होने के कारण प्लांट भी लगाया गया है। जिले में एक वर्ष के भीतर सैकड़ों फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा चुके हैं।
सरगुजा जिले की भूमि में कोयला की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण यहां कुएं और बोरवेल के पानी में आयरन की मात्रा वर्षों से अधिक पाई जा रही है। आयरन की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण लोगों का पाचन बिगड़ रहा है। लोगों को गैस्टिक की शिकायतें आम हो गई है। वहीं अब सरगुजा जिले के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाए जाने के कारण दूसरी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। आयरन की अधिकता से जहां लोगों को पानी के उपयोग से पाचन की समस्या खड़ी हो गई है। वहीं फ्लोराइड के कारण लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही है और दांतों और नाखून में परेशानी आने लगी है। छोटे बच्चों के लिए तो फ्लोराइडयुक्त पानी किसी खतरे से कम नहीं है। अंबिकापुर शहर में ज्यादातर शिकायतें नहीं आ रही है किंतु जिले के कुछ ऐसे विकासखण्ड हैं, जहां के पानी में आयरन और फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण लोग खासे मुसीबत में हैं। जाने-अंजाने लोग फ्लोराइड युक्त पानी का उपयोग कर लेते हैं इस कारण उन्हें कई तरह की व्याधियों का शिकार भी होना पड़ता है। जलजनित बीमारियों के बढ़ने और पीलिया के खतरे से घबराए लोगों ने अब शुद्घ पानी पीने की ओर कदम बढ़ाया है। एक समय था जब लोग जैसा पानी मिलता था वैसे ही पानी का उपयोग कर लिया करते थे किंतु अब लोगों ने शुद्घ पानी को लेकर जागरूकता दिखाना शुरू किया है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के जल प्रयोगशाला के आंकडे पर नजर डालें तो वर्ष 2014-15 मे तीन हजार से अधिक लोगों ने एक वर्ष में पानी का टेस्ट कराया है। इनमें अधिकांश लोग प्रतिदिन उपयोग होने वाले पानी को बोतल में भरकर प्रयोगशाला तक लेकर पहुंचे हैं। वहीं पंचायत की ओर से आने वाली शिकायतों पर प्रयोगशाला के अधिकारी स्वयं गांव पहुंच कर अधिकांश शिकायतों का निराकरण पानी की जांच कर किए हैं। इस नए सत्र में भी एक माह के भीतर बड़ी संख्या में लोगों ने पानी की जांच कराई है। सरगुजा जिले के पानी में आयरन और फ्लोराइड सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। ये दोनों तत्व लोगों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
उदयपुर, लखनपुर में फ्लोराइड- सरगुजा जिले के उदयपुर व लखनपुर विकासखण्ड क्षेत्र में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाए जाने की शिकायत है। इन दोनों विकासखण्डों में पेयजल को लेकर लोग परेशान भी हैं। जहां भी हैंडपंप खोदा जाता है वहां अधिकांश हैंडपंपों में फ्लोराइड युक्त पानी निकलता है जो पीने योग्य नहीं होता। ऐसे स्थानों पर पीएचई के द्वारा फ्लोराइड ट्रीटमेंट पलांट लगाया जाता है। गतवर्ष लगभग डेढ़ सौ से अधिक फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा चुके हैं। पानी की रिपोर्ट के आधार पर जरूरी स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट निरंतर लगाए जाते हैं।
14 घटकों की होती है जांच-
पीएचई के जिला जल प्रयोगशाला में पानी में मिलने वाले 14 घटकों की जांच होती है। जिला जल प्रयोगशाला के केमिस्ट केके सिन्हा ने बताया कि 14 घटकों में चार घटकों की फिजीकल जांच, 12 घटकों की केमिकल जांच, बैक्टोरिकल जांच व आक्सीहैवन जांच की जाती है। इस पूरी जांच के लिए स्थानीय प्रयोगशाला में सारी सुविधाएं जांच रिपोर्ट तत्काल रिपोर्ट लोगों को दी जाती है। जांच रिपोर्ट ऑनलाईन भी किया जाता है।
शहर में आयरन और फ्लोराईड की दिक्कत नहीं-
प्रयोगशाला के जानकारों के मुताबिक अंबिकापुर शहर का पानी पूरी तरह पीने योग्य है। पुराने कुएं का उपयोग शहर के जिस-जिस क्षेत्र मे किया जाता होगा वहंी थोड़ी दिक्कत आ सकती है। शिकायत मिलने पर कुएं की पानी की जांच भी की जाती है और उसे पीने योग्य बनाने केमिकल का उपयोग किया जाता है। शहर में जिस पानी का उपयोग लोग कर रहे हैं उसमें आयरन और फ्लोराईड की मात्रा नहीं है। ग्रामीण इलाकों में जरूर आयरन और फ्लोराईड युक्त पानी निकलता है जिसकी व्यवस्था जांच के बाद की जाती है।
बयान-
पीएचई के प्रयोगशाला में पानी की जांच के लिए सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। अच्छी बात यह है कि पिछले एक-दो वर्षों में लगातार लोग पानी की जांच करा रहे हैं। प्रयोगशाला तक लोग यदि बोतल में पानी भरकर पहुंच रहे हैं तो यह बड़ी बात है। गत वर्ष तीन हजार से अधिक टेस्ट किए गए थे। इस बार भी इसकी शुरूआत हो चुकी है। संभाग मुख्यालय में वर्षो से प्रयोगशाला है पर जिस बड़े पैमाने पर पिछले एक-दो वर्षो में लोगों ने जागरूकता दिखाई है उससे जल जनित बीमारियों मे भी कमी आई है। पानी मे ंथोड़ी थी खराबी मिलते ही लोग प्रयोगशाला पहुंचते हैं या फिर पंचायत के माध्यम से जानकारी प्रयोगशाला तक पहुंचती है तो तत्काल टीम पहुंचकर मौके पर ही पानी की जांच कर देता है। लोगों को शुद्घ पानी के उपयोग के लिए उसकी जांच कराने जागरूक रहना जरूरी है। प्रयोगशाला में केमिस्ट, लैब असिस्टेंट व अन्य कर्मचारी भी मौजूद हैं जो पानी की जांच में निरंतर लगे हुए हैं।
केके सिन्हा
केमिस्ट, पीएचई जल प्रयोगशाला
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