MAY
23
अगर न्यायिक जांच होगी तो यह तानाशाह अधिकारी हजारों आदिवासियों का हत्यारा या ह्त्या की वजह साबित होगा
अगर न्यायिक जांच होगी तो यह तानाशाह अधिकारी हजारों आदिवासियों का हत्यारा या ह्त्या की वजह साबित होगा ( इसमें आदिवासी जवान भी शामिल है ), इसकी तानाशाही पूर्ण गलत नीतियों की वजह से सैकड़ों जवानों को जान देनी पड़ी है | अगर न्यायायिक जांच हो तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि बस्तर में इसकी प्रथम पोस्टिंग के बाद से लगातार ना केवल नक्सलवाद की बढ़ोत्तरी हुई बल्कि उन्मूलन के नाम पर हजारों करोड़ रुपयों भ्रषटाचार में फूंक दिए गए |
यह अधिकारी अपने ही विभाग के फिल्ड में तैनात अधिकारियों की सलाह और सूचना को नजरअंदाज कर कई बार ना केवल जवानों की जान को खतरे में डाला बल्कि कई बार अपनी अहम् की लड़ाई में इसने जवानों की जान को शतरंज के प्यादों की तरह इश्तेमाल किया | इसी के कार्यकाल में सलवा जुडूम के नाम पर आदिवासियों को आपस में लड़ा कर हजारों आदिवासियों की बलि ली गयी | लाखों आदिवासियों को घर बार छोड़ने के लिए मजबूर करने वाला यही है |
यह अधिकारी अपने ही विभाग के फिल्ड में तैनात अधिकारियों की सलाह और सूचना को नजरअंदाज कर कई बार ना केवल जवानों की जान को खतरे में डाला बल्कि कई बार अपनी अहम् की लड़ाई में इसने जवानों की जान को शतरंज के प्यादों की तरह इश्तेमाल किया | इसी के कार्यकाल में सलवा जुडूम के नाम पर आदिवासियों को आपस में लड़ा कर हजारों आदिवासियों की बलि ली गयी | लाखों आदिवासियों को घर बार छोड़ने के लिए मजबूर करने वाला यही है |
तरह –तरह के प्रलोभन और सलवा जुडूम कैम्पों में दलाली और सप्लाई का काम दिलाकर और कुछ पत्रकारों को ब्लेकमेल कर इसने अपने पक्ष में माहौल खड़ा किया | इसके ही कार्यकाल में कुछ दलाल पत्रकार एकदम से करोडपति बन गए जो आज भी इनके चरण भाट बने हुए हैं | जुडूम के कैम्पों में इन्होने टमाटर , आलू , नमक जैसी चीजों को सौ रूपये से ऊपर प्रति किलो की दरों में सप्लाई किया और लिखते रहे कि बस्तर के हित में है सलवाजुडूम |
बाद में इसने सलवाजुडूम के नेताओं को भी सुरक्षा नही दी | इस धोखेबाज की वजह से कई एसपीओ और जुडूम नेता मारे गए | इसी के डीआइजी रहते और इसी के बेवकूफाना आदेश के परिपालन में ताड़मेटला में ७६ सीआरपीएफ के जवानों की जान गयी | इस मामले की जांच में इस अधिकारी की गलती साबित भी हो चुकी है , मगर कोई कार्यवाही के बजाय इसे इसकी योग्यता मानकर कारपोरेट घरानों के दबाव में ही इसे दुबारा बस्तर भेजा गया है | इसी के आदेश के परिपालन में ताड़मेटला सहित तीन गाँवों में तीन सौ से ज्यादा घरों में भाजपा के गुंडों के साथ मिलकर पुलिस ने आग लगा दी और इन गांवों के लोगों को मदद पहुंचाने जा रहे स्वामी अग्निवेश को इसी के इशारे पर मरा –पीटा गया | सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी इसी के इशारे पर प्रताड़ित किये गए और सच का साथ देने की वजह से माओवादी करार दिए जाते रहे | आज भी जेल के भीतर हजारों निर्दोष आदिवासी न्याय के इन्तजार में बिना वजह इसी की नीतियों की वजह से सजा काट रहे | हालाकि अधिकाँश मामलों में निर्दोष बरी हो रहे इन आदिवासियों को सब कुछ खोकर आज भी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया पर विशवास बना हुआ है |
बाद में इसने सलवाजुडूम के नेताओं को भी सुरक्षा नही दी | इस धोखेबाज की वजह से कई एसपीओ और जुडूम नेता मारे गए | इसी के डीआइजी रहते और इसी के बेवकूफाना आदेश के परिपालन में ताड़मेटला में ७६ सीआरपीएफ के जवानों की जान गयी | इस मामले की जांच में इस अधिकारी की गलती साबित भी हो चुकी है , मगर कोई कार्यवाही के बजाय इसे इसकी योग्यता मानकर कारपोरेट घरानों के दबाव में ही इसे दुबारा बस्तर भेजा गया है | इसी के आदेश के परिपालन में ताड़मेटला सहित तीन गाँवों में तीन सौ से ज्यादा घरों में भाजपा के गुंडों के साथ मिलकर पुलिस ने आग लगा दी और इन गांवों के लोगों को मदद पहुंचाने जा रहे स्वामी अग्निवेश को इसी के इशारे पर मरा –पीटा गया | सोनी सोरी और लिंगाराम कोडोपी इसी के इशारे पर प्रताड़ित किये गए और सच का साथ देने की वजह से माओवादी करार दिए जाते रहे | आज भी जेल के भीतर हजारों निर्दोष आदिवासी न्याय के इन्तजार में बिना वजह इसी की नीतियों की वजह से सजा काट रहे | हालाकि अधिकाँश मामलों में निर्दोष बरी हो रहे इन आदिवासियों को सब कुछ खोकर आज भी लोकतान्त्रिक प्रक्रिया पर विशवास बना हुआ है |
गोदावरी के पार तेंगाना के भद्राचलम जिला में विस्थापित आदिवासी |
इसने मनीष कुंजाम सहित कई आदिवासी नेताओं को तब और अब भी नक्सली मामलों में फंसाने की धमकी देकर चुप कराने की कोशिश की और ज्यादातर सफल भी रहे | यह आदिवासी खून का प्यासा प्रदेश के मुख्य मंत्री रमन सिंह की भी नही सुनता | सच यही है कि यह जनता का नौकर होते हुए भी कार्पोरेट घरानों का एजेंट है| इस अधिकारी का अब भी सपोर्ट करने वाले तमाम आदिवासी नेता अपने ही समाज के अपराधी हैं , मुझे भरोसा है कि अब जागरूक हो रही नै पीढ़ी इन नेताओं को अपने समाज के मंचों पर कटघरे में जरूर खडा करेगी |
अब यह इतना अभिमान में आ गया है कि बाकायदा प्रेस वार्ता के दौरान अन्य पत्रकारों पर रॉब गांठने के लिए ईमानदार पत्रकारों को धमकाने की जुर्रत भी करने लगा है | हिम्मत है तो लगा सबसे पहले मेरे ऊपर तेरा “छत्तीसगढ़ राज्य जन सुरक्षा अधिनियम “| बस्तर में स्थानीय या बाहरी किसी भी पत्रकार की अगर मुठभेड़ के दौरान मौत होती है तो मै दावा करता हूँ कि यह इसी अधिकारी के षड्यंत्र का हिस्सा होगा , यह इसलिए कि साल भर पहले मुझे भी धमकाते हुए इसने अपनी इस चाल के बारे में बताया था | इसने मेरे पास भी खबर भिजवाई थी कि कुछ वीडियो हैं इनके पास जिसमे मै नक्सलियों के साथ दिख रहा हूँ | अरे बेवकूफ मै अकेले पत्रकार नहीं हूँ , जो नक्सलियों से किसी मुद्दे में बात करने गया हो | कई बार तो आप ही लोगों ने अपने जवानों को बचाने या उनके कब्जे से लाश लाने के लिए पत्रकारों का ही इश्तेमाल किया | ईमानदार और जिम्मेदार पत्रकार अब भी अपने दायित्यों का पालन करता रहेगा , जब भी किसी की जान कीई सुरक्षा का मामला हो |
कारपोरेट घरानों का दलाल आईजी कल्लूरी मुर्दाबाद !!! नक्सलियों के नाम पर आदिवासियों को बेदखल करने की योजना बनाने और क्रियान्वयन में लगे रमन सिंह और नरेन्द्र मोदी मुर्दाबाद !! आदिवासियों की जमीन जंगल और जल पर नजरें गड़ाने और धोखा देकर अपना सम्राज्य खडा कर रहे एस्सार , टाटा , निको , जिंदल , गडकरी आदि सभी कार्पोरेट मुर्दाबाद !!!
[ kamalshukala ]
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