सलवा जुडूम पर कांग्रेस विधायक एकजुट नहीं
जगदलपुर (ब्यूरो)। नक्सल विरोधी अभियान के अगुवा रहे कांग्रेस के दिवंगत नेता महेन्द्र कर्मा के पुत्र छविन्द्र कर्मा व कर्मा समर्थकों द्वारा एक बार फिर नए सिरे से सलवा जुडूम शुरू करने की चर्चा ने इस मुद्दे पर बस्तर संभाग में कांग्रेस विधायकों की एकजुटता को खतरे में डाल दिया है।
बस्तर संभाग में कांग्रेस के आठ विधायक हैं और इनमें से एक दो को छोड़ अन्य सभी व्यक्तिगत रूप से दुबारा सलवा जुडूम शुरू करने के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं। विधायक सलवा जुडूम के मुद्दे पर खुलकर बोलने से भी कतरा रहे हैं। माना जा रहा है कि 25 मई को दंतेवाड़ा में झीरम कांड की बरसी के मौेके पर होने वाली बैठक में भी दंतेवाड़ा के बाहर से कांग्रेस का कोई विधायक शामिल नहीं होगा। उस दिन विधायक स्थानीय समस्याओं को लेकर जगदलपुर में होने वाली रैली में शामिल होंगे। 25 मई को झीरम कांड की बरसी है और उस दिन इस कांड में शहीद हुए नेताओं व अन्य लोगों को श्रद्घांजलि देनें के साथ ही नक्सल विरोधी शांति अभियान शुरू करने को लेकर दंतेवाड़ा में बैठक आयोजित किए जाने की भी चर्चाएं चल रही हैं।
दो माह पहले बस्तर के कांग्रेस के सभी आठ विधायकों ने यहां सर्किट हाऊस में पत्रवार्ता लेकर खुद के एकजुट रहने व बस्तर की स्थानीय समस्याओं को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया था। इस कड़ी में सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा में 28 अप्रेल को विधायक रैली कर चुके हैं। जहां पोलावरम बांध के विरोध व स्थानीय समस्याओं व मांगो को लेकर विधायकों ने शासन-प्रशासन पर जमकर निशाना साधा था। इस रैली में मनोज मंडावी, लखेश्वर बघेल, संतराम नेताम, शंकर धु्रवा, मोहन मरकाम व कवासी लखमा ने हिस्सा लिया था। चित्रकोट विधायक दीपक बैज व दंतेवाड़ा विधायक श्रीमती देवती कर्मा रैली में शािमल नहीं हो सकी थी। कोंटा की रैली के बाद 15 मई को दंतेवाड़ा में आंदोलन करने की तैयारी थी पर सलवा जुडूम का नाम सामने आने के बाद विधायक झिटक गए। इसकी मुख्य वजह भी सलवा जुडूम की चर्चा को ही बताया जा रहा है। दुबारा सलवा जुडूम शुरू करने पर बस्तर में पार्टी के अधिकांश विधायक राजी नहीं हैं। इनका मानना है कि सलवा जुडूम का हश्र पहले ही देख चुके हैं।
विधायक पेशोपेश में फंस गए हैं। यही नहीं कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी दुविधा में हैं। कुछ विधायकों से चर्चा करने पर उनका कहना था कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी का रुख ही उनका रुख है। जहां तक उनके व्यक्तिगत मत का सवाल है बस्तर में वे भी शांति चाहते हैं पर इसके लिए ऐसे किसी अभियान का समर्थन नहीं करते जिसने पहले ही काफी अशांति मचा दी है।
'सलवा जुडूम पर देश की सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला दे दिया है। मैं सर्वोच्च अदालत के फैसले का सम्मान करता हूं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने भी इस अभियान पर अपना रूख पहले ही स्पष्ट कर दिया है इसलिए अलग से मेरी राय का कोई महत्व नहंीं रह जाता है।'
- संतराम नेताम,
विधायक केशकाल
'बस्तर में शांति हो यह प्रदेश का हर व्यक्ति चाहता है। केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार है पर सरकार इस समस्या को हल कर पाने में असफल साबित हो रही है। जहां तक सलवा जुडूम दुबारा शुरू करने की चर्चा का सवाल है मैं इसे लेकर उत्साहित नहंी हूं। पार्टी का अधिकृत मत ही मेरा मत है।'
-लखेश्वर बघेल
विधयक बस्तर
'सलवा जुडूम पर पीसीसी के नेताओं ने पार्टी की राय जाहिर कर दी है। पार्टी की राय ही उनकी राय है। वह व्यक्तिगत रूप से ऐसे हर अभियान के खिलाफ है जिसका रिजल्ट पहले से ही खराब रहा है।'
-कवासी लखमा
विधायक कोंटा
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