Thursday, September 15, 2016

ये ललकार नही हाहाकार है, फिर लूटने-लुटाने की एक नई साजिश की रणनीति का आगाज है।


** ये ललकार नही हाहाकार है, फिर लूटने-लुटाने की एक नई साजिश की रणनीति का आगाज है।

** चिन्नागेलुर, पेद्दागेलुर,लेन्द्रा, नेन्द्रा और भी बस्तर के गांवो में जब महिलाओं के साथ अनाचार, दुष्कर्म हुआ तब ललकार कहा चला गया था?
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*तामेश्वर सिन्हा

चिन्नागेलुर, पेद्दागेलुर,लेन्द्रा, नेन्द्रा और भी बस्तर के गांवो में जब महिलाओं के साथ अनाचार, दुष्कर्म हुआ तब ललकार कहा चला गया था?
अर्जुन, मड़काम हिड्मे और न जाने कितने निर्दोष आदिवासियों को नक्सली बता कर मौत के घाट उतार दिया गया तब ललकार कहा था?

आत्मसमर्पण के नाम पर बेगुनाह आदिवासियों को जेल में ठूसने पर ललकार कहा था?

दर्जनों गांव को लूटमार करने पर ललकार कहा था?

लोकतंत्र की हत्या, आदिवासियों के अधिकार, पुलिस संभाग में तब्दील करते वक्त ललकार कहा था?

जवाब दो उस समय ललकार क्यों नही? क्या आदिवासियों महिलाओं के साथ बलात्कार, बेगुनाहों की ह्त्या,लूटपाट, जेल में ठूसने पर ललकार नही होता है? ये ललकार सिर्फ और सिर्फ एक रणनीति के तहत हो रहा है, जिसका एजेंडा मात्र आग लगाना है।

ये ललकार नही हाहाकार है, फिर लूटने-लुटाने की एक नई साजिश की रणनीति का आगाज है। पुलिसिया नुमाइंदों, सरकार, प्रशासन के साथ मिल कर आदिवासी को मार भागने की कूटनीति है।
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