Thursday, September 15, 2016

8,856 देशद्रोही : तमिलनाडू का एक ऐसा गांव जिसका हर निवासी जी रहा है देशद्रोह के साए में; चार अंक में रिपोर्ट



8,856 देशद्रोही : तमिलनाडू का एक ऐसा गांव जिसका हर निवासी जी रहा है देशद्रोह के साए में; चार अंक में रिपोर्ट





 भाग एक


**चार भाग में प्रकाशित ,संघर्ष संवाद से प्राप्त और  इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित  रिपोर्ट के आधार पर आभार सहित

** 12 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अरुण जनार्दन की  रिपोर्ट (चार  भागों में ) प्रकाशित कर रहे हैं।

***संघर्ष संवाद के लिए इसे राहुल त्रिवेदी ने हिंदी में अनुवाद किया है;

** फोटो: अमृतराज स्टीफेन ।
मंगलवार, 13 सितंबर 2016
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तमिलनाडु के कूडनकुलम में 8,856 से अधिक लोग देशद्रोह और भारतीय राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे मुकदमों में फंसाए गए हैं. आज़ादी के बाद देशद्रोह के मुकदमे इतनी बड़ी संख्या में कूडनकुलम शांतिपूर्ण आंदोलन के खिलाफ लगाए गए हैं, इससे ही यह पता चलता है कि आज की सरकार का लोगों के जीवन व स्वास्थय, प्राकृतिक संसाधनों और उनकी जीविका तथा सुरक्षा को लेकर कोई भी सरोकार नहीं बचा है. इदिनथाकारी गाँव, जिसकी आबादी 10,000 है, अक्टूबर 2011 से गाँव के लोग धारा 124(ए) झेल रहे हैं।

इस गांव के लोगों पर देशद्रोह का फर्जी मुकदमा कूडनकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन करने की वजह से लगाया गया है। 5 सितंबर को कूडनकुलम परमाणु प्लांट विरोधी आंदोलन के अगुवाकर एस. पी. उदयकुमार ने सर्वोच्च न्यायालय में धारा 124(ए) यानि की राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में जीत हासिल की किंतु अभी भी 140 से ज्यादा देशद्रोह के फर्जी केस यहाँ लोगों  पर दर्ज हैं। 5 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय के इस कथन के बाद की की सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं है, देश में एक बार फिर सरकार द्वारा अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को राष्ट्रद्रोह के नाम पर दबाए जाने के सच को जनता के सामने लाकर रख दिया है।

हम यहां पर कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के विरोध में राष्ट्रद्रोह का आरोप झेल रहे 8,856 गांववालों की स्थिति के संबंध में 12 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अरुण जनार्दन की  रिपोर्ट (चार  भागों में ) प्रकाशित कर रहे हैं।

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पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया था कि क्या देशद्रोह नहीं है । लेकिन पांच साल से, अधिकारियों द्वारा मामला लंबा खींचे जाने से, तमिलनाडु का एक पूरा गाँव, जो कि परमाणु संयत्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, धारा 124 ए झेल रहा है। अरुण जनार्धनन की रिपोर्ट


5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की आलोचना देशद्रोह नहीं है, वही देश के सुदूर दक्षिणी क्षेत्र के एक गाँव में सफ़ेद बोर्ड पर आंकड़ा बदल कर 1,846 दिन कर दिया गया ।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ एक मामले पर था, जिसको इदिन्थाकारई के एस. पी. उदयकुमार ने जीता, लेकिन अभी भी 140 से ज्यादा मामले यहाँ के लोगो पर दर्ज है । भारत के देशद्रोह के नक़्शे में, इदिन्थाकारई अभी शून्य पर है । इदिन्थाकारई और कुडनकुलम गाँव में उदयकुमार की अगुवाई में 2011 से कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, जिसमे 8956 लोगों के खिलाफ देशद्रोह के 21 मामले दर्ज किये गए हैं - जो कि पूरे देश में सबसे ज्यादा है ।

कुडनकुलम संयंत्र की 1 इकाई को 10 अगस्त, 2016 को कमीशन किया गया था

इन मामलों में कुछ होने की उम्मीद किसी को भी नहीं है, यहाँ तक कि पुलिस को । लगभग सभी 380 एफ आई आर (जिनमे से 240 सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2014 के आर्डर के बाद वापस ले ली गयी थी) में पहले उदयकुमार का नाम था बाद में पांच या दस दूसरे आरोपियों का नाम है और सभी एफ आई आर के अंत में लिखा है "बाकि 300 या 3000 लोग"। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसा दो वजहों से किया गया - एक तो लोगो को डराने के लिए; दूसरा जब हम 2000 या 5000 लोगों पर कई मामले दर्ज कर रहे थे तो सभी सैकड़ों और हजारों लोगों का नाम लिखना अव्यहवारिक था ।

तो, अब पांच साल से, तमिलनाडु का इदिन्थाकारई गाँव, जिसकी आबादी 10,000 है धारा 124 ए, जो कि देशद्रोह की धारा है, झेल रहा है । ज्यादातर आरोपी जिनके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत 21 दूसरे मामले दर्ज है जिसमे " भारत सरकार के  खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध उकसाने" का मामला है - ऐसा अपराध जिसमे मृत्युदंड तक प्रावधान है ।

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि उनके मामलों की स्थिति क्या है; अधिकांश लोगों ने अपने खिलाफ हुई एफ आई आर तक नहीं देखी है । अभी तक देशद्रोह का कोई भी मामला हटाया नहीं गया है ।

देशद्रोह का पहला मामला (अपराध संख्या 315): 15 अक्टूबर, 2011

कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: 10

6800 मेगा वाट वाला कुडनकुलम परमाणु संयंत्र, जो कि 1988 से चल रहा है और जो इदिन्थाकारई के प्रदर्शन वाली जगह से मात्र आधा किलोमीटर दूर है, के खिलाफ प्रदर्शन 2011 में शुरू हुआ, कमीशनिंग की तारीख से पहले। इस प्रदर्शन की अगुवाई महिलाओं ने की क्योंकि पुरुष ज्यादातर समय मछली लेने के लिए समुद्र पर जाते थे।

एडवोकेट सी रसरथिनम, जिन्हें केस डाक्यूमेंट्स में भी चेम्मानि के नाम से जाना जाता है, ने कहा पहला देशद्रोह का मामला कुडनकुकम जंक्शन के पास रोड रोको आंदोलन के बाद 15 अक्टूबर को दर्ज किया गया। चेम्मानि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े है जो की इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।

उदयकुमार, पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के संयोजक, एक पादरी, फादर माइकल पांडियन जेसुराज को अपराध संख्या 315 में नामित किया गया।

उदयकुमार को सभी 300 एफ आई आर, जिनमे 21 देशद्रोह के मामले, धारा 121 के सभी 21 मामले और 100 आपराधिक मामले शामिल हैं, में मुख्य आरोपी बनाया है। उदयकुमार हँसते हुए कहते  कि ये सिर्फ एक अनुमान है। उन्हें खुद नहीं पता कि इन पांच सालों में उनके ऊपर देशद्रोह के कितने मामले दर्ज है ।

देशद्रोह - 4 सेंट लॉर्ड्स चर्च कंपाउंड में प्रदर्शन के लिए बने पंडाल में बैठी महिला
प्रदर्शनकारियों पर, जिनमे उदयकुमार भी शामिल है, आरोप है कि उन्होंने चर्च से धन लेकर प्रदर्शन किया है। इसने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिलने के आरोपों को भी हवा दे दी।

वी नारायणसामी, तत्कालीन राज्य मंत्री और अभी के पुडुचेरी के मुख्यमंत्री, उन कांग्रेसी नेताओं में से थे जिन्होंने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी पर हमला किया। जब उनसे आरोपों के बारे में पूछा गया तो, नारायणसामी ने कहा, "मैंने तो तभी कहा था जब मैं मंत्रालय में था। अब आप अभी की सरकार से पूछें।" लेकिन क्या आप अभी मानते है कि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिल रही है? "अब आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं?" उन्होंने कहा। "वो सब अब खत्म है."

उदयकुमार के लिए नहीं - हालांकि इतने सारे मामलों के बाद भी उनको अभी तक कोर्ट से कोई समन नहीं मिला है। उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें सिर्फ एक बार हिरासत में लिया गया जब वो दो साल पहले एक कांफ्रेंस के लिए नेपाल जा रहे थे । वे बताते है, "सूत्रों से पता चला कि अभी 35 मामलों में चार्जशीट दायर होने वाली है; बाकि के बारे में मुझे कुछ पता नहीं है।

चेम्मानि कहते है कि इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्यूंकि "वहाँ पर कोई हिंसा नहीं हुई और न ही सार्वजनिक जीवन में कोई व्यवधान पड़ा"। "वे सिर्फ प्रदर्शनकारियों को डराना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि, उदहारण के लिए, जिन लोगो पर मामला दर्ज किया गया है उन्होंने दो साल तक गिरफ्तार होने के डर से गाँव नहीं छोड़ा ।

उदयकुमार ने बताया कि उन लोगों पर आगजनी, तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ नारे लगाने, हत्या के प्रयास, देशद्रोह और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मामले दर्ज किये थे।

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भाग दो

13 सितम्बर 2016 से हमने संघर्ष संवाद पर एक ऐसे गांव की कहानी शुरु की थी जिसके 8,856 ग्रामीण अपने गांव में परमाणु संयंत्र के खिलाफ विरोध करने के एवज में पिछले पांच साल से देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट का दूसरा भाग;


हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2014 के आर्डर के बाद 380 मामलों में से सिर्फ 240 रखे हैं, वहीँ न तो देशद्रोह का कोई मामला हटाया गया है और न ही धारा 121 ए में से कोई मामला हटाया गया है।

उदयकुमार, रेलवे के सेवानिवृत कर्मचारी के बेटे है। इन्होंने केरला विश्विद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की डिग्री हासिल की और इथियोपिया में स्कूल टीचर के तौर पर काम करने बाद उन्होंने अमेरिका से शांति अध्ययन में डॉक्टरेट हासिल किया। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने 2000 जर्मनी के ग्रीन मूवमेंट से प्रेरित होकर ग्रीन पार्टी की शुरुआत की। जल्द ही उन्होंने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की स्थापना की। वो नागरकोइल, जो कि इदिन्थाकारई से 40 किलोमीटर दूर है, में अपनी टीचर पत्नी के साथ रहते है और एक स्कूल चलाते हैं। उनकी पत्नी के खिलाफ भी देशद्रोह का एक मामला दर्ज है क्योंकि वो भी पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की एक मीटिंग का हिस्सा थी।

देशद्रोह के पहले मामले में आरोपी फादर जेसुराज, चेरनमहादेवी से प्रदर्शन में हिस्सा लेने आये थे। वो कुडनकुलम आंदोलन में पढाई के समय से जुड़े हुए है। उन्होंने बताया कि 2011 के बाद मैंने खुद चर्च से विनती की कि मुझे मेरे कर्तव्यों से मुक्त कर दें ताकि मैं इस आंदोलन में हिस्सा ले सकूँ।

फादर जेसुराज को तिरुनेलवेली के बिशप से और दिल्ली के मोंसिगनोर से उनकी गतिविधियों के लिए कई बार चेतावनी भी मिली लेकिन वो फिर भी आंदोलन में शामिल हुए।

इदिन्थाकारई एक ईसाईयों का गाँव है, जहाँ सौ से कम हिन्दू परिवार रहते हैं। व्हाइट बोर्ड जो हर रोज हाथ से लिखा जाता है - अब 1850 तक पहुँच गया है - गाँव के सेंट लॉर्ड्स चर्च के सामने पंडाल में लगा हुआ है जिसमे लगभग 2000 लोग एक साथ बैठ सकते है। मरियम्मन मंदिर रोड के उस पार है।

सुंदरी, जिसने आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा समय जेल में गुजर है, अपने पति के साथ अपने घर पर
शुरुआत में तो चर्च ने अपने को इस आंदोलन से दूर रखा। सुंदरी, जो कि देशद्रोह की आरोपी है और जिन्होंने से सबसे ज्यादा समय जेल में बिताया है, ने बताया, "फादर एफ जयकुमार के पास हमे समर्थन देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था । किसी ने उनसे चर्च कंपाउंड में पंडाल लगाने को लेकर उनसे पूछा ही नहीं।"

एंटोनी केबिस्टन, एक अन्य आरोपी ने बताया, "फादर जयकुमार को भी तिरुनेलवेली के बिशप हाउस से फ़ोन आया कि वो गाँव छोड़ कर चले जाएं लेकिन उनको हमारे साथ खड़े होना पड़ा।"

जल्द ही, जैसे ही पुलिस गाँव में घुसने का प्रयास करती, चर्च की घंटी को जोर जोर से बजाया जाता ताकि गाँव वाले सावधान हो जाएँ और बिल्डिंग को कवर कर लें।

फादर जेसुराज ने उदयकुमार की तरह 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़ा। जेसुराज ने चर्च को बताया कि जब तक उनका कोई प्रतिनिधि संसद में नहीं होगा तब तक उनकी समस्या का समाधान निकलना मुश्किल है। हालाँकि, चर्च पहले इस पर सहमत नहीं था और उनको निलंबित कर दिया। अंततः जेसुराज को चुनावों में 18,650 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। जेसुराज, जो अब फिर से पुजारी हैं, तिरुनेलवेली के पास पलायमकोट्टाई में, कहते हैं कि उन्हें आंदोलन में हिस्सा लेने पर कोई पछतावा नहीं है, हालाँकि "अभी भी तकरीबन 135 मामले हैं, जिनमे से लगभग एक दर्जन देशद्रोह के मामले मेरे ऊपर दर्ज है"।

एंटोनी केबिस्टन कहते हैं कि एक पुजारी की उपस्थिति ने उनके आंदोलन को "सफल और शांतिपूर्ण" बना दिया। "एक तरफ फादर जयकुमार सिर्फ पुजारी थे तो दूसरी तरफ फादर जेसुराज थे जो पुजारी भी थे और प्रदर्शनकारी भी। उन्होंने आगे बढ़ कर इसमें हिस्सा लिया।"

22 नवम्बर 2011 को देशद्रोह का मामला

17 लोगों बुक किया गया; बाकि 600 लोगों को

22 नवम्बर 2012 को देशद्रोह का मामला

17 लोगों बुक किया गया जिसमे 2 महिलाएं भी शामिल है; बाकि 425 लोगों को

7 मई 2012 को उदयकुमार और 2265 लोगों को बुक किया गया

7 मई 2012 को उदयकुमार और 565 लोगों को बुक किया गया

2012 में पहले रिएक्टर की ओपनिंग से पहले, ग्रामीणों ने अपने विरोध को वल्लिईयुर और नागरकोइल जैसे आस पास के गाँवों में और शहरों में बढ़ाया और 20000 लोगों को इस आंदोलन की ओर आकर्षित किया।

सरकार ने हालाँकि संकरनकोविल के 2012 उपचुनावों तक गिरफ़्तारी पर रोक लगाई, जिसके बाद कार्रवाई की मांग शुरू कर दी।

देशद्रोह - 6 गाँव में देशद्रोह के लिए जिन युवाओं को बुक किया गया उनके पासपोर्ट ब्लैक लिस्ट कर दिए गए, इसकी वजह से कई लोगों को अपनी विदेश जाने की योजनाओं को विराम देना पड़ा।

इन एफ आई आर में और बाकियों में भी एक नाम जो बार बार आया वो था एंटोनी केबिस्टन का, जिनकी खुद की स्टेशनरी की दुकान है इदिन्थाकारई; पुष्परायण और मुगिलन, कार्यकर्ता जो इदिन्थाकारई आये थे इन गाँव वालों का समर्थन करने; मिल्टन, आंदोलन के मुखिया में से एक; सुंदरी, 46 वर्षीय महिला, जिन्होंने तमिलनाडु और गाँव के बाहर की रैलियों की अगुवाई की; एक 65 वर्षीय आंशिक रूप से अंधे दिहाड़ी मजदूर, आदि लिंगम और फादर जयकुमार।

एफ आई आर दिखाती हैं कि सारे मामले तीन पुलिस थानों में दर्ज हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी, जो कुडनकुलम में तैनात थे, ने बताया मामले पज़ह्वूर थाने और राधापुरम थाने के कहने पर कुडनकुलम थाने में दर्ज किये गए।

"एक डीएसपी रैंक के अधिकारी जो उस समय राधापुरम में तैनात थे ने अपने अधिकारियों के निर्देश पर स्थानीय थानों के लिए अंतिम निर्देश जारी किये। पुलिस के एक इंस्पेक्टर जनरल और साउथ जोन के डिप्टी आईजी ने सीधे तौर पर स्थिति पर नज़र रखी," नाम न लिखे जाने की शर्त पर उन्होंने बताया।

केबिस्टन, जिनके ऊपर देशद्रोह समेत सैकड़ों मामले दर्ज हैं, ने "मीडिया विंग" संभाला। उन्होंने बताया, "मेरे पास बीएसएनएल का डायल-अप कनेक्शन था जिस से मैं आंदोलन के लाइव अपडेट करता था।" एक विडियो, जिसमे उनकी तीन साल की बेटी, नीलोफर, परमाणु विरोधी गाने गा रही है, उन्होंने पोस्ट किया और वो वायरल हो गया।

"वो गाती थी और नारे लगाती थी। वो जयललिता को भी डांट लगाती थी। एक दिन, कुछ शरारती तत्व आये और हमारी दुकान में आग लगा दी। उस हादसे के बाद नीलोफर डर गयी, " केबिस्टन की पत्नी महेस्वरी ने बताया, जो विरोध में दस दिन से उपवास पर हैं।

केबिस्टन तीन सालों तक गाँव छोड़ कर नहीं जा सके क्यूंकि ऐसा डर था कि अगर वो बाहर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा (कुछ जंगल के रास्तों को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ एक ही रोड इदिन्थाकारई को बाकि दुनिया से जोड़ती है वो कुडनकुलम से होकर जाती है)। जब उनकी बहन की शादी हुई तो उन्हें दूल्हे के गाँव जंगल से लेकर जाना पड़ा," उन्होंने बताया।

44 वर्षीय मिल्ड्रेड राज और उनके तीन बच्चे अभी भी आंदोलन का हिस्सा है। "हम तब तक इसमें हिस्सा लेंगे जब तक हमे सफलता नहीं मिल जाती," वे कहती हैं।

44 वर्षीय मिल्ड्रेड राज और उनके तीन बच्चे भी आंदोलन का हिस्सा है। भले ही उन पर देशद्रोह का मामला हो और सैकड़ों मामले दर्ज हो वो फिर भी रोजाना चर्च पर आती है। उनके दो बेटे हैं जिनकी उम्र 20 और 18 वर्ष की है और एक बेटी है जिसकी उम्र 19 वर्ष है। बेटों के पास इंजीनियरिंग और समुद्री अध्ययन का डिप्लोमा है वहीँ उनकी बेटी अभी कॉलेज में पढ़ रही है। "हम तब तक यहाँ आते रहेंगे जब तक हम सफल नहीं होंगे," मिल्ड्रेड कहती हैं।

मिल्ड्रेड मानती हैं कि मुझे परमाणु ऊर्जा की बारीकियों के बारे में नहीं पता। लेकिन वे पूछती हैं, "जब ये इतना ही सुरक्षित है तो क्यूँ दर्जनों बार इसे आपातकालीन स्थिति में बंद किया गया और उत्पादन में कमी क्यूँ हुई? कमीशनिंग टेस्ट बार बार फेल क्यूँ हुए और डेडलाइन्स क्यूँ आगे बढ़ाई गयी? कितने वैज्ञानिकों को सुरक्षा मानकों का उलन्घन करने पर सज़ा मिली?

68 वर्षीय लीला, जिन पर भी बहुत सारे आपराधिक मामले दर्ज हैं, मिल्ड्रेड के साथ ही थीं जब उन पर तिरुनेलवेली कलेक्टरेट पर हिन्दू कैडर के मुन्नानी लोगों उन पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगा कर हमला कर दिया और उदयकुमार को इसाईओं का एजेंट बताया।

"उन्होंने हेलमेट पहना हुआ था और हम पर हमला कर दिया," लीला, जो लगभग पूरा दिन आंदोलन में बिताती है। वो हँसते हुए कहती हैं, "क्या आपको लगता है कि मैं यहाँ मरूँगी?"
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 भाग तीन

13 सितम्बर 2016 से हमने संघर्ष संवाद पर एक ऐसे गांव की कहानी शुरु की थी जिसके 8,856 ग्रामीण अपने गांव में परमाणु संयंत्र के खिलाफ विरोध करने के एवज में पिछले पांच साल से देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे हैं। पढ़िए रिपोर्ट का तीसरा भाग;


सितंबर 2012 में देशद्रोह के 6 मामले
सितंबर 10
कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: एक मामले में 49 लोगों पर नामजद मामला और 100 लोगों पर; दुसरे मामले में 48 लोगों पर नामजद मामला और 300 लोगों पर; तीसरे मामले में 18 लोगों पर नामजद मामला और 50 लोगों पर; चौथे मामले में उदयकुमार पर और 5000 लोगों पर (जिसे बाद में 2000 लोगों पर किया गया)

सितंबर 11

कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: एक दर्जन लोगों के साथ 3400 लोगों पर

सितंबर 2012 में पुलिस ने उन महिलाओं और बच्चों पर लाठीचार्ज किया जो सेंट लॉर्ड्स चर्च में प्रदर्शन वाली जगह में जाना चाह रहे थे।

10 सितंबर को 5500 लोगों पर देशद्रोह के चार मामले दर्ज किये गए, अपराध संख्या 345 में ही 5000 लोगों से ज्यादा पर मामला दर्ज किया गया। 11 सितंबर को 3000 लोगों पर देशद्रोह के दो और मामले दर्ज किये गए।

चालीस वर्षीय सुंदरी, जिसने त्रिची जेल में 98 दिन गुजारे और जिस पर एक दर्जन देशद्रोह के मामले सहित 300 से ज्यादा मामले दर्ज है, को 10 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। सुंदरी प्रदर्शन कर रही महिलाओं की मुखिया थी जिसमे लगभग 85 सदस्य है और जो सैकड़ों बाकि लोगों से समन्वय स्थापित करती है।

जब सुंदरी जेल में थी जो उनके बच्चों, नौ साल का बेटा और दस साल की बेटी, की जिम्मेदारी उनके पति पर आ गयी। सुंदरी ने बताया, "जब मुझे कोर्ट ले जाया जाता था तो पुलिस मेरे बच्चों को मेरे पास  नहीं आने देती थी। वो रोते थे और पुलिस की गाडी के आस पास दौड़ते थे जब तक वो वहां से चली नहीं जाती थी।" आगे उन्होंने बताया कि सिर्फ उसी वक़्त वो रोयीं थी। जब वो विश्वास के साथ अपने काम में लगी हुई थी, तब उन्हें लगा कि वो अपने माँ होने के कर्तव्य का पालन ठीक से नहीं कर पा रही थी।

बाद में उन्होंने 'इदिन्थाकारई का उग्र संघर्ष' नाम से एक किताब जेल से ही लिखी। जेल में बिताये गए दिनों में और जेल के अपने बाकी साथियों के किस्सों में एक वो भी किस्सा है जिसमे वो अपने पति को खाने की विधि फ़ोन पर बताती थी क्योंकि उनके पति को खाना बनाना नहीं आता था।

देशद्रोह के मामले में सुंदरी ने सबसे ज्यादा समय जेल में गुजारा है। "मैं उन 7 महिलाओं और 63 पुरुषों में से एक थी जिन्हें 10 सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया गया था। उनमे से 4 महिलाओं को 45 दिन बाद जमानत मिल गयी थी वही बाकि दो को 80 दिन बाद छोड़ दिया गया था। चूँकि मैं एक आतंकवादी थी तो मुझे मद्रास हाई कोर्ट जाना पड़ा तब मुझे 98 दिनों के बाद सशर्त जमानत मिली।"

उन्हें इस शर्त पर जमानत मिली कि उन्हें दो महीने तक रोज मदुरै स्थित तीनों पुलिस थानों में जाकर हाजिरी लगानी होगी जो कि उनके गाँव से 240 किलोमीटर दूर है। अपने गाँव लौटने से पहले उन दो महीनों के लिए वो मदुरै स्थित एक हॉस्टल में रही जहाँ उन्हें कुडनकुलम पुलिस थाने में 6 महीने तक हाजिरी लगानी थी।

सुंदरी बताती है, "सभी, यानि कि पुलिस, सरकार और यहाँ तक कि कोर्ट, ने भी उनके संघर्ष को हराने की कोशिश की। न कभी सरकार नें और न ही कभी कोर्ट ने ये जानने की कोशिश की कि उन पर कौन से चार्ज लगाए गए है। उल्टा उन्होंने हमे दूर दूर स्थित जेलों में भेज ताकि वो हमे परेशान कर सकें।"

देशद्रोह - 7 कथित तौर पर सुरक्षा का उल्लंघन करने पर और समय सीमा स्थगित करने पर वे कहते है कि सभी आंशिक रूप गलत शिकायतें थीं।

सुंदरी के ससुराल वालों ने देशद्रोह का तमगा लगने के चलते परिवार कर बहिष्कार कर दिया है।

गाँव के बहुत सारे युवाओं को अपने विदेश जाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा क्योंकि उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज है और उनके पासपोर्ट ब्लैक लिस्ट कर दिए गए हैं। बहुत सारे युवाओं को अपने पासपोर्ट आवेदनों के संसाधित होने का इंतजार करना पड़ा। इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किये छब्बीस वर्षीय के विनोद का पासपोर्ट चार साल पहले ब्लॉक कर दिया गया था, उनको दो महीने पहले ही अपना पासपोर्ट वापस मिला है। विनोद ने बताया, "मुझे दुबई से तीन तीन नौकरियों के लिए बुलावा आया था जिनमे से एक कंपनी तो मुझे डेढ़ लाख रुपये महीने दे रही थी, अब मेरे पास कुछ नहीं है। उन्होंने कभी भी साफ़ तौर पर ये नहीं बताया कि मेरा पासपोर्ट क्यूँ नहीं क्लियर किया गया जबकि उनके पास मेरे खिलाफ दर्ज मामलों में ही कोई सीधा जवाब नहीं था।"

10 अगस्त 2016: 1000 मेगा वाट की क्षमता वाले केएनपीपी को कमीशन किया गया

देशद्रोह के 21 मामले अभी भी हैं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तमिलनाडु की मुख्य मंत्री ने एक साथ कुडनकुकम परमाणु संयत्र की एक इकाई को दुनिया के सबसे सुरक्षित संयत्रों में से एक बताते हुए कमीशन किया। उन्होंने ऐसा विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये किया जब मोदी दिल्ली में थे, पुतिन मास्को में थे और जयललिता चेन्नई में थी।

केएनपीपी साइट के निदेशक आर एस सुन्दर कहते हैं कि गाँव वालों को परमाणु ऊर्जा के बारे में पता नहीं है फिर भी वो इस पर आरोप लगा रहे हैं। "हम उनसे कई बार मिले और उनको कई बार ये समझाया कि ये सुरक्षित है। लेकिन वो ऐसे प्रश्न पूछते है कि जिनकी उनको कोई जानकारी नहीं है," उन्होंने बताया।

सुरक्षा के उल्लंघन पर और समय सीमा के स्थगन के कथित आरोपों पर उन्होंने कहा कि सारी शिकायतें आंशिक रूप से गलत है। वे कहते हैं, "कई एजेंसियों ने और केंद्र के विशेषज्ञों ने सभी आवश्यक मंजूरियों को प्रमाणित किया है। दुर्भाग्यवश गाँव वाले ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे व्यक्ति की बात मानने को भी तैयार नहीं है।"

कमीशनिंग वाले दिन भी घुमावदार सड़क के अंत में जहाँ इदिन्थाकारई में कुछ मुट्ठी भर महिलाएं अपना विरोध दर्ज कराने के लिए चर्च के पास एकत्रित हो गयी। एक दर्जन औरतें तो यहाँ हर रात सोती भी थीं।

सुंदरी, जो प्रदर्शन वाली जगह पर अक्सर आती है, बताती है कि उनकी गृहणी से एक "खूंखार नेता" तक का सफर एक साल में पूरा हुआ। "मैं उन महिलाओं में से थी जो सिर्फ पिक्चर और नाटक देखती थी। अब मैं पहले खबरें देखती हूँ।"

सुंदरी कहती है कि सरकार की ये बात कि परमाणु संयत्र पूरी तरह से सुरक्षित है हज़म नहीं होती। "शहरी लोगों के लिए हम अनपढ़ होंगे क्यूंकि वो समझते है कि वो अंग्रेजी जानते हैं। इसलिए वो चाहते है कि ये परमाणु संयत्र हमारे यहाँ लग जाए ताकि उनके उपभोग की सभी जरूरतें उससे पूरी हो जाएँ। लेकिन हमे पता है कि सुरक्षित क्यूँ नहीं है, हमे पता है कि हमारी सरकार कितनी योग्य है। जब 2004 में सुनामी आया था तब न तो कोई हमे बचाने आया और न ही हमारी नावों को। सरकार के पास जरूरी संसाधनों के बावजूद वो ये पता नहीं कर पाए कि सुनामी आ रही है। सरकार इतनी भी समर्थ नहीं है कि वो एक खोया हुआ जहाज ढूंढ लें या समुद्र में खोये हुए सैनिकों को ढूंढ ले। और वो चाहते है कि हम उनकी बात मान लें कि ये संयत्र सुरक्षित है? हमे अपनी लड़ाई अकेले लड़नी है।"

आईजी रैंक एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी है और ऐसे मामले आमतौर पर छ महीने में बंद कर दिए जाते है। "हम फाइल में लिख देते है कि 'आगे की कार्यवाई खत्म'। लेकिन कुडनकुलम और इदिन्थाकारई वाले मामले पेचीदा है क्योंकि हमे गांववालों पर नज़र रखनी पड़ती थी। इन आरोपों को बनाये रखने से उनका गुस्सा ठंडा पद सकता है; 8000 से ज्यादा लोगों पर मामले दर्ज है जिससे उन लोगों में यह डर होगा कि वे लोग ऐसे प्रदर्शन फिर से न करें।"

जब उनसे आगे की कार्यवाई के बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा कि अब जांच के लिए या चार्जशीट दायर करने के लिए कुछ नहीं है। "ये मामले जो दर्ज हुए है वो लोगों में डर कायम करेंगे। जब मैं पांच साल बाद इसकी तरफ देखता हूँ तो समझ में आता है कि उन 8000 लोगों पर जो मामले धारा 121 और 124 ए के तहत दर्ज किये गए उनसे काम हुआ है।

सुंदरी का कहना है कि सरकार को इतना निश्चिन्त नहीं होना चाहिए। इदिन्थाकारई के समुद्र के किनारे जिसको 'ब्रोकन कोस्ट' यानि 'टूटा हुआ तट' कहा जाता है खड़ी होकर सुंदरी कहती है अब उनको इससे ये फर्क नहीं पड़ता कि उन पर कितने मामले दर्ज हो रहे हैं। "वो हमे आतंकवादी कहते है तो कहने दो। हमे पता है हम कौन है।" 5 सितंबर को इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की आलोचना देशद्रोह के अन्तर्गत नहीं आता, देश के सुदूर दक्षिणी हिस्से के गाँव में व्हाइट बोर्ड का आंकड़ा बदल कर 1846 कर दिया गया।

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 भाग चार

13 सितम्बर 2016 से हमने संघर्ष संवाद पर एक ऐसे गांव की कहानी शुरु की थी जिसके 8,856 ग्रामीण अपने गांव में परमाणु संयंत्र के खिलाफ विरोध करने के एवज में पिछले पांच साल से देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे हैं।

 पढ़िए रिपोर्ट का अंतिम और चौथा भाग;

देशद्रोह - 8 ज्यादातर लोगों को अपने केस की स्थिति का पता भी नहीं है; उनमे से बहुतों ने तो अपने खिलाफ हुई एफआईआर का पता भी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ एक मामले में था जो इदिन्थाकारई के एस पी उदयकुमार के पक्ष में आया था लेकिन गांववालों के खिलाफ 140 और मामले दर्ज है। देशद्रोह के भारतीय इतिहास में इदिन्थाकारई ग्राउंड जीरो पर है। कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयत्र (केएनपीपी) के खिलाफ प्रदर्शन जो कि इस गाँव में और कुडनकुलम गाँव में 2011 से उदयकुमार के नेतृत्व में चल रहा है उसमे 8956 लोगों पर देशद्रोह के 21 मामले दर्ज है - जो कि हमारे देश में सबसे ज्यादा है।

हालाँकि इन मामलों से कुछ होगा ऐसा किसी को उम्मीद नहीं है - पुलिस को भी नहीं। सभी 380 एफआईआर (जिनमे से 240 अक्टूबर 2014 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वापस ले ली गयी थी) में उदयकुमार और पांच से दस बाकि लोगों को अभियुक्त बनाया गया है और उनमे आखिर में लिखा 300 या 3000 लोग और। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि ऐसा दो वजहों से किया गया - लोगों को डराने के लिए क्योंकि ऐसे में कोई भी हो सकता था और दूसरा सभी सैकड़ों हजारों लोगों का नाम एक साथ लिखना नामुमकिन था।

तो, अब पांच साल से, तमिलनाडु का इदिन्थाकारई गाँव, जिसकी आबादी 10,000 है धारा 124 ए, जो कि देशद्रोह की धारा है, झेल रहा है । ज्यादातर आरोपी जिनके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत 21 दूसरे मामले दर्ज है जिसमे " भारत सरकार के  खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध उकसाने" का मामला है - ऐसा अपराध जिसमे मृत्युदंड तक प्रावधान है ।

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि उनके मामलों की स्थिति क्या है; अधिकांश लोगों ने अपने खिलाफ हुई एफ आई आर तक नहीं देखी है । अभी तक देशद्रोह का कोई भी मामला हटाया नहीं गया है ।

देशद्रोह का पहला मामला (अपराध संख्या 315): 15 अक्टूबर, 2011

कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: 10

6800 मेगा वाट वाला कुडनकुलम परमाणु संयंत्र, जो कि 1988 से चल रहा है और जो इदिन्थाकारई के प्रदर्शन वाली जगह से मात्र आधा किलोमीटर दूर है, के खिलाफ प्रदर्शन 2011 में शुरू हुआ, कमीशनिंग की तारीख से पहले। इस प्रदर्शन की अगुवाई महिलाओं ने की क्योंकि पुरुष ज्यादातर समय मछली लेने के लिए समुद्र पर जाते थे।

एडवोकेट सी रसरथिनम, जिन्हें केस डाक्यूमेंट्स में भी चेम्मानि के नाम से जाना जाता है, ने कहा पहला देशद्रोह का मामला कुडनकुकम जंक्शन के पास रोड रोको आंदोलन के बाद 15 अक्टूबर को दर्ज किया गया। चेम्मानि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े है जो की इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।

उदयकुमार, पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के संयोजक, एक पादरी, फादर माइकल पांडियन जेसुराज को भी अपराध संख्या 315 में नामित किया गया।

उदयकुमार को सभी 300 एफ आई आर, जिनमे 21 देशद्रोह के मामले, धारा 121 के सभी 21 मामले और 100 आपराधिक मामले शामिल हैं, में मुख्य आरोपी बनाया है। उदयकुमार हँसते हुए कहते  कि ये सिर्फ एक अनुमान है। उन्हें खुद नहीं पता कि इन पांच सालों में उनके ऊपर देशद्रोह के कितने मामले दर्ज है ।

प्रदर्शनकारियों पर, जिनमे उदयकुमार भी शामिल है, आरोप है कि उन्होंने चर्च से धन लेकर प्रदर्शन किया है। इसने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिलने के आरोपों को भी हवा दे दी।

वी नारायणसामी, तत्कालीन राज्य मंत्री और अभी के पुडुचेरी के मुख्यमंत्री, उन कांग्रेसी नेताओं में से थे जिन्होंने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी पर हमला किया। जब उनसे आरोपों के बारे में पूछा गया तो, नारायणसामी ने कहा, "मैंने तो तभी कहा था जब मैं मंत्रालय में था। अब आप अभी की सरकार से पूछें।" लेकिन क्या आप अभी मानते है कि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिल रही है? "अब आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं?" उन्होंने कहा। "वो सब अब खत्म है."

उदयकुमार के लिए नहीं - हालांकि इतने सारे मामलों के बाद भी उनको अभी तक कोर्ट से कोई समन नहीं मिला है। उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें सिर्फ एक बार हिरासत में लिया गया जब वो दो साल पहले एक कांफ्रेंस के लिए नेपाल जा रहे थे । वे बताते है, "सूत्रों से पता चला कि अभी 35 मामलों में चार्जशीट दायर होने वाली है; बाकि के बारे में मुझे कुछ पता नहीं है।

चेम्मानि कहते है कि इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्यूंकि "वहाँ पर कोई हिंसा नहीं हुई और न ही सार्वजनिक जीवन में कोई व्यवधान पड़ा"। "वे सिर्फ प्रदर्शनकारियों को डराना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि, उदहारण के लिए, जिन लोगो पर मामला दर्ज किया गया है उन्होंने दो साल तक गिरफ्तार होने के डर से गाँव नहीं छोड़ा ।

उदयकुमार ने बताया कि उन लोगों पर आगजनी, तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ नारे लगाने, हत्या के प्रयास, देशद्रोह और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मामले दर्ज किये थे।
हालाँकि सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2014 के आर्डर के बाद 380 मामलों में से सिर्फ 240 रखे हैं, वहीँ न तो देशद्रोह का कोई मामला हटाया गया है और न ही धारा 121 ए में से कोई मामला हटाया गया है।

उदयकुमार, रेलवे के सेवानिवृत कर्मचारी के बेटे है। इन्होंने केरला विश्विद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में परास्नातक की डिग्री हासिल की और इथियोपिया में स्कूल टीचर के तौर पर काम करने बाद उन्होंने अमेरिका से शांति अध्ययन में डॉक्टरेट हासिल किया। अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने 2000 जर्मनी के ग्रीन मूवमेंट से प्रेरित होकर ग्रीन पार्टी की शुरुआत की। जल्द ही उन्होंने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की स्थापना की। वो नागरकोइल, जो कि इदिन्थाकारई से 40 किलोमीटर दूर है, में अपनी टीचर पत्नी के साथ रहते है और एक स्कूल चलाते हैं। उनकी पत्नी के खिलाफ भी देशद्रोह का एक मामला दर्ज है क्योंकि वो भी पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी की एक मीटिंग का हिस्सा थी।

देशद्रोह के पहले मामले में आरोपी फादर जेसुराज, चेरनमहादेवी से प्रदर्शन में हिस्सा लेने आये थे। वो कुडनकुलम आंदोलन में पढाई के समय से जुड़े हुए है। उन्होंने बताया कि 2011 के बाद मैंने खुद चर्च से विनती की कि मुझे मेरे कर्तव्यों से मुक्त कर दें ताकि मैं इस आंदोलन में हिस्सा ले सकूँ।

फादर जेसुराज को तिरुनेलवेली के बिशप से और दिल्ली के मोंसिगनोर से उनकी गतिविधियों के लिए कई बार चेतावनी भी मिली लेकिन वो फिर भी आंदोलन में शामिल हुए।

इदिन्थाकारई एक ईसाईयों का गाँव है, जहाँ सौ से कम हिन्दू परिवार रहते हैं। व्हाइट बोर्ड जो हर रोज हाथ से लिखा जाता है - अब 1850 तक पहुँच गया है - गाँव के सेंट लॉर्ड्स चर्च के सामने पंडाल में लगा हुआ है जिसमे लगभग 2000 लोग एक साथ बैठ सकते है। मरियम्मन मंदिर रोड के उस पार है।

सुंदरी, जिसने आंदोलन के चलते सबसे ज्यादा समय जेल में गुजारा है, अपने पति के साथ अपने घर पर
शुरुआत में तो चर्च ने अपने को इस आंदोलन से दूर रखा। सुंदरी, जो कि देशद्रोह की आरोपी है और जिन्होंने से सबसे ज्यादा समय जेल में बिताया है, ने बताया, "फादर एफ जयकुमार के पास हमे समर्थन देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था । किसी ने उनसे चर्च कंपाउंड में पंडाल लगाने को लेकर उनसे पूछा ही नहीं।"

एंटोनी केबिस्टन, एक अन्य आरोपी ने बताया, "फादर जयकुमार को भी तिरुनेलवेली के बिशप हाउस से फ़ोन आया कि वो गाँव छोड़ कर चले जाएं लेकिन उनको हमारे साथ खड़े होना पड़ा।"

जल्द ही, जैसे ही पुलिस गाँव में घुसने का प्रयास करती, चर्च की घंटी को जोर जोर से बजाया जाता ताकि गाँव वाले सावधान हो जाएँ और बिल्डिंग को कवर कर लें।

फादर जेसुराज ने उदयकुमार की तरह 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोक सभा चुनाव लड़ा। जेसुराज ने चर्च को बताया कि जब तक उनका कोई प्रतिनिधि संसद में नहीं होगा तब तक उनकी समस्या का समाधान निकलना मुश्किल है। हालाँकि, चर्च पहले इस पर सहमत नहीं था और उनको निलंबित कर दिया। अंततः जेसुराज को चुनावों में 18,650 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। जेसुराज, जो अब फिर से पुजारी हैं, तिरुनेलवेली के पास पलायमकोट्टाई में, कहते हैं कि उन्हें आंदोलन में हिस्सा लेने पर कोई पछतावा नहीं है, हालाँकि "अभी भी तकरीबन 135 मामले हैं, जिनमे से लगभग एक दर्जन देशद्रोह के मामले मेरे ऊपर दर्ज है"।

एंटोनी केबिस्टन कहते हैं कि एक पुजारी की उपस्थिति ने उनके आंदोलन को "सफल और शांतिपूर्ण" बना दिया। "एक तरफ फादर जयकुमार सिर्फ पुजारी थे तो दूसरी तरफ फादर जेसुराज थे जो पुजारी भी थे और प्रदर्शनकारी भी। उन्होंने आगे बढ़ कर इसमें हिस्सा लिया।"

22 नवम्बर 2011 को देशद्रोह का मामला

17 लोगों बुक किया गया; बाकि 600 लोगों को

22 नवम्बर 2012 को देशद्रोह का मामला

17 लोगों बुक किया गया जिसमे 2 महिलाएं भी शामिल है; बाकि 425 लोगों को

7 मई 2012 को उदयकुमार और 2265 लोगों को बुक किया गया

7 मई 2012 को उदयकुमार और 565 लोगों को बुक किया गया

2012 में पहले रिएक्टर की ओपनिंग से पहले, ग्रामीणों ने अपने विरोध को वल्लिईयुर और नागरकोइल जैसे आस पास के गाँवों में और शहरों में बढ़ाया और 20000 लोगों को इस आंदोलन की ओर आकर्षित किया।

सरकार ने हालाँकि संकरनकोविल के 2012 उपचुनावों तक गिरफ़्तारी पर रोक लगाई, जिसके बाद कार्रवाई की मांग शुरू कर दी।

इन एफआईआर में और बाकियों में भी एक नाम जो बार बार आया वो था एंटोनी केबिस्टन का, जिनकी खुद की स्टेशनरी की दुकान है इदिन्थाकारई; पुष्परायण और मुगिलन, कार्यकर्ता जो इदिन्थाकारई आये थे इन गाँव वालों का समर्थन करने; मिल्टन, आंदोलन के मुखिया में से एक; सुंदरी, 46 वर्षीय महिला, जिन्होंने तमिलनाडु और गाँव के बाहर की रैलियों की अगुवाई की; एक 65 वर्षीय आंशिक रूप से अंधे दिहाड़ी मजदूर, आदि लिंगम और फादर जयकुमार।

एफआईआर दिखाती हैं कि सारे मामले तीन पुलिस थानों में दर्ज हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी, जो कुडनकुलम में तैनात थे, ने बताया मामले पज़ह्वूर थाने और राधापुरम थाने के कहने पर कुडनकुलम थाने में दर्ज किये गए।

"एक डीएसपी रैंक के अधिकारी जो उस समय राधापुरम में तैनात थे ने अपने अधिकारियों के निर्देश पर स्थानीय थानों के लिए अंतिम निर्देश जारी किये। पुलिस के एक इंस्पेक्टर जनरल और साउथ जोन के डिप्टी आईजी ने सीधे तौर पर स्थिति पर नज़र रखी," नाम न लिखे जाने की शर्त पर उन्होंने बताया।

केबिस्टन, जिनके ऊपर देशद्रोह समेत सैकड़ों मामले दर्ज हैं, ने "मीडिया विंग" संभाला। उन्होंने बताया, "मेरे पास बीएसएनएल का डायल-अप कनेक्शन था जिस से मैं आंदोलन के लाइव अपडेट करता था।" एक विडियो, जिसमे उनकी तीन साल की बेटी, नीलोफर, परमाणु विरोधी गाने गा रही है, उन्होंने पोस्ट किया और वो वायरल हो गया।

"वो गाती थी और नारे लगाती थी। वो जयललिता को भी डांट लगाती थी। एक दिन, कुछ शरारती तत्व आये और हमारी दुकान में आग लगा दी। उस हादसे के बाद नीलोफर डर गयी, " केबिस्टन की पत्नी महेस्वरी ने बताया, जो विरोध में दस दिन से उपवास पर हैं।

केबिस्टन तीन सालों तक गाँव छोड़ कर नहीं जा सके क्यूंकि ऐसा डर था कि अगर वो बाहर गए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा (कुछ जंगल के रास्तों को छोड़ दिया जाए तो सिर्फ एक ही रोड इदिन्थाकारई को बाकि दुनिया से जोड़ती है वो कुडनकुलम से होकर जाती है)। जब उनकी बहन की शादी हुई तो उन्हें दूल्हे के गाँव जंगल से लेकर जाना पड़ा," उन्होंने बताया।

44 वर्षीय मिल्ड्रेड राज और उनके तीन बच्चे अभी भी आंदोलन का हिस्सा है। "हम तब तक इसमें हिस्सा लेंगे जब तक हमे सफलता नहीं मिल जाती," वे कहती हैं।

44 वर्षीय मिल्ड्रेड राज और उनके तीन बच्चे भी आंदोलन का हिस्सा है। भले ही उन पर देशद्रोह का मामला हो और सैकड़ों मामले दर्ज हो वो फिर भी रोजाना चर्च पर आती है। उनके दो बेटे हैं जिनकी उम्र 20 और 18 वर्ष की है और एक बेटी है जिसकी उम्र 19 वर्ष है। बेटों के पास इंजीनियरिंग और समुद्री अध्ययन का डिप्लोमा है वहीँ उनकी बेटी अभी कॉलेज में पढ़ रही है। "हम तब तक यहाँ आते रहेंगे जब तक हम सफल नहीं होंगे," मिल्ड्रेड कहती हैं।

मिल्ड्रेड मानती हैं कि मुझे परमाणु ऊर्जा की बारीकियों के बारे में नहीं पता। लेकिन वे पूछती हैं, "जब ये इतना ही सुरक्षित है तो क्यूँ दर्जनों बार इसे आपातकालीन स्थिति में बंद किया गया और उत्पादन में कमी क्यूँ हुई? कमीशनिंग टेस्ट बार बार फेल क्यूँ हुए और डेडलाइन्स क्यूँ आगे बढ़ाई गयी? कितने वैज्ञानिकों को सुरक्षा मानकों का उलन्घन करने पर सज़ा मिली?

68 वर्षीय लीला, जिन पर भी बहुत सारे आपराधिक मामले दर्ज हैं, मिल्ड्रेड के साथ ही थीं जब उन पर तिरुनेलवेली कलेक्टरेट पर हिन्दू कैडर के मुन्नानी लोगों उन पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगा कर हमला कर दिया और उदयकुमार को इसाईओं का एजेंट बताया।

"उन्होंने हेलमेट पहना हुआ था और हम पर हमला कर दिया," लीला, जो लगभग पूरा दिन आंदोलन में बिताती है। वो हँसते हुए कहती हैं, "क्या आपको लगता है कि मैं यहाँ मरूँगी?"

सितंबर 2012 में देशद्रोह के 6 मामले
सितंबर 10
कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: एक मामले में 49 लोगों पर नामजद मामला और 100 लोगों पर; दुसरे मामले में 48 लोगों पर नामजद मामला और 300 लोगों पर; तीसरे मामले में 18 लोगों पर नामजद मामला और 50 लोगों पर; चौथे मामले में उदयकुमार पर और 5000 लोगों पर (जिसे बाद में 2000 लोगों पर किया गया)
सितंबर 11
कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: एक दर्जन लोगों के साथ 3400 लोगों पर

सितंबर 2012 में पुलिस ने उन महिलाओं और बच्चों पर लाठीचार्ज किया जो सेंट लॉर्ड्स चर्च में प्रदर्शन वाली जगह में जाना चाह रहे थे।

10 सितंबर को 5500 लोगों पर देशद्रोह के चार मामले दर्ज किये गए, अपराध संख्या 345 में ही 5000 लोगों से ज्यादा पर मामला दर्ज किया गया। 11 सितंबर को 3000 लोगों पर देशद्रोह के दो और मामले दर्ज किये गए।

चालीस वर्षीय सुंदरी, जिसने त्रिची जेल में 98 दिन गुजारे और जिस पर एक दर्जन देशद्रोह के मामले सहित 300 से ज्यादा मामले दर्ज है, को 10 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। सुंदरी प्रदर्शन कर रही महिलाओं की मुखिया थी जिसमे लगभग 85 सदस्य है और जो सैकड़ों बाकि लोगों से समन्वय स्थापित करती है।

देशद्रोह - 11 सुंदरी ने देशद्रोह के आरोप में बाकि महिला प्रदर्शनकारियों से ज्यादा समय जेल में बिताया है।

जब सुंदरी जेल में थी जो उनके बच्चों, नौ साल का बेटा और दस साल की बेटी, की जिम्मेदारी उनके पति पर आ गयी। सुंदरी ने बताया, "जब मुझे कोर्ट ले जाया जाता था तो पुलिस मेरे बच्चों को मेरे पास  नहीं आने देती थी। वो रोते थे और पुलिस की गाडी के आस पास दौड़ते थे जब तक वो वहां से चली नहीं जाती थी।" आगे उन्होंने बताया कि सिर्फ उसी वक़्त वो रोयीं थी। जब वो विश्वास के साथ अपने काम में लगी हुई थी, तब उन्हें लगा कि वो अपने माँ होने के कर्तव्य का पालन ठीक से नहीं कर पा रही थी।

बाद में उन्होंने 'इदिन्थाकारई का उग्र संघर्ष' नाम से एक किताब जेल से ही लिखी। जेल में बिताये गए दिनों में और जेल के अपने बाकी साथियों के किस्सों में एक वो भी किस्सा है जिसमे वो अपने पति को खाने की विधि फ़ोन पर बताती थी क्योंकि उनके पति को खाना बनाना नहीं आता था।

देशद्रोह के मामले में सुंदरी ने सबसे ज्यादा समय जेल में गुजारा है। "मैं उन 7 महिलाओं और 63 पुरुषों में से एक थी जिन्हें 10 सितंबर 2012 को गिरफ्तार किया गया था। उनमे से 4 महिलाओं को 45 दिन बाद जमानत मिल गयी थी वही बाकि दो को 80 दिन बाद छोड़ दिया गया था। चूँकि मैं एक आतंकवादी थी तो मुझे मद्रास हाई कोर्ट जाना पड़ा तब मुझे 98 दिनों के बाद सशर्त जमानत मिली।"

उन्हें इस शर्त पर जमानत मिली कि उन्हें दो महीने तक रोज मदुरै स्थित तीनों पुलिस थानों में जाकर हाजिरी लगानी होगी जो कि उनके गाँव से 240 किलोमीटर दूर है। अपने गाँव लौटने से पहले उन दो महीनों के लिए वो मदुरै स्थित एक हॉस्टल में रही जहाँ उन्हें कुडनकुलम पुलिस थाने में 6 महीने तक हाजिरी लगानी थी।

सुंदरी बताती है, "सभी, यानि कि पुलिस, सरकार और यहाँ तक कि कोर्ट, ने भी उनके संघर्ष को हराने की कोशिश की। न कभी सरकार नें और न ही कभी कोर्ट ने ये जानने की कोशिश की कि उन पर कौन से चार्ज लगाए गए है। उल्टा उन्होंने हमे दूर दूर स्थित जेलों में भेज ताकि वो हमे परेशान कर सकें।"

सुंदरी के ससुराल वालों ने देशद्रोह का तमगा लगने के चलते परिवार कर बहिष्कार कर दिया है।

गाँव के बहुत सारे युवाओं को अपने विदेश जाने का कार्यक्रम रद्द करना पड़ा क्योंकि उन पर देशद्रोह का मामला दर्ज है और उनके पासपोर्ट ब्लैक लिस्ट कर दिए गए हैं। बहुत सारे युवाओं को अपने पासपोर्ट आवेदनों के संसाधित होने का इंतजार करना पड़ा। इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किये छब्बीस वर्षीय के विनोद का पासपोर्ट चार साल पहले ब्लॉक कर दिया गया था, उनको दो महीने पहले ही अपना पासपोर्ट वापस मिला है। विनोद ने बताया, "मुझे दुबई से तीन तीन नौकरियों के लिए बुलावा आया था जिनमे से एक कंपनी तो मुझे डेढ़ लाख रुपये महीने दे रही थी, अब मेरे पास कुछ नहीं है। उन्होंने कभी भी साफ़ तौर पर ये नहीं बताया कि मेरा पासपोर्ट क्यूँ नहीं क्लियर किया गया जबकि उनके पास मेरे खिलाफ दर्ज मामलों में ही कोई सीधा जवाब नहीं था।"

10 अगस्त 2016: 1000 मेगा वाट की क्षमता वाले केएनपीपी को कमीशन किया गया

देशद्रोह के 21 मामले अभी भी हैं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तमिलनाडु की मुख्य मंत्री ने एक साथ कुडनकुकम परमाणु संयत्र की एक इकाई को दुनिया के सबसे सुरक्षित संयत्रों में से एक बताते हुए कमीशन किया। उन्होंने ऐसा विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये किया जब मोदी दिल्ली में थे, पुतिन मास्को में थे और जयललिता चेन्नई में थी।

केएनपीपी साइट के निदेशक आर एस सुन्दर कहते हैं कि गाँव वालों को परमाणु ऊर्जा के बारे में पता नहीं है फिर भी वो इस पर आरोप लगा रहे हैं। "हम उनसे कई बार मिले और उनको कई बार ये समझाया कि ये सुरक्षित है। लेकिन वो ऐसे प्रश्न पूछते है कि जिनकी उनको कोई जानकारी नहीं है," उन्होंने बताया।

सुरक्षा के उल्लंघन पर और समय सीमा के स्थगन के कथित आरोपों पर उन्होंने कहा कि सारी शिकायतें आंशिक रूप से गलत है। वे कहते हैं, "कई एजेंसियों ने और केंद्र के विशेषज्ञों ने सभी आवश्यक मंजूरियों को प्रमाणित किया है। दुर्भाग्यवश गाँव वाले ए पी जे अब्दुल कलाम जैसे व्यक्ति की बात मानने को भी तैयार नहीं है।"

कमीशनिंग वाले दिन भी घुमावदार सड़क के अंत में जहाँ इदिन्थाकारई में कुछ मुट्ठी भर महिलाएं अपना विरोध दर्ज कराने के लिए चर्च के पास एकत्रित हो गयी। एक दर्जन औरतें तो यहाँ हर रात सोती भी थीं।

सुंदरी, जो प्रदर्शन वाली जगह पर अक्सर आती है, बताती है कि उनकी गृहणी से एक "खूंखार नेता" तक का सफर एक साल में पूरा हुआ। "मैं उन महिलाओं में से थी जो सिर्फ पिक्चर और नाटक देखती थी। अब मैं पहले खबरें देखती हूँ।"

देशद्रोह - 10 जब 2004 में सुनामी आया था तब न तो कोई हमे बचाने आया और न ही हमारी नावों को। सरकार के पास जरूरी संसाधनों के बावजूद वो ये पता नहीं कर पाए कि सुनामी आ रही है।

सुंदरी कहती है कि सरकार की ये बात कि परमाणु संयत्र पूरी तरह से सुरक्षित है हज़म नहीं होती। "शहरी लोगों के लिए हम अनपढ़ होंगे क्यूंकि वो समझते है कि वो अंग्रेजी जानते हैं। इसलिए वो चाहते है कि ये परमाणु संयत्र हमारे यहाँ लग जाए ताकि उनके उपभोग की सभी जरूरतें उससे पूरी हो जाएँ। लेकिन हमे पता है कि सुरक्षित क्यूँ नहीं है, हमे पता है कि हमारी सरकार कितनी योग्य है। जब 2004 में सुनामी आया था तब न तो कोई हमे बचाने आया और न ही हमारी नावों को। सरकार के पास जरूरी संसाधनों के बावजूद वो ये पता नहीं कर पाए कि सुनामी आ रही है। सरकार इतनी भी समर्थ नहीं है कि वो एक खोया हुआ जहाज ढूंढ लें या समुद्र में खोये हुए सैनिकों को ढूंढ ले। और वो चाहते है कि हम उनकी बात मान लें कि ये संयत्र सुरक्षित है? हमे अपनी लड़ाई अकेले लड़नी है।"

आईजी रैंक एक अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस मामले की जानकारी है और ऐसे मामले आमतौर पर छ महीने में बंद कर दिए जाते है। "हम फाइल में लिख देते है कि 'आगे की कार्यवाई खत्म'। लेकिन कुडनकुलम और इदिन्थाकारई वाले मामले पेचीदा है क्योंकि हमे गांववालों पर नज़र रखनी पड़ती थी। इन आरोपों को बनाये रखने से उनका गुस्सा ठंडा पद सकता है; 8000 से ज्यादा लोगों पर मामले दर्ज है जिससे उन लोगों में यह डर होगा कि वे लोग ऐसे प्रदर्शन फिर से न करें।"

जब उनसे आगे की कार्यवाई के बारे में पुछा गया तो उन्होंने कहा कि अब जांच के लिए या चार्जशीट दायर करने के लिए कुछ नहीं है। "ये मामले जो दर्ज हुए है वो लोगों में डर कायम करेंगे। जब मैं पांच साल बाद इसकी तरफ देखता हूँ तो समझ में आता है कि उन 8000 लोगों पर जो मामले धारा 121 और 124 ए के तहत दर्ज किये गए उनसे काम हुआ है।

सुंदरी का कहना है कि सरकार को इतना निश्चिन्त नहीं होना चाहिए। इदिन्थाकारई के समुद्र के किनारे जिसको 'ब्रोकन कोस्ट' यानि 'टूटा हुआ तट' कहा जाता है खड़ी होकर सुंदरी कहती है अब उनको इससे ये फर्क नहीं पड़ता कि उन पर कितने मामले दर्ज हो रहे हैं। "वो हमे आतंकवादी कहते है तो कहने दो। हमे पता है हम कौन है।"

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(इंडियन एक्सप्रेस से आभार और संघर्ष संवाद में हिन्दी अनुवाद में प्रकाशित से आभार सहित )







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