Monday, September 12, 2016

भूस्वामी के मुआवजा न उठाने पर भूमि अधिग्रहण रद्द माना जाएगा

भूस्वामी के मुआवजा न उठाने पर भूमि अधिग्रहण रद्द माना जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि ऐसे भूमि अधिग्रहण रद्द माने जाएंगे जिसमें भूस्वामी ने मुआवजा नहीं उठाया है और यह अधिग्रहण 2013 से पांच वर्ष पूर्व का हो। यह फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के पॉश वसंतकुज क्षेत्र में 33 बीघा एक बिस्वा जमीन का अधिग्रहण रद्द कर दिया। यह अधिग्रहण दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 1961 में किया था।

जस्टिस कुरियन जोसेफ और आरएफ नारीमन की पीठ ने यह आदेश शुक्रवार को दिया और डीडीए से कहा कि वह जमीन भूस्वामी सुबखीर सिंह का वापस करे।

कोर्ट ने कहा कि भूमि अधिग्रहण के नए कानून, 2013 की धारा 24 (2) के अनुसार अधिग्रहण की कार्रवाई निरस्त मानी जाएगी क्योंकि भूस्वामी सुखबीर सिंह ने भूमि का मुआवजा नहीं उठाया था।


कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट किया जा चुका है कि पुराने भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के तहत वे कार्यवाहियां निरस्त मानी जाएंगी जिसमें नया कानून लागू होने से पांच वर्ष की पूर्व हों और उनमें या तो मुआवजा नहीं उठाया गया हो या फिर सरकार ने अधिग्रहीत जमीन का कब्जा न लिया हो।

दिल्ली विकास प्राधिकारण ने 1961 में वसंत कुंज में 33 बीघा एक बिस्वा जमीन का अधिग्रहण करने की अधिसूचना जारी की थी। कार्यवाही पूरी होते होते काफी समय बीत गया और उसका मुआवजा 1997 में तय किया गया। लेकिन भूस्वामी ने मुआवजा नहीं लिया। इस पर सरकार ने मुआवजा कोर्ट में जमा कर दिया और पंचनामा करके भूमि का कब्जा ले लिया।

कोर्ट ने कहा कि भूमि का कब्जा उचित है, लेकिन इसमें भूस्वामी ने मुआवजा नहीं उठाया है। कोर्ट में जमा किया गया मुआवजा भूस्वामी को अदा किया हुआ नहीं माना जाएगा। इसलिए यह मामला नए भू अधिग्रहण कानून की धारा 24 (2) के दायरे में आएगा और अधिग्रहण निरस्त माना जाएगा। कोर्ट ने यह फैसला देकर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और डीडीए की अपील खारिज कर दी।
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