Tuesday, December 16, 2014

कुछ लोग मारे गए क्योंकि ,,,,,,,,,, हिमांशु कुमार




कुछ लोग मारे गए क्योंकि ,,,,,,,,,,

हिमांशु कुमार 

कुछ लोग मारे गए क्योंकि उनकी दाढ़ियाँ लंबी थीं .
और दूसरे कुछ इसलिए मारे गए क्योंकि उनकी खाल का रंग हमारी खाल के रंग से ज़रा ज़्यादा काला था .
कुछ लोगों की हत्या की वाजिब वजह यह थी कि वो एक ऐसी किताब पढते थे जिसके कुछ पन्नों में हमारी किताब के कुछ पन्नों से अलग बातें लिखी हुई थीं .
कुछ लोग इसलिए मारे गए क्योंकि वो हमारी भाषा नहीं बोलते थे .
कुछ को इसलिए मरना पड़ा क्योंकि वो हमारे देश में नहीं पैदा हुए थे .
कुछ लोगों की हत्या की वजह ये थी कि उनके कुर्ते लंबे थे .
कुछ को अपने पजामे ऊंचे होने के कारण मरना पड़ा .
कुछ के प्रार्थना का तरीका हमारे प्रार्थना के तरीके से अलग था इसलिए उन्हें भी मार डाला गया .
कुछ दूसरों की कल्पना ईश्वर के बारे में हमसे बिकुल अलग थी इसलिए उन्हें भी जिंदा नहीं रहने दिया गया .
लेकिन हमारे द्वारा करी गयी सारी हत्याएं दुनिया की भलाई के लिए थीं .
हमारे पास सभी हत्याओं के वाजिब कारण हैं .
आखिर हम इन सब को ना मारते तो हमारा राष्ट्र, संस्कृति और धर्म कैसे बचता ?
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जन्म लेते ही मुझे हिन्दू, मुसलमान , या फलाना या ढिकाना बना दिया गया
जन्म लेने से पहले ही मेरे दुश्मन भी तय कर दिए गये
जन्म से पहले ही मेरी ज़ात भी तय कर दी गयी
यह भी मेरे जन्म से पहले ही तय कर दिया गया था कि
मुझे किन बातों पर गर्व और किन पर शर्म महसूस करनी है
अब एक अच्छा नागरिक होने के लिये मेरा
कुछ को दुश्मन मानना और एक अनचाहे गर्व से भरे रहना
आवश्यक है
यह घृणा और यह गर्व
मेरे पुरखों ने जमा किया है
पिछले दस हज़ार सालों में
और मैं अभिशप्त हूँ इस दस हज़ार साल के बोझ को अपने सिर पर ढोने के लिये
और अब मैं सौंपूंगा यह बोझ अपने
मासूम और भोले बच्चों को
अपने बच्चों को मैं सिखाऊंगा
नकली नफरत , नकली गर्व ,
थमाऊंगा उन्हें एक झंडा
नफरत करना सिखाऊंगा
दुसरे झंडों से
अपने बच्चों की पसंदगियाँ भी मैं तय कर दूंगा
जैसे मेरी पसंदगियाँ तय कर दी गयी थीं
मेरे जन्म से पहले ही
कि मैं किन महापुरुषों को अपना आदर्श मान सकता हूँ
और किनको नहीं
किस संगीत को पसंद करना है हमारे धर्म को मानने वालों को
और कौन से रंग शुभ हैं
और कौन से रंग दरअसल विधर्मियों के होते हैं !
लगता है
अभी भी कबीले में जी रहा हूँ मैं
लड़ना विरोधी कबीलों से
परम्परागत रूप से तय है
शिकार का इलाका और खाना इकठ्ठा करने का इलाका
अब राष्ट्र में तब्दील हो गया है
दुसरे कबीलों से इस इलाके पर कब्ज़े के लिये लड़ने के लिये
बनाए गये लड़ाके सैनिक
अब मेरी राष्ट्रीय सेना कहलाती है
मुझे गर्व करना है इस सेना पर
जिससे बचाए जा सकें हमारे शिकार के इलाके
पड़ोस के भूखे से लड़ना अपने शिकार के इलाके के लिये
अब राष्ट्र रक्षा कहलाती है
लड़ने के बहाने पहले से तय हैं
पड़ोसी का धर्म , उसका अलग झंडा ,
उनकी अलग भाषा
सब घृणास्पद हैं
हमारे पड़ोसी हीन और क्रूर हैं
इसलिए हमारी सेना को उनका वध कर देने का
पूर्ण अधिकार है
दस हज़ार साल की सारी घृणा
सारी पीड़ा
मैं तुम्हें दे जाऊंगा मेरे बच्चों
पर मैं भीतर से चाहूंगा
मेरे बच्चों तुम
अवहेलना कर दो मेरी
मेरी किसी शिक्षा को ना सुनो
ना ही मानो कोई सडा गला मूल्य जो मैं तुम्हें देना चाहूँ
धर्म और संस्कृति के नाम पर
तुम ठुकरा दो
मैं चाहूँगा मेरे बच्चों
कि तुम अपनी ताज़ी और साफ़ आँखों से
इस दुनिया को देखो
देख पाओ कि कोई वजह ही नहीं है
किसी को गैर मानने की
ना लड़ने की की कोई वजह है
शायद तुम बना पाओ एक ऐसी दुनिया
जिसमे सेना , हथियार , युद्ध , जेल नहीं होगी
जिसमे इंसानों द्वारा बनायी गयी भूख गरीबी और नफरत नहीं होगी
जिसमे इंसान अतीत में नहीं
वर्तमान में जियेगा

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