Tuesday, December 16, 2014

'मासूमों की क़ब्र पर चढ़कर, कौन सी जन्नत में जाओगे'

'मासूमों की क़ब्र पर चढ़कर, कौन सी जन्नत में जाओगे'

  • 9 घंटे पहले
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पाकिस्तान के पेशावर में हुए हमले के दौरान पूरे दिन भारत में सोशल मीडिया पर एक हैशटैग ट्रैंड करता रहा - #IndiawithPakistan. यह ट्विटर पर दूसरा सबसे बड़ा ट्रैंड था.
ज़्य़ादातर भारतीय और पाकिस्तान के लोगों ने बच्चों पर हमले के लिए इस हैशटैग का सहारा लेकर तालिबान की कड़ी निंदा की.
एक शख़्स ने लिखा - ख़ून के नापाक ये धब्बे, ख़ुदा से कैसे छिपाओगे, मासूमों की क़ब्र पर चढ़कर, कौन सी जन्नत में जाओगे.
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की भतीजी फ़ातिमा भुट्टो ने बज़फ़ीड इंडिया को रिट्वीट किया – भारतीय पेशावर स्कूल के शिकार लोगों से एकजुटता दिखाने के लिए #IndiawithPakistan को ट्रैंड कर रहे हैं
पाकिस्तान के पत्रकार रज़ा रूमी ने रिट्वीट किया- ख़ून और आंसुओं की कोई राष्ट्रीयता या धर्म नहीं होता. ये हममें से किसी के भी हो सकते हैं. हम आपके दर्द को समझते हैं
भारतीय पत्रकार सागरिका घोष ने हैशटैग के साथ लिखा – अपने पाकिस्तानी भाई-बहनों के दर्द को समझते हैं जिनके बच्चों को तालिबान ने मार डाला. ताक़त, एकजुटता, उम्मीद
पत्रकार बीना सरवर ने रिट्वीट किया – क्योंकि हम कभी इन कायरों के आगे नहीं झुकेंगे. क्योंकि हमारे बच्चे हमारा मुस्तकबिल हैं. इसलिए #IndiawithPakistan
भारत प्रशासित कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस हैशटैग के साथ लिखा – नरेंद्र मोदी की तरफ़ से दो मिनट के मौन की अपील एक अच्छा क़दम है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया था- पाकिस्तान में हुए कायराना हमले को लेकर मैं भारत के सभी स्कूलों से अपील करता हूं कि वो एकजुटता के लिए दो मिनट का मौन रखें.
भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी ने इस हैशटैग के साथ ट्वीट किया – पेशावर हमले में मारे गए बच्चों के ख़ून की कोई राष्ट्रीय पहचान नहीं थी और न ही उनकी ग़मज़दा माँओं की.
बॉलीवुड अभिनेत्री रवीना टंडन ने लिखा – उन सभी से अपील जो पाकिस्तान को चलाते हैं, कि इस दुख की घड़ी में हम तुम्हारे साथ हैं. मगर यह कड़ी कार्रवाई का वक़्त है. चरमपंथी कैंप बंद करो.
इंद्राणी सेनचौधरी ने लिखा - कुछ पाकिस्तानी #StopIndianTerrorisminPakट्रैंड कर रहे हैं. क्या उन्हें दिखता नहीं. मगर मैं फिर भी कहूंगी #IndiawithPakistan
मीना लिखती हैं- अगर मैं यह हैशटैग ट्रैंड करूंगी तो मेरे देश में मासूमों को मारने के लिए कसाब नहीं घुस पाएंगे.
शोएब ख़ान लिखते हैं- इस दुख की घड़ी में हम पाकिस्तान के साथ अपना दुख बांटते हैं, जिनके परिवारों के बच्चों की मौत हुई है उनके लिए प्रार्थना.
वील्ड डिज़ायर्स हैंडल से लिखने वाली कहती हैं – अगर मैं कर सकती तो उन तमाम मांओं के सीने से लग जाती, मगर नहीं कर सकती.
फ़ेथ गोंज़ाल्वेस कहते हैं – इस दर्द को बयान करने के लिए शब्द कम पड़ गए हैं.
प्रत्यूषा ने लिखा – हमारे दिल रो रहे हैं. बच्चों की आत्मा को शांति मिले. सोच से परे है कि उन बच्चों के मां-बाप पर क्या गुज़र रही होगी.
सौम्या कुलश्रेष्ठ ने लिखा है – बच्चों तुम्हारी चीखें आने वाले बरसों तक मानवता के दिल में गूंजती रहेंगी.
जबकि स्मृति लिखती हैं – जब तुम्हारा बच्चा मरता है तो उसे दिल में दफ़नाओ. वो तभी मरता है जब तुम मरते हो. यह पश्तून कहावत है. मेरा दिल दुखता है.
उमेर ख़ान कहते हैं – ये वही बच्चे थे जो शायद सरहद मिटा देते, हाय अफ़सोस
मदन सांगलीकर और दूसरे कई लोगों ने इस हैशटैग के साथ अंग्रेज़ी में एक लाइन ट्वीट की – द स्मॉलेस्ट कॉफ़िंस आर एक्चुअली द हैविएस्ट (छोटे ताबूत शायद सबसे भारी होते हैं)
बहुतों ने इस हैशटैग के साथ लिखा कि यह घटना मानवता के इतिहास पर काला धब्बा है.
पाकिस्तान के क़ैसर मलिक ने हैशटैग के साथ लिखा – कभी नहीं सोचा था कि हैशटैग इतनी अहमियत रखते हैं. शुक्रिया भारत (और हां मुझे पता है कि आज 16 दिसंबर है)
शीराज़ हसन पूछते हैं - #IndiawithPakistan तो ठीक है पर क्या पाकिस्तान पाकिस्तान के साथ है?
मनीष बैद ने लिखा – बच्चों पर हमला भगवान पर हमले जैसा है. कई बच्चों के माता-पिताओं ने लिखा कि वो सदमे में हैं और सुन्न महसूस कर रहे हैं.
प्रकाश सिंह बिष्ट ने लिखा - सूरज कल भी निकलेगा , पर उसकी धूप से खिलने वाले कुछ फूल आज कम हो गए.
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