Sunday, December 28, 2014

असमः करीब 70,000 आदिवासियों ने गांव छोड़ा

असमः करीब 70,000 आदिवासियों ने गांव छोड़ा

  • 27 दिसंबर 2014
भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम के हिंसाग्रस्त कोकराझार ज़िले में बोडो चरमपंथियों के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान शुरू हो गया है.
सोनितपुर ज़िले में पहले से ही यह अभियान चल रहा है.
कोकराझार और सोनितपुर ज़िलों में मंगलवार को बोडो चरमपंथियों के हमले और इसके बाद हुई हिंसा में अब तक कुल 83 लोगों की मौत हो चुकी है.
असम में पहले से ही सेना के 9,000 जवान तैनात हैं लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए 4,600 अतिरिक्त जवानों को मुस्तैद किया गया है.

हालात की जानकारी

असम हिंसा
इसके अलावा असम राइफ़ल्स की तीन यूनिटें भी राज्य में अपनी सेवाएं दे रही हैं जिन्हें जंगल के इलाक़े में युद्ध अभियान का प्रशिक्षण मिला है.
सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने भी गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात कर हालात की जानकारी दी है.
राजनाथ सिंह पहले ही असम हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की घोषणा कर चुके हैं.

असम राहत शिविर
जनरल सुहाग शनिवार को तेजपुर में फ़ोर कोर मुख्यालय में रहेंगे और सैन्य अभियान संचालित कर रहे ऑफ़िसर और कमांडरों से बातचीत कर स्थिति का जायज़ा लेंगे.

राहत शिविर

इस बीच असम से लगी म्यांमार, भूटान और अरुणाचल प्रदेश की सीमा को सील कर दिया गया है.
हिंसा के कारण क़रीब 70,000 आदिवासी अपने गांव छोड़कर चले गए हैं. क़रीब 4,000-5,000 लोगों ने पश्चिम बंगाल के राहत शिविरों में शरण ले रखी है.
असम में हिंसा
असम में कई संगठन सशस्त्र आंदोलन चला रहे हैं.
कोकराझार ज़िले में 36 राहत शिविर बनाए गए हैं जबकि सोनितपुर के राहत शिविरों में 10,000 से ज़्यादा लोगों ने शरण ली है.
इन राहत शिविरों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. वहीं सोनितपुर और कोकराझार के हिंसाग्रस्त इलाक़े में कर्फ़्यू जारी है.

क्या है विवाद

असम की ताज़ा हिंसा पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड (एनडीएफ़बी) के ख़िलाफ़ चल रहे अभियान के जवाब में हुई है.
एनडीएफ़बी अरुणाचल प्रदेश और भूटान सीमा के पास अधिक सक्रिय है.
असम आदिवासी
असम में काफ़ी समय से अलग राज्य की मांग, अलग पहचान के मुद्दे और जातीय मुद्दों पर हिंसा भड़कती रही है.
राज्य में कई विद्रोही समूह केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं. ये समूह अपने समुदाय के लिए स्वायत्त और स्वतंत्र गृहराज्य की माँग कर रहे हैं.

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