Monday, May 1, 2017

आदिवासी परिवार का दो वर्षों से सामाजिक बहिष्कार

 

आदिवासी परिवार का दो वर्षों से सामाजिक बहिष्कार
,रीयल टाइम्स
01-05-2017

बेटे, बेटियों से शादी को कोई तैयार नहीं

दो वर्षों से बहिष्कार का दंश झेलने को मजबूर परिवार

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रायपुर/पिथौरा(realtimes) राजधानी रायपुर से करीब 100 किलोमीटर दूर ’पिथोरा’ विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंडरी खार में एक आदिवासी संतराम का परिवार सहित सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है. संतराम के परिवार में सात बेटे, बेटियां विवाह योग्य हैं लेकिन सामाजिक बहिष्कार के चलते उनका विवाह नहीं हो पा रहा है.


संतराम का इतवारी गोड़ से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है मामला आयुक्त कार्यालय रायपुर में वर्षो से लंबित है. इसी बीच इतवारी के पक्ष में 2 साल पहले एक सामाजिक बैठक हुई और समाज के लोगों ने संतराम और उसके परिवार को यह फरमान सुनाया की इतवारी के पक्ष में जमीन को छोड़ दें. जिसपर संतराम ने कहा कि यह मेरी पैतृक भूमि है मैंने मेहनत कर भूमि को कृषि योग्य बनाया है मैं जमीन को नहीं छोड़ सकता.


संतराम ने यह भी निवेदन किया कि मामला न्यायालय में चल रहा है आप लोग इस पर कोई निर्णय ना दें. इस बात से नाराज़ बैठक में उपस्थित समाज के ठेकेदार भड़क उठे और तत्काल निर्णय सुना दिया कि आज के बाद संतराम के परिवार को समाजिक कार्यों में सम्मिलित नहीं किया जाएगा और उनसे कोई भी बेटी रोटी का रिश्ता नहीं रखेगा.


समाज की ओर से बकायदा लिखित में एक सूचना जारी कर उक्त आदेश का प्रचार प्रसार करने के लिए निर्देशित किया गया है. संतराम के परिवार से आए धनसाय मानसिंह जगसु ने बताया कि समाज के पदाधिकारियों ने उनका 2 साल से सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है. कोई भी सामाजिक व्यक्ति उनके परिवार से कोई वास्ता नहीं रख रहा है. परिवार में सात पुत्र पुत्रियां विवाह योग्य हैं लेकिन सामाजिक बहिष्कार के चलते उनका विवाह नहीं हो पा रहा है. उनके विवाह की उम्र निकलते जा रही है.


संतराम ने राज्यपाल तथा राज्य मानवाधिकार आयोग सहित कलेक्टर एसपी व आला अधिकारियों के नाम से तैयार ज्ञापन में  समाज के पांच पदाधिकारियों के विरुद्ध नामजद शिकायत करते हुए दंडात्मक कार्यवाही की मांग की है.उन्होंने समाज के पदाधिकारियों के ऊपर आरोप लगाया है कि उनका योजनाबद्ध ढंग से सामाजिक बहिष्कार किया गया है जिससे परिवार बहिष्कार का दंश झेलने के लिए मजबूर हो गया है।

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