Wednesday, May 17, 2017

पोडियाम पंडा (पूर्व सरपंच व सीपीआई,नेता) की गैरकानूनी हिरासत और लगातार प्रताड़ना



प्रेस विज्ञप्ति                                                      

         पोडियाम पंडा (पूर्व सरपंच व सीपीआई,नेता) की गैरकानूनी हिरासत और लगातार प्रताड़ना

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, बस्तर के जिला समिति के सदस्य, चिंतागुफा के भूतपूर्व सरपंच व लोकप्रिय नेता,पोडीयाम पांडा को दिनांक 3-05-2017 से सुकमा पुलिस के द्वारा उन्हें अपने हिरासत में गैरकानूनी तरीके से रखा गया है. उनके परिवार के लोगो को न ही यह बताया की पंडा को कहा रक्खा गया है,व न ही उनसे मिलने दिया गया. जिसके चलते लगातार परिवार के लोगो द्वारा प्रत्येक अलग-अलग जगह, सुकमा कोतवाली थाना में ढूंढने के बावजूद लगभग 10 दिनों से जब कोई जानकारी नही प्राप्त हुयी,तब ऐसे में परिवार के लोगो में से उनके भाई कोमल,पत्नी- मुइए,बेटी-कोसी व बहन- मंगी अपनी बेटी रौशनी सहित बिलासपुर आये व माननीय छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के समक्ष शरण लेते हुए, पंडा की पत्नी पोडियम मुइए द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक याचिका दिनांक 12.05.2017 को माननीय हाई कोर्ट में दाखिल की गयी. याचिका दाखिली के दिनांक शाम से ही पुलिस में खलबली मचने से पुलिस द्वारा,याचिकाकर्ता से पंडा द्वारा ही केस वापस लेने का दबाव बनवाने की कवायद फोन के द्वारा शुरू हो गयी. पांडा के दोनो भाई को पुलिस के सामने अलग अलग समय पर मिलवाया गया,पर बात नहीं हो सकी, भाइयो  ने बताया कि पांडा के पैर में गंभीर चोट है व एड़ी में होने सूजन के कारण एडी काली पड़ गयी है,जिससे वह सही से चलने में अक्षम थे.
याचिका के सुनवाई के दौरान केस वापसी का दबाव:-
याचिका दाखिल होने के अगले दिन पंडा के भाई कोमल, बिलासपुर से सुकमा जैसे पहुचे ही थे कि पुलिस द्वारा उनको भी गैर कानूनी ढंग से उठाया गया व अआवेद्क SP ऑफिस ले जाया गया. जहा उनके साथ मारपीट भी की गई, तत्पश्चात कोमल के घर पर पुनः पुलिस द्वारा, दो पुलिस कर्मियों को भेज कर कोमल का फोन लाया गया, व कुछ समय में ही पांडा को भी वहा लाया गया, व कोमल के फ़ोन के स्पीकर को ओन करके पूरे दबाव के साथ कोमल व पंडा को उनके घर वालो से उनके वकील के नंबर पर कॉल करके ये कहलवाया गया कि ‘’पंडा व कोमल दोनों घर पर है व सही ढंग से है, तुम सब बिलासपुर से वापस आओ कोई केस नही करना है’’. ये सब तरह का झूठ पूरे दबाव के साथ पुलिस द्वारा करवाया गया. देर रात कोमल को छोड़ने से पहले कोमल द्वारा कई कागजो पर हस्ताक्षर भी करवाया गया, व जब कोमल द्वारा पढ़कर हस्ताक्षर करने की बात बोली तो गाली देते हुए बोला कि बिना पढ़े हस्ताक्षर ही करना होगा, व कोमल सहित अधिवक्ता इशा खंडेलवाल व बिजेम पोंडी समेत फर्जी केस में फ़साने की धमकी देते हुए 3-4 झापड़ भी मारे और फिर छोड़ दिया. कोमल पंडा के भाई है व पुलिस द्वारा बदसुलूकी के बाद जब छोड़ा गया तब वह फिर से उपरोक्त मामले की तारीख पर फिर से बिलासपुर हाई कोर्ट आये तब यह बात कोमल ने साड़ी घटना की सच्चाई अपने वकील को बताई, जिसको कोर्ट में याचिका के साथ संलग्न भी किया गया.
   पांडा की पत्नी मुइए, जो कि वर्तमान में चिंतागुफा की सरपंच भी है,को भी लगातार पांडा द्वारा  फोन करवा कर उन पर केस वापस लेने का दबाव बार-बार बनवाया जा रहा है.

पोडीयाम पांडा कौन है ?:-
पोडियाम  पंडा सुकमा के एक बेहद लोकप्रिय और जाने पहचाने व्यक्ति है, वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लिए भी काम करते है.15 साल तक पांडा सरपंच रहे वर्तमान में उनकी पत्नी पोडियाम मुइये भी पिछले 7 साल से सरपंच है. वे पुलिस और प्रशासन को लगातार सहयोग देते रहे है.इनके सम्बन्ध पूर्व ग्रहमंत्री ननकी राम कवंर से भी रहे है.
आप सबको अवगत कराना चाहेंगे कि सदवा जुडूम जैसे अत्यंत गंभीर समय में भी सीआरपीएफ के कैंप निर्माण ,स्कूल निर्माण ,पीडीएस राशन दुकान ,स्वास्थ्य सेवा को चालू रखने को लेकर भी काफी सहायता करते रहे व कलेक्टर एलेक्स मेनन के अपहण के समय भी पांडा की सहायता से ही उन्हें  छुड़ाया जाना संभव हो सका था.
सन 2005 में सिपाहियों के अपहरण के समय में भी पांडा द्वारा खुद से ही अपहरण हुए 7 पुलिस के लोगो को भी नक्सलियों से छुडवा कर लाये थे. सन 2010 के समय जब सीपीआई के लोगो को पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किया जाने लगा था,तब पुलिस द्वारा पांडा को फरार हो जाने को बोला गया था जिसके बाद पांडा घर से अलग दूसरी जगह अलग से रहने लगे थे, सन 2011 में ताड़मेटला में जब आग लगाने की घटना हुयी,तब भी पांडा ही ई,जिन्होंने सीबीआई से लेकर मीडिया तक के लोगो को सूचित करने का व गाव के लोगो को सहायता देने का काम भी किया. इससे यह साफ़ तय है कि यह हर तरफ स्वीकार्य नेता है.
पांडा व उनके परिवार सहित पुलिस व नक्सलियों द्वारा प्रताड़ना
सन 2016 में पांडा व पत्नी मुइए व पांडा के भाई कोमल को नक्सलियों द्वारा जन अदालत में उठा के ले जाया गया था. जिसमे पार पीट भी की गयी थी, व पंडा की पत्नी  मुइए,भाई कोमल की पिटाई भी की गयी. इसके बाद न सिर्फ नक्सली,बल्कि पुलिस द्वारा भी पांडा की पत्नी मुइए के साथ पुलिस द्वारा भी मारपीट व प्रताड़ना की गयी. इस तरह से पुलिस व नक्सलियों, दोनों के ही द्वारा पंडा सहित परिवार के लोगो को परेशान किया गया. इस तरह से यह साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह से दोनों के बीच यह परिवार लगातार प्रताड़ित किया गया है.
गैर कानूनी ढंग से पांडा को उठाने घटना व दिनांक
 पांडा अभी 3 मई 2017 को मछली मारने मिनपा और चिंतागुफा गये थे ,वही इन्हे सुरक्षाबलों ने पकड लिया. उनकी पत्नी पोडियाम मुइये को गाव वालो ने आकर बताया की पंडा को वहीँ पर बुरी तरह पिटाई की, इसके बाद उन्हें हेलीकॉप्टर से कही ले गये. दूसरे दिन स्थानीय अखबार में छपा, कि एक बड़े नक्सली लीडर को गिरफ्तार किया गया, उस पर 100 से ज्यादा केस दर्ज है. उसी समाचार में डीआइजी  सुन्दराजन ने  कहा की उसे अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है. पांडा की पत्नी, परिवार और अन्य लोग मालूम करते रहे कि पंडा को आखिर कहाँ ले जाया गया है, मालूम करने के बावजूद भी उनका कही पता नहीं पडा. इस पूरे प्रकरण मे हाल ही आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने भी 2-3 दिन पहले बयान जारी करते हुए कहा है,कि पंडा पर लगाये जा रहे सभी आरोप निराधार है व उसका नक्सलियों से कोई लेना देना नहीं है.
क्या चाहता है परिवार:-
दिनांक 3/05/2017 पुलिस के गैर कानूनी ढंग से पंडा को उठाने के बाद, से याचिका दाखिली के दिन तक पंडा के विषय में कोई जानकारी न ही परिवार को दी गयी और न ही उनके पत्नी व परिवार को आज दिनांक तक उनसे मिलने ही दिया गया. याचिका को लगे भी लगभग एक हफ्ता हो गये है.ऐसे में परिवार परिवार चाहता है की सबसे पहले परिवार व उनकी पत्नी मुइए को पांडा से बिना पुलिस के मिलने दिया जाना चाहिए. पुलिस का कहना है कि पंडा स्वतंत्र है, तो ऐसे में पांडा को अविलम्ब रिहा भी किया जाना चाहिए. परिवार के उक्त मांगो को संयुक्त बस्तर संघर्ष समिति,छत्तीसगढ़ पूरा समर्थन देती है.
  माननीय हाईकोर्ट द्वारा भी शाशन से पूछा गया कि शाशन ने किस कानून के तहत पांडा को इतने दिनों तक रक्खा है. इससे साफ़ पता चलता है कि किस प्रकार से आत्मसमर्पण नीतियों का दुरुपयोग करते हुए,फर्जी आत्मसमर्पण कराया जा रहा है.
      अतः बस्तर संयुक्त संघर्ष समिति,छत्तीसगढ़ यह भी मांग रखती है, कि उपरोक्त पूरे प्रकरण से एक बार फिर से छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की नक्सलियों के लिए बनाई गयी,आत्म्सम्पर्पण नीतियों का दुरूपयोग किया जाना साफ़ दिखाई दिया है. जैसा कि हम सभी जानते है कि अब तक मात्र 3 प्रतिशत  आत्मसमर्पण सही हुआ माना गया है,व ज्यादा से ज्यादा आत्मसमर्पण के फर्जी मामले सामने आये है,जो कि अब किसी से भी छिपे नही है. अतः इसके लिए कुछ ख़ास कड़े कदम सरकार को उठाने चाहिए. जिससे फर्जी आत्मसमर्पण पर रोक लगाईं जा सके. संयुक्त बस्तर संघर्ष समिति यह भी मांग करती है कि यदि किसी भी मामले में कोई भी फर्जी आत्मसमर्पण का मामला सामने आता है,तो ऐसे फर्जी आत्मसमर्पण कराने से सम्बंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही भी सरकार व विभाग द्वारा की जानी चाहिये.


बस्तर संयुक्त संघर्ष समिति,छत्तीसगढ़ की ओर से...


सी.आर बक्शी                    संजय पराते                 संकेत ठाकुर
(भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)    (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी)        ( आम आदमी पार्टी)

डॉ लाखन सिंह( P.U.C.L)     पोडीयाम मुइए (पंडा की पत्नी)   पोडियाम कोमल सिंह (पंडा का भाई)

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