Tuesday, May 23, 2017

बस्तर : सुरक्षा बल के जवानों की बर्बरता, 16 आदिवासियों के घरों को किया आग के हवाले

बस्तर : सुरक्षा बल के जवानों की बर्बरता, 16 आदिवासियों के घरों को किया आग के हवाले

संघर्ष संवाद 


छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। बस्तर में जारी नक्सल उन्मूलन के नाम पर तैनात सुरक्षा बल के जवानों का बर्बर चेहरा फिर एक बार सुर्खियों में है । 14 मई 2017 को नक्सल ऑपरेशन से लौट रहे जवानों ने सुकमा बीजापुर सीमा से लगे गाँव रायगुडा पर फायरिंग करते हुए हमला किया है । फायरिंग की आवाज से आदिवसी गाँव छोड़ कर जंगल की तरफ भाग गए । 16 आदिवासियों के घर को आग के हवाले कर सुरक्षा बलों के जवानों ने गाँव में बची एक गर्भवती महिला समेत 4 लोगों के साथ मारपीट किया है, सुरक्षा बलों के उत्पाती आगजनी से घर में रखा आदिवासियों का सारा सामन जल कर राख हो गया है । बस्तर से तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट; 

घटना स्थल से लौटे पत्रकार मुकेश चंद्राकर ने बताया कि ग्रामीणों का आरोप है कि चार दिन पहले 14 मई की दोपहर सुरक्षा बल के जवान फायरिंग करते हुए गाँव में पहुंचे, जवानों की फायरिंग की आवाज से लोग गाँव छोड़ कर भाग गए. जवानों ने 16 घरो को आग के हवाले कर दिया, घटना स्थल से लौटे मुकेश बताते है कि आगजनी में पीड़ित लोगों के घर बानाने के लिए आस पास के गाँव के 300 ग्रामीण जुटे हुए है। 



विदित हों कि दक्षिण बस्तर  सुकमा जिले के ताड़मेटला में 160 तिम्मापुर 59  अथवा मोरप्ल्ली गाँव में 33 आदिवासियों के  घरो को सुरक्षा बल के जवानों द्वारा आग लागाने की घटना में सीबीआई ने हाई कोर्ट में चार्टशीट पेश की थी। 



बस्तर में लगातार नक्सल उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों के घरो को आग के हवाले करने की खबरे आते रहती है, रायगुडा आगजनी मामले में भी हर बार की तरह पुलिस सारे आरोप को झूठा बता रही है, वही खबर है की पुलिस अधिकारियो द्वारा आगजनी की घटना को नक्सलियों के ऊपर थोपते हुए उन पर मामला दर्ज कर लिया  गया है, लेकिन ग्रामीण सारा आरोप सुरक्षा बल के जवानों पर लगा रहे है वही जानकारी हो कि अभी तक इस मामले में किसी भी तरह का मामला दर्ज नही हुआ है,


आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार, आदिवासियों का घर जलाकर, उन्हें नक्सली बता कर फर्जी मुठभेड़ में मौत के घाट उतार कर छत्तीसगढ़ की भाजपा शाषित रमन सरकार नक्सली उन्मूलन को इस प्रकार अंजाम देती है।  क्या सरकार को लगता है कि आदिवासियों के ऊपर कहर बरसा कर नक्सलवाद को खत्म किया जा सकता है? या फिर नक्सलवाद के नाम पर बस्तर से आदिवासियों को मिटाने में जुटी है सरकार? अगर नही तो फिर  नक्सल उन्मूलन के नाम पर तैनात सुरक्षा बल के जवान निहाथे आदिवासी महिलाओं के साथ बालात्कार,उनके घरो को क्यों जला रही है। अब आईने की तरह साफ़ है नक्सलवाद तो बहाना है सरकार को आदिवासियों को मिटाना है, उनकी जमीने छीन कर उद्योगपतियों को बेचना है। 

तस्वीरे - मुकेश चन्द्राकर

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