Saturday, May 20, 2017

बस्तर: हिंसक वारदात की आड़ में बड़े उद्योग समूह के लिए रास्ता बनाने की तैयारी

बस्तर: हिंसक वारदात की आड़ में बड़े उद्योग समूह के लिए रास्ता बनाने की तैयारी

Chhattisgarh.com
  – महीनेभर पहले ही बैलाडीला में आयरन ओर का बड़ा भण्डार देने की खबर
  – बीपीएस भंग कर औद्योगिक शांति का संदेश
–   उद्योगपति के बस्तर पहुंचने की सुगबुगाहट
रायपुर। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के चलते जगदलपुर में भाजपा के दो गुटों के बीच हुए हिंसक संघर्ष की आड़ में वहां एक बड़े औद्योगिक समूह के लिए रास्ता बनाने की तैयारी की जा रही है। देश के सबसे बड़े परविहन संघों में शुमार बस्तर परिवहन संघ को भंग करने व हिंसक वारदात में शामिल कुछ लोगों पर आनन-फानन की गई जिलाबदर की कार्रवाई करके राज्य सरकार बस्तर में औद्योगित शांति होने का संदेश देने की कोशिश में है। इस बीच देश के बड़े उद्योगपति के बस्तर और बैलाडीला आने की सुगबुगाहट है।
जगदलपुर में पिछले करीब डेढ़ दशक से भाजपा के दो गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इसमें एक गुट स्थानीय विधायक संतोष बाफना का है तथा दूसरे गुट में बस्तर परिवहन संघ के पदाधिकारी हैं। इन दोनों गुटों के बीच आए दिन तना-तनी चलती रहती है परंतु 11 मई को नगरनार के पास मारकेल में दोनों गुट आमने-सामने हो गए और विवाद इतना बढ़ा कि गोलियां चल गईं। इसमें विधायक बाफना के सुरक्षा कर्मी के भाई बसंत सिंह को पेट में गोली लगी, जिसका रायपुर में उपचार किया जा रहा है। इसके बाद विधायक बाफना व स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप के दबाव में पुलिस ने बस्तर परिवहन संघ के अध्यक्ष शक्ति सिंह चौहान समेत तेरह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इसमें प्रदेश कांग्रेस महासचिव मलकीत सिंह गेंदू तथा जगदलपुर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजीव शर्मा भी हैं। इसके अलावा एक नाम सोनू भदौरिया का भी है, जिनके बड़े भाई नीटू भदौरिया के साथ विधायक बाफना की राजनीतिक व व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता बताई गई है।
आनन-फानन में कार्रवाई
मामला दर्ज करते ही पुलिस ने कार्रवाई में तेजी दिखाई और पहले इन चारों को फरार घोषित करते हुए पांच-पांच हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया और अगले ही दिन बस्तर परिवहन संघ को भंग करके वहां ताला जड़ दिया। प्रशासन ने अपनी कार्रवाई यही नहीं रोकी। उसने मलकीत सिंह गेंदू तथा सोनू सिंह भदौरिया के खिलाफ जिलाबदर की कार्रवाई भी कर दी। दिलचस्प बात यह रही कि बाफना गुट के हमले से बस्तर परिवहन संघ के जिन सदस्य हरपिंदर सिंह पर जानलेवा हमला किया गया, पुलिस ने उसकी रिपोर्ट आज तक नहीं लिखी है। विधायक बाफना के भांजे मनीष पारख की मौजूदगी में उस पर तलवार से हमला किया गया, जिससे उसके सिर पर दस टांके आए हैं और रायपुर के एक अस्पताल में उसका उपचार किया जा रहा है।
कार्रवाई की तेजी से हैरानी
पुलिस की इस तेज कार्रवाई से जगदलपुर ही नहीं पूरा प्रदेश हैरान है क्योंकि इस तरह की घटनाएं प्रदेश में अमूमन रोज ही होती रहती हैं परंतु पुलिस कभी कार्रवाई के लिए कभी तत्परता नहीं दिखाती है। पूरा बस्तर आए दिन नक्सली धमाकों से गूंजता रहता है परंतु पुलिस ने कभी उन नक्सलियों को पकडऩे में इतनी जल्दी नहीं दिखाई। फिर ऐसी क्या वजह बनी कि पुलिस और प्रशासन को यह सब बहुत तेजी से करना पड़ा।
औद्योगिक शांति का संदेश
दरअसल जगदलपुर से कुछ दूरी पर ही नगरनार में लोहे का एक बड़ा कारखाना तैयार हो रहा है। एनएमडीसी की देखरेख में बन रहे इस स्टील प्लांट का शुमार देश के अत्याधुनिक बड़े स्टील प्लांट्स में हो रहा है। खबर है कि भारत सरकार इस स्टील प्लांट को देश के एक बड़े औद्योगिक घराने को बेचने की तैयारी कर रही है। नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर में वह उद्योग समूह आने की तैयारी ही कर रहा था कि कारखाने के पास ही परिवहन के नाम पर हिंसक वारदात हो गई। सरकार को लगने लगा कि इस तरह की वारदातों में ढिलाई उद्योग समूह का मन बदल सकता है और उस उद्योग समूह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ निकटता की बातें हमेशा होती रहती हैं। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने आनन-फानन में कार्रवाई करके यह संदेश देना चाहा है कि औद्योगिक इलाकों में अशांति पैदा करने वालों के साथ सख्ती से पेश आया जाएगा।
उद्योगपति के पहुंचने की खबर
खबर है कि औद्योगिक समूह के मालिक इसी महीने पहले जगलपुर और फिर नगरनार स्टील प्लांट जाएंगे। इसके लिए उनकी कार हवाई रास्ते से रायपुर होते हुए जगदलपुर पहुंच चुकी है। कुछ घण्टों के प्रवास के दौरान वह उद्योगपति स्टील प्लांट का अवलोकन करेंगे और उसी दिन वापस चले जाएंगे।
मिल चुकी है खदान
जानकारों के अनुसार सम्बंधित उद्योग समूह को बैलाडीला में आयोरन ओर की एक खदान पिछले महीने ही दी जा चुकी है। सूत्रों ने बताया कि एनएमडीसी और छत्तीसगढ़ सरकार की एक संयुक्त खदान के लिए अप्रैल के पहले सप्ताह में निविदा जारी करने की तैयारी थी। तीन साल के लिए करीब नब्बे करोड़ रुपए के इस टेंडर की शर्तों के अनुसार निविदाकर्ता को एक साल के लिए खनन का काम देना था, जिसे बाद में दो साल के लिए बढ़ाया जाना था। बस्तर के एक स्थानीय व्यक्ति को इसके लिए चयनित भी कर लिया गया था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बताया गया है कि टेंडर को मंजूरी के लिए एनएमडीसी के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजा गया, जहां निविदा की शर्तों को बदल दिया गया। नए नियों के मुताबिक कार्यावधि तीन साल से बढ़ाकर दस साल कर दी गई। निविदाकर्ता को खनन के साथ आयरन ओर बेचने की भी अनुमति दे दी गई और इसकी राशि नब्बे करोड़ से बढ़ाकर ढाई सौ करोड़ कर दी गई। इस तरह बैलाडीला के डिपॉजिट 14 में आयरन ओर का दस साल तक खनन व बेचने का काम इसी औद्योगिक समूह को दे दिया गया, जिसे नगरनार स्टील प्लांट देने की तैयारी की जा रही है। बताया गया है कि वर्षांत तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा और स्टील प्लांट का उद्घाटन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नगरनार पहुंचेंगे।

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