Sunday, November 1, 2015

फसल बर्बाद होने व कर्ज में दबे एक और किसान ने पीया कीटनाशक

फसल बर्बाद होने व कर्ज में दबे एक और किसान ने पीया कीटनाशक






Posted:IST   Updated:ISTraipur: Crop failure and farmer drank pesticide and buried in debt
रात में माहो मारने वाली कीटनाशक पीने के बाद रेखराम को उल्टियां होना शुरू हुईं तो परिजन उसे संजीवनी 108 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
दुर्ग/बालोद/गुरुर. प्रदेश में एक और किसान ने फसल बर्बाद होने और कर्ज के बोझ से व्यथित होकर जान दे दी। गुरुर ब्लॉक के दर्रा गांव के 50 वर्षीय किसान रेखराम साहू ने शुक्रवार की रात साढ़े 8 बजे कीटनाशक पी लिया। तीन साल से लगातार फसल खराब होने और करीब 80 हजार रुपए के कर्ज हो जाने से रेखराम बेहद परेशान था। विधायक भैयाराम सिन्हा ने मदद के रूप में 10 हजार रुपए परिवार को दिए।� रात में माहो मारने वाली कीटनाशक पीने के बाद रेखराम को उल्टियां होना शुरू हुईं तो परिजन उसे संजीवनी 108 से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
देर से पहुंचा शासकीय अमला
जानकारी के अनुसार किसान रेखराम की मौत शुक्रवार रात 11 बजे हुई थी। घटना के दूसरे दिन सुबह 10 बजे उसके शव को घर पहुंचा दिया गया था। घटना के बाद शोकजदा परिवार को सांत्वना देने के लिए सभी लोग पहुंचे, लेकिन शासकीय अमला शनिवार दोपहर ढाई बजे के बाद पहुंचा। इसमें पुलिस, तहसीलदार, एसडीएम, कृषि अधिकारी शामिल थे। शासकीय कार्यवाही देर शाम तक चलती रही। शासकीय अमले ने पूरी जांच के बाद रिपोर्ट कलक्टर तक पहुंचाने की बात कही।
जमीन नहीं है
रेखराम के पास जमीन नहीं थी, इसलिए वह रेगहा लेकर खेती कर रहा था। उसके लिए वह कर्ज लिया था। रेखराम ने दोनों पुत्र और पुत्री की शादी उधार लेकर की थी। मृतक के पास पहले छह एकड़ खेती थी, जो बिक चुकी है। गांव में 350 हेक्टर कृषि भूमि : दर्रा में कुल 350 हेक्टेयर कृषि भूमि है। इसमें से आधे से अधिक फसल में माहो का प्रकोप है। इससे फसल बर्बाद होने के कगार पर है। गुरुर ब्लॉक में वर्तमान में 27198 हेक्टेयर में धान की फसल है। कृषि विस्तार अधिकारी जेपी सोनी के अनुसार विकासखंड में 350 हेक्टेयर में माहो का प्रकोप है।
फसल की बर्बादी के कारण हुई घटना :� बालोद विधायक भैयाराम सिन्हा ने कहा, प्रशासनिक लापरवाही के कारण किसान ने आत्महत्या की है। प्रशासन फसलों की स्थिति पर ध्यान नहीं दे रहा है। कर्ज व फसल की बदहाली को देखकर किसान ने आत्महत्या की। प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए गलत रिपोर्ट बनाई है। पूरे जिले की फसल में माहो का प्रकोप है।
किसान ने नहीं लिया कर्ज : गुरुर के तहसीलदार डीआर मरकाम ने कहा,हमने मामले में उनके परिजन और ग्रामीणों से पूछताछ की है। किसान ने कर्ज नहीं लिया है। किसान कर्ज से आत्महत्या नहीं की है।
फसल में तीन साल से नुकसान
पुत्र दौलत ने बताया, उनके पिता बीते तीन साल से रेगहा में धान फसल ले रहे थे, लेकिन एक भी साल फायदा नहीं हुआ। वह कर्ज लेकर खेती कर रहा था। नुकसान के कारण रेखराम पिछले साल खेत मालिक को पांच क्विंटल धान नहीं दे पाए थे। इस साल दो एकड़ खेत रेगहा लिए थे, लेकिन दोनों एकड़ फसल माहो की चपेट में आने के कारण बर्बाद हो गया। इससे रेखराम चिंतित था। पता चला है कि मृतक शराब का आदी था।
साहूकारों से 50 हजार व ग्रामीण बैंक से 34 हजार कर्ज
किसान के पुत्र दौलत ने बताया, कीटनाशक दवा के लिए भी पैसे उधार लिए थे। खेती के लिए उसने साहूकारों से 40-50 हजार रुपए लिया था। छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से करीब 34 हजार रुपए कर्ज ले रखा था। परिवार मजदूरी करता है।
घर में रोता था रेखराम
किसान की पत्नी नेमीन ने बताया, फसल बर्बाद होने के कारण रेखराम दो सप्ताह से परेशान था। कर्ज की चिंता को लेकर रात में रोता था। घर में वह एक ही बात करता था कि पिछले तीन साल से फसल में घाटा हो रहा है। कर्ज भी है। माहो ने फसल को बर्बाद कर दिया है। अब क्या करें।
कांग्रेस करेगी जांच �
राजनांदगांव छुरिया किरगाहाटोला के किसान ईश्वर लाल कोर्राम और धमतरी के किसान रेखराम की खुदकुशी मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अलग-अलग समिति गठित की है। छुरिया में शंकर लाल ताम्रकार और गुरूर में घनाराम साहू को संयोजक बनाया गया है।
कर्ज नहीं, पारिवारिक विवाद है वजह
घटना की जानकारी मिलने के बाद तहसीलदार और एसडीएम जांच के लिए घटनास्थल भेजा गया। जांच में पता चला कि मृतक का कहीं कोई बैंक में कर्ज नहीं है। पारिवारिक विवाद के कारण किसान ने कीटनाशक दवा सेवन कर आत्महत्या की। मृतक नशे का भी आदी था। जांच में फसल के नुकसान को सिरे से नकारा गया है। घटना का मुख्य कारण पारिवारिक विवाद है।
राजेश सिंह राणा, कलक्टर, बालोद
विरोधाभासी
गांव में चर्चा है, पिता-पुत्र के बीच विवाद होता था। किसान की पत्नी ने कहा, घर पर सभी खुश थे। कहीं विवाद नहीं हुआ। किसान के पुत्र दौलत का कहना है, ग्रामीण बैंक में 34 हजार रुपए का कर्ज है। फसल की स्थिति ठीक नहीं है, इससे परेशान होकर पिता ने आत्महत्या की। अब सवाल उठ रहा है, मामले में प्रशासन की रिपोर्ट सही है या किसान के परिजन सही।

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