Wednesday, November 25, 2015

'अमरीकी कथनी और करनी से सजग रहे भारत -'सुनीता नारायण

'अमरीकी कथनी और करनी से सजग रहे भारत -'सुनीता नारायण 

  • 7 अक्तूबर 2015
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सुनीता नारायण
भारत की पर्यावरण मामलों की संस्था सेंटर फ़ॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन में उत्सर्जन घटाने पर 'अमरीका की कथनी और करनी में फ़र्क़ है और भारत को सजग रहने की ज़रुरत है'.
राजधानी दिल्ली में जलवायु परिवर्तन मामले में अमरीकी दावों को चुनौती देने वाले एक शोध 'कैपिटन अमेरिका: यूएस क्लाइमेट' पर प्रेस वार्ता में ये दावे सामने आए हैं.
सीएसई के अनुसार अमरीका में वर्ष 2030 तक 76% मूल ऊर्जा फ़ॉसिल फ़्यूल यानी जीवाश्म ऊर्जा से ही पैदा होगी जिससे उत्सर्जन कम होने के बजाय बढ़ेगा.
पर्यावरणविद और सीएसई प्रमुख सुनीता नारायण ने कहा कि भारत और ब्राज़ील जैसे देशों को नवंबर 2015 में होने वाले पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मलेन में भी सजग रहने की ज़रुरत है.

बड़े घर और गाड़ियों का प्रयोग

Image copyrightDavid Falconer The US National Archives Flickr
सुनीता नारायण ने बताया कि वर्ष 2006 तक अमरीका ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन मामले में पहले स्थान पर था लेकिन फिर चीन ने उसे पछाड़ दिया.
उन्होंने कहा, "इसके बावजूद अमरीका में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन आज भी भयावह स्तर पर है जो भारत, चीन और ब्राज़ील के कुल योग से भी ज़्यादा है.''
सुनीता ने बताया, "वर्ष 2013 के अमरीकी सेन्सस के अनुसार बीस वर्ष पहले भी 86% अमरीकी दफ़्तर जाने के लिए कारों का प्रयोग करते थे और आज भी आंकड़े वही हैं."
सीएसई की रिसर्च के अनुसार अमरीका में घरों का कुल एरिया बड़ा होता जा रहा है जो यूरोप और चीन से भी ज़्यादा है और इससे उत्सर्जन पैदा करने वाली बिजली की खपत भी बढ़ रही है.

आयात से बढ़ता उत्सर्जन

Image copyrightAFP
सीएसई के अनुसार अमरीका में सालाना खपत होने वाले पदार्थों में से 60% आयात हो रहा है लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि इसमें सबसे ज़्यादा हिस्सा उत्सर्जन बढ़ाने वाले उद्योग संबंधी पदार्थ हैं.
हालांकि सीएसई के इन आंकड़ों पर अभी भारत या अमरीकी सरकार की प्रतिक्रिया आनी बाक़ी है लेकिन ये रिसर्च एक ऐसे समय पर आई है जब दुनिया के तमाम देश अपने यहाँ उत्सर्जन कम करने के नए मानक घोषित कर रहे हैं.
भारत ने कुछ दिनों पहले फ़ैसला किया है कि वो वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता में 33 से 35% कटौती करेगा.
पृथ्वी के वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैस के 85% उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार 147 देशों ने इस उत्सर्जन को कम करने के अपने-अपने प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किए हैं और इनमें अमरीका भी शामिल है.
(बीबीसी हिन्दी

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