Tuesday, May 12, 2015

सरगुजा में मीटर शिफ्टिंग घोटाला


सरगुजा में मीटर शिफ्टिंग घोटाला 
नईदुनिया एक्सपोज
अंबिकापुर(निप्र)। सरगुजा वृत्त में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के साथ ही टेंडर में भी भारी घालमेल की गई है। दो-दो लाख के टेंडर की आड़ में एक ही फर्म को लगभग 14-14 लाख रूपए का कार्यादेश जारी करने का खुलासा सूचना के अधिकार में हुआ है। विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के लिए निविदा का प्रकाशन न तो अखबारों में किया गया और न ही विभागीय बेवसाईट में ही इसे सार्वजनिक किया गया। चहेते ठेकेदार को काम देने के लिए संबंधित अधिकारियों ने सुनियोजित तरीके से मौखिक सूचना देकर निविदा आमंत्रित कर लिए और कागजों में निविदा प्रकाशन का खानापूर्ति कर काम दे दिया। सूचना के अधिकार के तहत मामले का खुलासा होने के बाद जिम्मेदार अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं।
छत्तीसगढ़ के कई जिलों में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग का बड़ा घोटाला हुआ है। विभाग के कई अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्रवाई किए जाने के साथ ही ठेका कंपनियों पर भी गाज गिरी है। बड़े पैमाने पर प्रदेश के कई जिलों में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग घोटाले के बाद सरगुजा वृत्त के साथ ही समूचे प्रदेश में फिलहाल यह काम रोक दिया गया है। सरगुजा वृत्त में मीटर शिफ्टिंग टेंडर और काम की जांच की आंच पहुंचने से पहले ही बंद हो जाने से चैन की नींद सो रहे विभागीय अधिकारियों की नींद सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारियों से उड़ गई है। सरगुजा में भले ही विद्युुत मीटर शिफ्टिंग कार्य की जांच नहीं हो सकी,लेकिन सूचना के अधिकार के तहत खुलासा हुआ है कि यहां तो विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के शुरूआती प्रक्रिया टेंडर में ही भारी घोटाला किया गया है। वित्तीय वर्ष 2011-12 में सरगुजा वृत्त के विभिन्न वितरण केंद्रों के अधीन उपभोक्ताओं के घरों के भीतर लगी विद्युुत मीटर को बाहर शिफ्ट करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई थी। शुरूआती टेंडर में तो विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों ने नियम प्रक्रियाओं का पालन किया,लेकिन धीरे-धीरे कमीशन के बोझ तले दबे अधिकारियों ने नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ानी शुरू कर दी और दो-दो लाख रूपए का एक-एक टेंडर जारी कर एक ही चहेते फर्म को तीन से लेकर सात कार्यादेश लगभग 14-14 लाख रूपए तक का जारी कर दिया।
नईदुनिया को मिली जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने चहेते फर्म के लिए नियमों को ताक पर रखा और मोटी कमाई को देखते हुए मनमाने तरीके से एक ही फर्म को काम देकर मनमाना कार्य करने की छूट दे दी। संबंधित फर्म ने भी निविदा की शर्तों का खुला उल्लंघन कर मनमाने तरीके से उपभोक्ताओं से ही राशि और उपकरण वसूल कर मीटर शिफ्टिंग किया और सरकारी खजाने से एक-एक विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के नाम पर 370-370 रूपए आहरित कर अधिकारियों को भी कमीशन का बड़ा हिस्सा दे मुंह बंद कर दिया।
दो लाख का टेंडर लगभग 14 लाख का कार्यादेश-
विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के लिए विभाग द्वारा बीते 16 मई 2012 को मनेंद्रगढ़ वितरण केंद्र के लिए टेंडर क्रमांक 405 जारी किया था। उक्त टेंडर दो लाख रूपए का था,परंतु उक्त टेंडर की आड़ में विभाग ने लगभग 14 लाख रूपए के सात कार्यादेश जारी कर दिए। कार्यादेश क्रमांक 1464 दिनांक 30 अगस्त 2012 को 199800 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 2146 दिनांक 21 नवंबर 2012 को 96200 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 2145 दिनांक 21 नवंबर 2012 को ही 199800 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 1761 दिनांक 4 अक्टूबर 2012 को 199800 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 696 दिनांक 14 जून 2012 को भी 199800 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 810 दिनांक 27 जून 2012 को 199800 रूपए का, कार्यादेश क्रमांक 1266 दिनांक 31 जुलाई 2012 को 199800 रूपए का काम दे दिया गया। नई दुनिया के पास ऐसे ही टेंडर के प्रमाण उपलब्ध हैं,जिसमें विभाग ने भारी गड़बड़ी की है। चहेते ठेकेदार को काम देने के लिए विभाग ने सारे नियमों को ताक पर रख दिया था।
इन टेंडरों पर अतिरिक्त काम-
प्रतापपुर वितरण केंद्र के विद्युुत उपभोक्ताओं के मीटर शिफ्टिंग के लिए 13 जनवरी 2012 को दो लाख रूपए का टेंडर क्रमांक 2623 जारी किया गया था। इस टेंडर की आड़ में तीन कार्यादेश जारी कर दिए गए जिसमें पांच लाख रूपए से अधिक का काम दिया गया है। इसी प्रकार कुसमी वितरण केंद्र के टेंडर क्रमांक 2622 में लगभग चार लाख रूपए के दो काम, सूरजपुर वितरण केंद्र के टेंडर क्रमांक 2822 में दो लाख के काम के एवज में साढ़े पांच लाख रूपए से अधिक का तीन काम, भैयाथान वितरण केंद्र के लिए दो लाख रूपए का एक काम के टंेंडर क्रमांक 2823 की आड़ में लगभग चार लाख रूपए के काम का दो कार्यादेश जारी किया गया है। इसी प्रकार राजपुर, बतौली, सीतापुर, सरगवां, भटगांव वितरण केंद्र के अधीन विद्युुत उपभोक्ताओं के मीटर शिफ्टिंग के लिए दो-दो लाख रूपए का टेंडर जारी कर उससे अधिक का दो से पांच कार्यादेश लगभग छह-छह लाख रूपए तक का जारी कर देने का खुलासा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से हुआ है।
टेंडर क्रय और जमा करने के दस्तावेज खोल रहे गड़बड़ी-
विद्युुत विभाग के वर्ष 2011-12 में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग घोटाला के कई प्रमाण सूचना के अधिकार के तहत सामने आ रहे हैं। विभाग द्वारा इन कार्यों की निविदा न तो अखबारों में प्रकाशित कराई गई और न ही बेवसाईट पर ही डाला गया। चहेते ठेकेदार को काम देने के लिए अधिकारियों ने नोटिस बोर्ड में सूचना चस्पा करने का दावा कर चहेते ठेकेदार को मौखिक सूचना दे तीन अलग-अलग फर्मों के नाम से टेंडर फार्म खरीदवा गड़बड़ी की और चहेते ठेकेदार का टेंडर फाईनल कर उसे काम दे दिया। यही वजह है कि एक ही ठेकेदार प्रतिनिधि की हेंडराईटिंग टेंडर फार्म क्रय करने और जमा करने के दस्तावेजों में स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारियों से गड़बड़ी का खुलासा होते ही अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे हैं। आरटीआई के तहत जानकारी देने में भी अधिकारी अनावश्यक लेट लतीफी करते रहे,ताकि मामले को दबाए रख पाने में उन्हें मदद मिल सके।
टेंडर ही नहीं काम में भी घोटाला-
जब प्रदेश के कई जिलों में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग घोटाला का राज खुला और जांच के साथ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई तो उम्मीद की जा रही थी कि सरगुजा वृत्त में भी जांच होगी परंतु यहां जांच नहीं हुई। वितरण केंद्र स्तर पर ठेका के माध्यम से विद्युुत मीटर शिफ्टिंग का काम बंद होने से अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली थी। सरगुजा वृत्त में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के सिर्फ टेंडर में ही घोटाला नहीं हुआ है। कार्य में भी मनमानी की गई है। कई टेंडर ऐसे है,जिसमें एक विद्युुत मीटर शिफ्टिंग के एवज में विभाग द्वारा ठेकेदार को 370 रूपए प्रति मीटर के हिसाब से भुगतान किया गया है,परंतु ठेकेदार द्वारा उपभोक्ताओं से तार और दूसरे संसाधन का खर्च वसूल कर मनमाने तरीके से विद्युुत मीटरों को शिफ्ट किया गया है। यदि सरगुजा वृत्त में विद्युुत मीटर शिफ्टिंग की जांच की जा ए तो बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।
बयान-1
जब का मामला है,तब मैं यहां पदस्थ नहीं था। दस्तावेजों को देखना पड़ेगा,उसके बाद ही मैं कुछ बता सकता हॅूं।
एस.के. ठाकुर
मुख्य अभियंता
विद्युुत मंडल,सरगुजा वृत्त

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