Tuesday, May 12, 2015

अंबिकापुर /शिवपुर -बेलहर बांध से निकली नहर को 43 लाख की राशि खर्च करके पाट दिया ,अब किसानों को दो साल से पानी मिलना ही बंद हो गया


  अंबिकापुर /शिवपुर -बेलहर बांध से निकली नहर को 43 लाख की राशि खर्च करके  पाट दिया ,अब किसानों को दो साल से पानी मिलना ही बंद हो गया


[नईदुनिया एक्सक्लूसिव]
-अनंगपाल दीक्षित-
अंबिकापुर(निप्र)। सरगुजा जिले के किसान खेती के लिए बेहतर सिंचाई सुविधा को तरस रहे हैं। टूटी-फूटी नहरों से किसी गांव के किसानों को यदि सिंचाई के लिए पानी मिल भी रहा है तो उसे नेस्तनाबूद करने का काम जल संसाधन विभाग ने शुरू कर दिया है। लंबे समय तक जिस घुनघुट्टा जलाशय क्षेत्र के शिवपुर-बेलहर बांध नहर से किसान सिंचाई करते थे, उसमें रिसाव होने की बात कह विभाग के अधिकारियों ने मनरेगा और बीआरजीएफ के तहत 43 लाख से अधिक की राशि खर्च कर नहर को पाट दिया और दोबारा उसकी खुदाई कराना ही भूल गए। ऐसे में अब किसानों को दो साल से पानी मिलना ही बंद हो गया है। विभाग की अदूरदर्शिता के कारण शिवपुर-बेलहर बांध नहर निर्माण में एक बड़ी राशि पानी में बहा दी गई। ग्रामीणों ने पूर्व में भी इस नहर निर्माण का विरोध किया था,किंतु विभाग के अधिकारियों की मनमानी व हठधर्मिता से निर्माण कार्य बंद नहीं हुआ और अब लाखों फूंकने के बाद भी नहर नेस्तनाबूद हो गया है।
सरगुजा जिला मुख्यालय के सबसे बड़े श्याम घुनघुट्टा जलाशय के एक माइनर नहर करजी से लगे ग्राम पंचायत शिवपुर से गुजरी है। यहां वर्षों से श्याम घुनघुट्टा जलाशय का पानी साइफन पद्घति द्वारा ग्राम पंचायत शिवपुर के बेलहर बांध नहर से होकर किसानों के खेतों तक पहुंचता था और सैकड़ों किसान की खेती लहलहाती थी। वर्षों पुरानी नहर होने के कारण कुछ जगह जरूर रिसाव शुरू हो गया था। रिसाव के कारण नहर का पानी नहर से ही लगे बेलहर बांध में चला जाता था। इसके बाद भी किसानों को सिंचाई के लिए इतना पानी मिल जाता था कि वे आसानी से खेती कर लिया करते थे। नहर में मामूली रिसाव को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने नहर के रिसाव को बंद करने योजना बनाई पर योजना किसानों के काम नहीं आई जल संसाधन विभाग ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत शिवपुर-बेलहर बांध का सुदृढ़ीकरण हेतु वर्ष 2013-14 में मनरेगा के तहत 24.275 लाख रुपए की स्वीकृति दी। इसके बाद 17 जुलाई 2013 को बीआरजीएफ के तहत 18.275 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की। इस पूरी राशि से 30 सितंबर 2013 से काम शुरू किया गया और पूरे नहर को पाट दिया गया। वाहनों से मुरूम, मिट्टी की ढलाई कराई गई और नहर को पाटने के बाद काफी दूरी तक मिट्टी, मुरूम उसी हाल में छोड़ दिया गया है। अब तो यहां बड़े-बड़े झाड़ियों ने घेर लिया है और नहर नेस्तनाबूद हो चुकी है। अच्छा-खासा सिंचाई का साधन विभाग ने अदूरदर्शिता के कारण छीन लिया है। किसान अब अपने खेतों की सिंचाई के लिए तरस रहे हैं। नहर को पाटने के साथ ही बेलहर बांध में साइड पीचिंग का काम अत्यंत स्तरहीन तरीके से किया गया है। पत्थरों को दूर-दूर बिछाकर छोड़ दिया गया है, जिसका कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
किया था हमने विरोध-
शिवपुर के किसान उपसरपंच केवला राजवाड़े, तिलक राम, शोभित राम, पटेल व अन्य ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने नहर को पाटने का विरोध किया था किंतु जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण नहर पाट दिया गया और बड़ी राशि खर्च कर दी गई, जिसका लाभ मिलने के बजाय हमें नुकसान हो गया है।
मैंने काम रोकने कहा था- टीएस
इस संबंध में राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा कि वे पानी किसानी बर यात्रा के दौरान बेलहर बांध नहर पाटे जाने को मौके पर जाकर देखा था। तभी मैंने काम रोकने कहा था। उन्होंने कहा कि शिवपुर-बेलहर बांध नहर को पाटने के बाद किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में यदि विभाग इस गांव को सींचित मान रहा होगा तो यह भी चौंकाने वाली बात है। उन्होंने कहा कि घुनघुट्टा माइनर नहर क्रमांक दो की हालत खराब है, ऐसे में खराब हिस्से को छोड शिवपुर के समीप साइफन पद्घति से नहर में जा रहे पानी को रोककर पाट देना और राशि खर्च करना समझ से परे है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी टूटफूट को विभाग के द्वारा तत्काल दूर न किए जाने के कारण ऐसी परिस्थिति निर्मित होती है और विभाग की अदूरदर्शिता के कारण बड़ी राशि बर्बाद हो रही है।
मनरेगा और बीआरजीएफ की राशि से एक काम-
जिले में ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है जहां मनरेगा की राशि से निर्माण कार्य हो रहा हो और उसी काम के लिए बीआरजीएफ से भी राशि खर्च की जाए। दोनों योजनाओं का अलग-अलग उपयोग होता है किंतु जल संसाधन विभाग ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जहां दो योजनाओं की राशि खर्च करने के बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है।
लोक सुराज अभियान में पारित हुआ प्रस्ताव-
हाल ही में लोक सुराज अभियान के दौरान जल संसाधन विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की मौजूदगी में ग्र्रामीणों ने ध्वनि मत से बेलहर बांध नहर निर्माण तत्काल बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। यह प्रस्ताव पारित होने के बाद जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने मौके का जायजा भी लिया था कि आखिरकार पूरे गांव के ग्रामीण उक्त नहर के निर्माण को तत्काल रोकने क्यों कह रहे हैं। ग्रामीणों के द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद भी निर्माण कार्य स्थल पर अभी तक जल संसाधन विभाग का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। और तो और इस नहर को पाटने के लिए मजदूरों से ज्यादा ट्रैक्टर का प्रयोग किया गया था, जबकि मनरेगा के कामों में ट्रैक्टर का उपयोग प्रतिबंधित है, पूरा काम मजदूरों से कराया जाना है।
बयान-
स्थल निरीक्षण करने के बाद भी वे कुछ बता सकते हैं। किसी भी नहर के मरम्मत के लिए मनरेगा से राशि स्वीकृत कराने कलेक्टर से अनुमति ली जाती है। छोटे-मोटे काम इसी के तहत करा दिए जाते हैं। उक्त नहर को क्यों पाटा गया और अब तक काम पूरा क्यों नहीं हुआ, इसकी जानकारी वे तत्काल लेंगे और स्थल निरीक्षण कर आगे कुछ बता पाने की स्थिति में रहेंगे।
ओपी चंदेल
कार्यपालन अभियंता
जल संसाधन
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