बस्तर के अल्ट्रा मेगा प्लांट पर जमीन अधिग्रहण विवाद का साया
जिया कु रैशी, रायपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 9 मई को दंतेवाड़ा में जिस अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट के लिए एमओयू किया गया है वह प्लांट कहां लगेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। एमओयू से पहले तक सरकार की ओर से जानकारी दी जा रही थी कि यह प्लांट बस्तर जिले के ग्राम डिलमिली में लगेगा, लेकिन प्लांट के लिए जो एमओयू किया गया है उसमें डिलमिली के स्थान पर बस्तर क्षेत्र (संभाग) में अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट लगाने की बात कही गई है।
इधर बस्तर के डिलमिली में प्लांट लगाने की बात शुरू होते ही आदिवासियों ने विरोध शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इस विरोध के कारण ही सरकार प्लांट के लिए तय स्थान की स्थिति स्पष्ट नहीं कर पा रही है।
25 साल से डिलमिली में प्लांट की योजना, पर सफलता नहीं
यह प्रस्तावित अल्ट्रा मेगा पावर प्लांट राज्य सरकार, स्टील अथॉरिटी आफ इंडिया (सेल) और नेशनल मिनरल डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) और केंद्र सरकार का संयुक्त उपक्रम होगा। डिलमिली में प्लांट लगाने के लिए पूर्व में न सिर्फ सर्वे हुए हैं, बल्कि 1990 में अविभाजित मध्यप्रदेश में सुंदरलाल पटवा सरकार के कार्यकाल में इसी स्थान पर स्टील प्लांट लगाने के लिए एमओयू भी हुआ था। उस समय यहां मुकुंद स्टील के नाम से संयत्रं लगाने की तैयारी थी, लेकिन ग्रामीणों व आदिवासियों के विरोध के कारण यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जानकार सूत्रों के अनुसार निजी कंपनी मुकुंद स्टील के विरोध के बाद वर्ष 1990-93 के बीच एक अन्य निजी कंपनी द्वारा भी यहां स्टील प्लांट प्रारंभ करने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद निजी कंपनियों के खिलाफ विरोध को देखते हुए तय किया गया कि सरकारी क्षेत्र की कंपनियों, उपक्रम के जरिए प्लांट शुरू किया जाए तो विरोध के स्वर धीमे पड़ सकते हैं। शायद यही कारण है कि इस बार राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ सरकारी क्षेत्र के दो उपक्रमों की भागीदारी करके डिलमिली में प्लांट के लिए एमओयू किया गया है।
अब भी जारी है विरोध
इधर डिलमिली में अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट लगाने के प्रयास को देखते हुए वहां ग्रामीणों और आदिवासियों ने विरोध-प्रर्दशन शुरू कर दिया है। लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है। बताया गया है कि डिलमिली में यह प्लांट लगाने से 11 ग्राम पंचायतों के तीन ब्लॉक तोकापाल, बास्तानार और दरभा प्रभावित होंगे। इसके साथ ही यहां के करीब 24 आश्रित गांव और बसाहटों पर भी असर होगा। यही कारण है कि प्रस्तावित प्लांट का विरोध हो रहा है। राज्य सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार ने काफी पहले ही डिलमिली में प्लांट लगाने की योजना बना रखी है, इसके लिए जमीन अधिग्रहण का काम आसानी से करने के लिए बस्तर जिले में एक ऐसे आईएएस अधिकारी की नियुक्ति की गई है, जो पूर्व में रायगढ़ में उद्योगों के लिए जमीन अधिग्रहण करवाने का काम सफलता पूर्वक कर चुके हैं।
डिलमिली क्यों है उपयुक्त?
डिलमिली में अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट लगाए जाने के पक्ष में कई बातें हैं, जैसे यहां करीब 700 एकड़ सरकारी बंजर जमीन है जो उद्योग विभाग के कब्जे में है। डिलमिली के पास से रेल लाइन गुजरती है, यह इलाका पथरीला है, खेती कम होती है। साथ ही डिलमिली राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से जुड़ा और जगदलपुर से मात्र 32 किलोमीटर दूरी पर है। इसके साथ ही यहां वन क्षेत्र कम है। प्रस्तावित प्लांट के लिए करीब चार हजार एकड़ जमीन की आवश्यकता है, खाली पड़ी सरकारी जमीन के अलावा वहां के निवासियों की जमीन ली जानी है, इसी डर से स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।
बस्तर संभाग के लिए एमओयू-उद्योग सचिव
अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट के लिए राज्य सरकार की ओर से एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाले राज्य के उद्योग सचिव सुबोध सिंह ने नईदुनिया से चर्चा करते हुए कहा कि प्लांट के लिए जो एमओयू हुआ है उसमें प्लांट लगने के स्थान के रूप में बस्तर क्षेत्र का नाम लिखा है। यह प्लांट डिलमिली के अलावा किसी और जगह पर भी हो सकता है। लेकिन प्रस्तावित स्थल में डिलमिली भी शामिल है। अब सेल और एनएमडीसी खुद सर्वे करके पता लगाएंगे कि बस्तर क्षेत्र में प्लांट के लिए सबसे उपयुक्त स्थान कौन-सा हो सकता है। जहां सबसे कम दिक्कतें होंगी, प्लांट वहीं लगाया जाएगा। जो भी स्थान उपयुक्त होगा, वहां के निवासियों से चर्चा कर उन्हें विश्वास में लिया जाएगा, उन्हें बताया जाएगा कि औद्योगीकरण से उनके क्षेत्र का किस प्रकार विकास होगा और रोजगार की क्या संभावनाएं होंगी?
किसानों की जमीन न छीनें-सीपीएम
सीपीएम के राज्य सचिव संजय पराते का कहना है कि बस्तर क्षेत्र में कहीं भी प्लांट लगाएं, लेकिन उसके लिए किसानों की जमीन नहीं छीनी जानी चाहिए। यह भी आवश्यक है कि बस्तर संभाग में जहां पांचवीं अनुसूची, पेसा और वनाधिकार कानून लागू है, उसका पालन किया जाए। सीपीएम औद्योगीकरण के विरोध में नहीं है, लेकिन पहले यह साफ होना चाहिए कि कितनी जमीन ली जाएगी, पुनर्वास का पैकेज क्या होगा? श्री पराते ने यह भी कहा कि जिस तरह डिलमिली में प्लांट लगाने की तैयारी की जा रही है उसे देखते हुए लगता है कि इसका हाल भी टाटा के बस्तर में प्रस्तावित प्लांट की तरह होगा। फिलहाल डिलमिली के प्रस्तावित प्लांट को लेकर भाकपा द्वारा किए जा रहे आंदोलन को सीपीआई ने समर्थन दिया है।
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