किसान ताकते रहे, फसल बीमा का निजी कंपनियां ले गईं 148 करोड़
गंगेश द्विवेदी,रायपुर [नईदुनिया ]। छत्तीसगढ़ में फसल बीमा का आकलन पहली बार अब हलका स्तर पर होगा। इस बार पटवारी हलका स्तर पर फसल को होने वाले नुकसान का आकलन करेंगे। इससे पहले यह आकलन ब्लॉक स्तर पर होता था। कृषि विभाग ने किसानों को होने वाले नुकसान का अधिक से अधिक फायदा पहुंचाने के लिए लिहाज से आकलन की प्रक्रिया में सुधार किया है।
किसानों के लिए पिछले साल लागू की गई मौसम आधारित फसल बीमा योजना राज्य के किसानों के लिए नुकसानदेह साबित हुई। इस योजना से अब राज्य सरकार ने भी तौबा कर ली है। नए खरीफ सीजन से फसलों का बीमा राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत किया जाएगा।
इस योजना में नुकसान का आकलन पटवारी हलका स्तर पर किया जाएगा यानी एक हलका को इकाई मानकर नुकसान का आकलन किया जाएगा। पिछले साल लागू की गई योजना में गड़बड़ी यह थी कि निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने खुद ही वर्षा मापक यंत्र लगा लिए थे।
बारिश की गणना भी वे खुद कर रहे थे और अवर्षा से उत्पन्न स्थिति और नुकसान का आंकड़ा भी वही जुटाते थे। नतीजतन राज्य के किसानों को नुकसान तो हुआ, लेकिन बीमा की राशि हानि के अनुपात में नहीं मिली। निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने बीमा प्रीमियम के करोड़ो रुपए वसूल कर लिए और किसानों को कम मुआवजा अदा किया गया।
148 करोड़ सीधे कंपनी की जेब में
राज्य सरकार ने माना की मौसम आधारित बीमा पॉलिसी से किसानों को फायदा नहीं हुआ है। इसकी तुलना में पुरानी बीमा पॉलिसी किसानों के लिए अधिक फायदेमंद है। किसानों के अलावा सरकार के लिए भी यह घाटे का सौदा साबित हुआ। सरकार और किसानों ने मिलकर 334 करोड़ रुपए जमा किए जबकि सरकार के दबाव में कंपनियों ने केवल 180.25 करोड़ रुपए किसानों को मुआवजा बांटा। इस तरह करीब 148 करोड़ रुपए सीधे कंपनियों के खाते में चला गया।
आरबीआई के नियमों का उल्लंघन
जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमानुसार किसी भी किसान के खाते से उसकी जानकारी और मर्जी के बगैर कोई राशि नहीं निकाली जा सकती, लेकिन कृषि ऋण के साथ सरकार ने फसल बीमा अनिवार्य करके इस नियम का उल्लंघन किया। कृषि ऋण के साथ किसान के खाते से फसल बीमा का प्रीमियम आहरित किया गया, जो सीधे बीमा कंपनी के खाते में चला गया।
किसानों के विरोध का परिणाम
मौसम आधारित बीमा पॉलिसी की समझ रखने वाले किसानों में इस बात को लेकर जबरदस्त आक्रोश था । उन्होंने सरकार से मौसम आधारित इस बीमा योजना की अधिसूचना को रद्द कर राष्ट्रीय कृषि बीमा निगम की फसल बीमा योजना को लागू करने की मांग की थी। किसानों का कहना है कि अब तक प्रदेश में राष्ट्रीय कृषि बीमा निगम की फसल बीमा योजना लागू थी जो उत्पादन पर आधारित थी। इस बीमा योजना के तहत उत्पादन में कमी होने पर उस अनुपात में क्षतिपूर्ति मिलती थी।
यह है राष्ट्रीय फसल बीमा योजना
खरीफ 2015 केलिए प्रदेश में राष्ट्रीय फसल बीमा योजना (केन्द्र प्रवर्तित) लागू करने का निर्णय लिया गया। यह बीमा योजना सिंचित धान को छोड़कर असिंचित धान और मक्का, अरहर, मूंगफली, सोयाबीन पर लागू होगी। बीमित राशि धान असिंचित के लिए 11600 रुपए प्रति हेक्टेयर, मक्का के लिए 12000 रूपए, अरहर (तुअर) लिए 9400 रुपए, सोयाबीन के 18800 रुपए और मूंगफली के लिए 41900 रुपए प्रति हेक्टेयर होगी। प्रीमियम दरें धान, मक्का और तूअर के लिए बीमित राशि का ढाई प्रतिशत और तिलहन (सोयाबीन, मूगफली) के लिए बीमित राशि का 3.50 प्रतिशत होगी। इस बीमा योजना के लिए पटवारी हल्के को इकाई माना जाएगा।
इनका कहना है
- मौसम आधारित फसल बीमा में प्रीमियम अधिक था, लेकिन बीमा की राशि भी अधिक थी। राष्ट्रीय फसल बीमा योजना में पहली बार पटवारी हलका को इकाई मानकर नुकसान का आकलन किया जाएगा। पहले यह ब्लॉक स्तर पर होता था। इसका फायदा किसानों को मिलेगा।
-बृजमोहन अग्रवाल, कृषि मंत्री
आकलन की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत
- फसल बीमा के आकलन की प्रक्रिया में सुधार की जरूरत है। मौसम आधारित बीमा हो या राष्ट्रीय फसल बीमा, दोनों में किसानों की भागीदारी कहीं नजर नहीं आती। हालांकि ब्लॉक स्तर के बजाय पटवारी हलका स्तर पर आकलन होने से किसानों को फायदा होगा, लेकिन अभी भी आकलन की प्रक्रिया में सुधार की काफी गुंजाइश है। किसानों की भागीदारी के साथ हर खेत का इश्योरेंस हो और उनमें होने वाले नुुकसान का आकलन भी इसी आधार पर हो।
-गौतम बंदोपाध्याय, संयोजक, नदी घाटी मोर्चा
0 मौसम आधारित योजना से बीमा कंपनियों ने कमाए अरबों रुपए, किसानों को नहीं हुआ फायदा
0 प्रदेश में खरीफ 2015 में लागू होगी राष्ट्रीय फसल बीमा योजना
दोनों बीमा में प्रमुख अंतर -
मौसम आधारित फसल बीमा राष्ट्रीय फसल बीमा योजना
रिस्क कवरेज 20 हजार तक अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग बीमित राशि
प्रीमियम - दो हजार रुपए प्रति हेक्टेयर बीमित राशि का 3.5 फीसदी
40 फीसदी से कम बारिश होने पर ही लागू नुकसान के हिसाब से बीमा दावा
समय अवधि तीन माह तय समय अवधि खरीफ सीजन
कुल किसानों का हुआ बीमा - 9 लाख 72 हजार 338
बीमा रकबा- 16 लाख 86 हजार 129 हेक्टेयर
किसानों का बीमा प्रीमियम- 167 करोड़ 31 लाख 84 हजार 340
राज्य और केंद्र का बीमा प्रीमियम- 167 करोड़ 31 लाख 84 हजार 340
बीमा कंपनियों को कुल भुगतान- 334.63 करोड़
प्रदेश के किसान जिनको मिला लाभ- 5 लाख 95 हजार 715 रुपए
बीमा भुगतान की राशि- 186 करोड़ 25 लाख 36 हजार 241
तीन माह में कंपनियों के जेब में सीधे गया- 148 करोड़ रुपए
[नईदुनिया ]
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