सामाजिक न्याय के मुद्दे पर आजकल जो बहस चल रही है ၊
उससे काफी परेशानी महसूस कर रहा हूँ ၊
जाति के मुद्दे पर लिखने वाले दोस्त लोग वामपंथी साथियों के खिलाफ लिख रहे हैं ၊
क्या जाति पाति के खिलाफ जो मुहिम है उसमे अब तक वामपंथी शामिल नहीं रहे ?
रोहित वेमुला, डेल्टा मेघवाल , उससे पहले शंकर बिगहा , लक्ष्मणपुर बाथे, बथानी टोला , खैरलांजी ,शीतल साठे समेत हर घटना के खिलाफ चले आंदोलन मे ना सिर्फ वामपंथी , बल्कि गांधीवादी , और सभी जातियों के वो लोग शामिल रहे ,
जो हर तरह के अन्याय , मानवाधिकार हनन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ अपना पूरा जीवन लगा रहे हैं ,
लेकिन कुछ समय से दलित मुद्दे पर लिखने वाले कुछ साथी इस तरह की भाषा लिख रहे है गोया गांधीवादी और वामपंथी ही सामाजिक न्याय की लड़ाई के सबसे बड़े दुश्मन हों ?
यह तो दोस्तों पर ही हमला करने वाली बात है ၊
सब जानते हैं कि सामाजिक न्याय के सबसे बड़े दुश्मन, संघ भाजपा है और कांग्रेस का एक बड़ा हिस्सा है ၊
जहाँ यह भी सच है , कि अपने आभिजात्य स्वरूप के कारण मुख्य वामपंथी राजनैतिक दल सीपीआई और सीपीएम के नेतागण बड़ी जाति के हैं और सम्पन्न परिवारों के अंग्रेज़ी बोलने वाले वर्ग के हैं ၊
लेकिन उन लोगों की वजह से वामपंथी आंदोलन को खारिज नहीं किया जा सकता ၊
आप प्रकाश करात की गलती के लिये कन्हैया से नफरत नहीं कर सकते ၊
एक बात ध्यान मे रखिये लड़ाई जाति को मिटाने की है,
जाति को मजबूत करने की कोशिश करी जायेगी तो आपको पहला हमला अपने दोस्तों पर ही करना पड़ेगा ၊
उसके बाद जो आपके दोस्तों के दुश्मन हैं ,
वो आकर आप से नकली दोस्ती करेंगे और आपके आंदोलन को खतम कर देंगे ,
फिर जाति की राजनीति तो बचेगी ,
लेकिन जाति विहीन समाज बनाने का आन्दोलन नही बचेगा ,
जातिवादी राजनीति कभी भी शोषित जनता का भला नहीं कर सकती ၊
मैं ऐसे सैंकड़ों दलित , ओबीसी, आदिवासी और मुस्लिम नेताओं और अफसरों को जानता हूँ ,
जिन्होंने कभी भी अपने समुदाय के लोगों का कोई भला नहीं किया ,
जिन्होंने हमेशा अपने लिये पैसा कमाया और राजनीति मे काबिज बड़ी जातियों की सेवा करी , और अपने समुदाय को लात मारी ၊
सामाजिक न्याय की लड़ाई को जाति प्रथा को मजबूत करने का आन्दोलन मत बनाइये ,
वरना आप उन्हीं की तकलीफें बढ़ा देंगे
जिनके भले का नाम लेकर आप यह मुहिम चला रहे हैं ,
हम सब दोस्त मिल कर इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं ၊
दोस्तों से झगड़ा किसे फायदा देगा ?
आपके दुश्मनों को ၊
- हिमांशु कुमार
उससे काफी परेशानी महसूस कर रहा हूँ ၊
जाति के मुद्दे पर लिखने वाले दोस्त लोग वामपंथी साथियों के खिलाफ लिख रहे हैं ၊
क्या जाति पाति के खिलाफ जो मुहिम है उसमे अब तक वामपंथी शामिल नहीं रहे ?
रोहित वेमुला, डेल्टा मेघवाल , उससे पहले शंकर बिगहा , लक्ष्मणपुर बाथे, बथानी टोला , खैरलांजी ,शीतल साठे समेत हर घटना के खिलाफ चले आंदोलन मे ना सिर्फ वामपंथी , बल्कि गांधीवादी , और सभी जातियों के वो लोग शामिल रहे ,
जो हर तरह के अन्याय , मानवाधिकार हनन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ अपना पूरा जीवन लगा रहे हैं ,
लेकिन कुछ समय से दलित मुद्दे पर लिखने वाले कुछ साथी इस तरह की भाषा लिख रहे है गोया गांधीवादी और वामपंथी ही सामाजिक न्याय की लड़ाई के सबसे बड़े दुश्मन हों ?
यह तो दोस्तों पर ही हमला करने वाली बात है ၊
सब जानते हैं कि सामाजिक न्याय के सबसे बड़े दुश्मन, संघ भाजपा है और कांग्रेस का एक बड़ा हिस्सा है ၊
जहाँ यह भी सच है , कि अपने आभिजात्य स्वरूप के कारण मुख्य वामपंथी राजनैतिक दल सीपीआई और सीपीएम के नेतागण बड़ी जाति के हैं और सम्पन्न परिवारों के अंग्रेज़ी बोलने वाले वर्ग के हैं ၊
लेकिन उन लोगों की वजह से वामपंथी आंदोलन को खारिज नहीं किया जा सकता ၊
आप प्रकाश करात की गलती के लिये कन्हैया से नफरत नहीं कर सकते ၊
एक बात ध्यान मे रखिये लड़ाई जाति को मिटाने की है,
जाति को मजबूत करने की कोशिश करी जायेगी तो आपको पहला हमला अपने दोस्तों पर ही करना पड़ेगा ၊
उसके बाद जो आपके दोस्तों के दुश्मन हैं ,
वो आकर आप से नकली दोस्ती करेंगे और आपके आंदोलन को खतम कर देंगे ,
फिर जाति की राजनीति तो बचेगी ,
लेकिन जाति विहीन समाज बनाने का आन्दोलन नही बचेगा ,
जातिवादी राजनीति कभी भी शोषित जनता का भला नहीं कर सकती ၊
मैं ऐसे सैंकड़ों दलित , ओबीसी, आदिवासी और मुस्लिम नेताओं और अफसरों को जानता हूँ ,
जिन्होंने कभी भी अपने समुदाय के लोगों का कोई भला नहीं किया ,
जिन्होंने हमेशा अपने लिये पैसा कमाया और राजनीति मे काबिज बड़ी जातियों की सेवा करी , और अपने समुदाय को लात मारी ၊
सामाजिक न्याय की लड़ाई को जाति प्रथा को मजबूत करने का आन्दोलन मत बनाइये ,
वरना आप उन्हीं की तकलीफें बढ़ा देंगे
जिनके भले का नाम लेकर आप यह मुहिम चला रहे हैं ,
हम सब दोस्त मिल कर इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं ၊
दोस्तों से झगड़ा किसे फायदा देगा ?
आपके दुश्मनों को ၊
- हिमांशु कुमार
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