छत्तीसगढ़ : आदिवासियों को मार भागना है, बस्तरिया बटालियन तो बहाना है
सितम्बर 6, 2016
-तामेश्वर सिन्हा
बस्तर में अभी 60 हजार सुरक्षा कर्मी, लगभग सीआरपीएफ 27 बटालियन तैनात है, प्राकृतिक से भरपूर, संस्कृति-सभ्यता का मिशाल बस्तर युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुका है, जहा के मूलनिवासी बन्दुक की नोक पर खड़े है, लगभग 50 नागरिक पर एक हथियार बंद सुरक्षा कर्मी तैनात किया गया है , उत्तर बस्तर कांकेर में रावघाट की पहाड़ी में तो लगभग 45 गांवो के लिए 37 बीएसऍफ़ कैम्प तैनात किए गए है.
उसके बाद भी राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद सरकार ने बस्तरिया बटालियन को मंजूरी दे दी है, ज्ञात हो की बस्तरिया बटालियन की आवश्यकता के लिए स्व महेंद्र करमा की पत्नी और दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा ने पत्र लिया था
बस्तरिया बटालियन के लिए चार जिलो में कुल 743 पदों के लिए भर्ती की जाएगी, जिसमे स्थानीय बस्तर के युवक-युवतियों का भर्ती किया जाना है, बस्तरिया बटालियन के घोषणा के दिन से ही इसका विरोध हो रहा है, बस्तर के मूलवासी ने सलवा जुडूम का दंश झेला है, सलवा जुडूम भी आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ाने में सरकार ने कामयाबी हासिल की थी, छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में शुरु हुए सलवा जुड़ूम के खिलाफ पीयूसीएल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसे भयावह बताकर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.लेकिन राज्य सरकार ने उन्हीं सलवा जुड़ूम में शामिल आदिवासियों को ‘सहायक आरक्षक बनाकर उन्हें युद्ध में झोंक दिया.’
क्या अब बस्तरिया बटालियन भी वही सरकार का एक नए सोच के साथ सलवा जुडूम का हुबहू संस्करण तो नही है, 60 हजार सुरक्षा कर्मियों के बावजूद स्थानियों की भर्ती कर बस्तरिया बटालियन बनाया जा रहा है, सरकार को अलग से बटालियन की आवश्यकता क्यों पड़ी? सरकार का मानना है कि स्थानीय स्तर पर भर्ती कर बनाये गये बस्तरिया बटालियन नक्सलियों का सफाया करेगी, तो क्या फिर बस्तर में चप्पे-चप्पे पर तैनात सुरक्षा कर्मियों के अनेक बटालियन नक्सलियों का मुकाबला करने में असफल साबित हो हो रहे थे? जानकारी हो कि सरकार का कहना है कि इससे स्थानियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, सरकार रोजगार के अवसर में सिर्फ बन्दुक क्यों थामना चाहती है?
आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ना और उनके हाथो में बन्दुक थमा कर बस्तर की जमी को रक्त रंजित करना कहा तक ठीक है इस भर्ती प्रक्रिया में सीआरपीएफ़ में भर्ती की तयशुदा क़द-काठी में छूट भी दी जाएगी, सीआरपीऍफ़ के अफसरों का कहना है कि नक्सल उन्मूलन, आपरेशन के वक्त स्थानीय बोली-भाषा में बस्तरिया बटालियन करागार साबित होगी क्या आदिवासियों को भर्ती कर बनाये गए बस्तरिया बटालियन के कंधे पर बन्दुक रख कर उन्हें मौत के मुंह में ढकेला जाएगा?
विभिन्न भर्तियो में स्थानियों की उपेक्षा कर आउट सोर्शिंग से भर्ती करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार बस्तरिया बटालियन में एक तरफा आदिवासियों की भर्ती करना सवालों को जन्म दे रही है, स्थानीय बस्तरिया युवको की बेरोजगारी का फयदा उठाकार सरकार उन्हें युद्ध में झोक देना चाह रही है जैसा कि पुलिस के आलाधिकारियो द्वारा कहा गया है कि मौजूदा सुरक्षा बलों को बोली स्थान में बस्तरिया बटालियन मदद करेगी यह काम मौजूदा तैनात सुरक्षा बलों में भर्ती प्रक्रिया में भी किया जा सकता था|
बस्तरिया बटालियन को लेकर बस्तर तथा देश के कई आदिवासी कार्यकर्त्ता बुद्धिजीवी सवाल खड़े कर रहे है ..
बहुजन समाज पार्टी के रास्ट्रीय सचिव व आदिवासी कार्यकर्त्ता हेमंत पोयाम कहते है हर प्रकार की नौकरियों में हर वर्ग को आरक्षण की वकालत करने वाली सरकार बस्तर बटालियन बोलकर केवल आदिवासियों की भर्ती इसमें क्यों कर रही है. बस्तर में तीन पीढ़ियों से निवास करने वाले ब्राह्मण,ठाकुर,बनिया,धाकड़,सुंडी,कलार,यादव,चमार,माहरा आदि जनरल,पिछड़ा वर्ग,अनुसूचित जाति आदि लोग भी तो बस्तरिया हैं. बस्तर बटालियन में इन जातियों की भर्ती क्यों नहीं हो रही है.क्या ये समझा जाय कि माओवादियों से लड़ाई के नाम पर आदिवासी युवाओं की बीज नाश का कार्यक्रम तो नहीं है..? हमारे नालायक जनप्रतिनिधि,विधायक,मंत्री तो इस पद में आदिवासियों के बेटों को खपाने के विरोध में कुछ बोलेंगे नहीं क्योंकि कुछ बोलेंगे तो इनके आकाओं द्वारा इनको लात मारके पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा…
आदिवासी युवा सजल नाग कहते है बस्तर में Indain Army, BSF, Kobra Bataliyan, CRPF, CGF, CGP, SPO इतने सारे सुरक्षा कर्मी के होते हुए भी बस्तर बटालियन? बस्तर से आदिवासियों को खत्म करने की साजिस है बस्तर बटालियन, आदिवासियों से आदिवासियों को लड़ाने की साजिस है बस्तर बटालियन?आदिवासियों की संपति(जल, जंगल, जमीन) छीन कर पूंजीपतियों को देने की साजिस है बस्तर बटालियन?आदिवासियों की क्रूर हत्या करवाना का नाम है बस्तर बटालियन?बस्तर को छिन भिन्न करके विकास का नाम देना है बस्तर बटालियन तथाकथित विकास और आदिवासियों और बस्तर का विनास है बस्तर बटालियन?प्रकृति के सबसे सुन्दर बस्तर को प्रदूषित करना है बस्तर बटालियन?प्रकृति को खत्म करने की ओर अग्रसर होना है बस्तर बटालियन?असली मालिकों(आदिवासियों) को गुलामी की ओर ले जाने का नाम है बस्तर बटालियन?कई हजार साल की संस्कृति और विरासत को ख़त्म करने की साजिस है बस्तर बटालियन|
आज बस्तर, देश और दुनिया के सर्वाधिक चर्चित नामों में से एक है. जो बस्तर एक समय विविधतापूर्ण आदिवासी संस्कृति एवं जीवंत जीवनशैली के कारण जाना जाता था वो आज हिंसक वारदातों में निर्दोष आदिवासियों और आम नागरिकों की असामयिक मौतों के लिए जाना जाता है. क्योंकि :-
मौजूदा स्थिति में राज्य प्रायोजित दमन से पूरा बस्तर के हालात बदतर कर दिए गये हैं. माओवादियों के उन्मूलन के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को उनके घरों से भगाकर सैकड़ों गावों को वीरान करवा दिया गया है.
जिन आदिवासियों ने विरोध किया उनके घरों को लूटा गया व जलाया गया. महिलाओं के साथ सुरक्षा बलों ने सामूहिक बलात्कार किया. यह सब सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि बस्तर की प्राकृतिक सम्पदा खनिज, जल, जंगल, जमीन की कार्पोरेट लूट सुनिश्चित की जा सके
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सितम्बर 6, 2016
-तामेश्वर सिन्हा
बस्तर में अभी 60 हजार सुरक्षा कर्मी, लगभग सीआरपीएफ 27 बटालियन तैनात है, प्राकृतिक से भरपूर, संस्कृति-सभ्यता का मिशाल बस्तर युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो चुका है, जहा के मूलनिवासी बन्दुक की नोक पर खड़े है, लगभग 50 नागरिक पर एक हथियार बंद सुरक्षा कर्मी तैनात किया गया है , उत्तर बस्तर कांकेर में रावघाट की पहाड़ी में तो लगभग 45 गांवो के लिए 37 बीएसऍफ़ कैम्प तैनात किए गए है.
उसके बाद भी राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद सरकार ने बस्तरिया बटालियन को मंजूरी दे दी है, ज्ञात हो की बस्तरिया बटालियन की आवश्यकता के लिए स्व महेंद्र करमा की पत्नी और दंतेवाड़ा विधायक देवती कर्मा ने पत्र लिया था
बस्तरिया बटालियन के लिए चार जिलो में कुल 743 पदों के लिए भर्ती की जाएगी, जिसमे स्थानीय बस्तर के युवक-युवतियों का भर्ती किया जाना है, बस्तरिया बटालियन के घोषणा के दिन से ही इसका विरोध हो रहा है, बस्तर के मूलवासी ने सलवा जुडूम का दंश झेला है, सलवा जुडूम भी आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ाने में सरकार ने कामयाबी हासिल की थी, छत्तीसगढ़ सरकार के संरक्षण में शुरु हुए सलवा जुड़ूम के खिलाफ पीयूसीएल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसे भयावह बताकर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था.लेकिन राज्य सरकार ने उन्हीं सलवा जुड़ूम में शामिल आदिवासियों को ‘सहायक आरक्षक बनाकर उन्हें युद्ध में झोंक दिया.’
क्या अब बस्तरिया बटालियन भी वही सरकार का एक नए सोच के साथ सलवा जुडूम का हुबहू संस्करण तो नही है, 60 हजार सुरक्षा कर्मियों के बावजूद स्थानियों की भर्ती कर बस्तरिया बटालियन बनाया जा रहा है, सरकार को अलग से बटालियन की आवश्यकता क्यों पड़ी? सरकार का मानना है कि स्थानीय स्तर पर भर्ती कर बनाये गये बस्तरिया बटालियन नक्सलियों का सफाया करेगी, तो क्या फिर बस्तर में चप्पे-चप्पे पर तैनात सुरक्षा कर्मियों के अनेक बटालियन नक्सलियों का मुकाबला करने में असफल साबित हो हो रहे थे? जानकारी हो कि सरकार का कहना है कि इससे स्थानियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे, सरकार रोजगार के अवसर में सिर्फ बन्दुक क्यों थामना चाहती है?
आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ना और उनके हाथो में बन्दुक थमा कर बस्तर की जमी को रक्त रंजित करना कहा तक ठीक है इस भर्ती प्रक्रिया में सीआरपीएफ़ में भर्ती की तयशुदा क़द-काठी में छूट भी दी जाएगी, सीआरपीऍफ़ के अफसरों का कहना है कि नक्सल उन्मूलन, आपरेशन के वक्त स्थानीय बोली-भाषा में बस्तरिया बटालियन करागार साबित होगी क्या आदिवासियों को भर्ती कर बनाये गए बस्तरिया बटालियन के कंधे पर बन्दुक रख कर उन्हें मौत के मुंह में ढकेला जाएगा?
विभिन्न भर्तियो में स्थानियों की उपेक्षा कर आउट सोर्शिंग से भर्ती करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार बस्तरिया बटालियन में एक तरफा आदिवासियों की भर्ती करना सवालों को जन्म दे रही है, स्थानीय बस्तरिया युवको की बेरोजगारी का फयदा उठाकार सरकार उन्हें युद्ध में झोक देना चाह रही है जैसा कि पुलिस के आलाधिकारियो द्वारा कहा गया है कि मौजूदा सुरक्षा बलों को बोली स्थान में बस्तरिया बटालियन मदद करेगी यह काम मौजूदा तैनात सुरक्षा बलों में भर्ती प्रक्रिया में भी किया जा सकता था|
बस्तरिया बटालियन को लेकर बस्तर तथा देश के कई आदिवासी कार्यकर्त्ता बुद्धिजीवी सवाल खड़े कर रहे है ..
बहुजन समाज पार्टी के रास्ट्रीय सचिव व आदिवासी कार्यकर्त्ता हेमंत पोयाम कहते है हर प्रकार की नौकरियों में हर वर्ग को आरक्षण की वकालत करने वाली सरकार बस्तर बटालियन बोलकर केवल आदिवासियों की भर्ती इसमें क्यों कर रही है. बस्तर में तीन पीढ़ियों से निवास करने वाले ब्राह्मण,ठाकुर,बनिया,धाकड़,सुंडी,कलार,यादव,चमार,माहरा आदि जनरल,पिछड़ा वर्ग,अनुसूचित जाति आदि लोग भी तो बस्तरिया हैं. बस्तर बटालियन में इन जातियों की भर्ती क्यों नहीं हो रही है.क्या ये समझा जाय कि माओवादियों से लड़ाई के नाम पर आदिवासी युवाओं की बीज नाश का कार्यक्रम तो नहीं है..? हमारे नालायक जनप्रतिनिधि,विधायक,मंत्री तो इस पद में आदिवासियों के बेटों को खपाने के विरोध में कुछ बोलेंगे नहीं क्योंकि कुछ बोलेंगे तो इनके आकाओं द्वारा इनको लात मारके पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा…
आदिवासी युवा सजल नाग कहते है बस्तर में Indain Army, BSF, Kobra Bataliyan, CRPF, CGF, CGP, SPO इतने सारे सुरक्षा कर्मी के होते हुए भी बस्तर बटालियन? बस्तर से आदिवासियों को खत्म करने की साजिस है बस्तर बटालियन, आदिवासियों से आदिवासियों को लड़ाने की साजिस है बस्तर बटालियन?आदिवासियों की संपति(जल, जंगल, जमीन) छीन कर पूंजीपतियों को देने की साजिस है बस्तर बटालियन?आदिवासियों की क्रूर हत्या करवाना का नाम है बस्तर बटालियन?बस्तर को छिन भिन्न करके विकास का नाम देना है बस्तर बटालियन तथाकथित विकास और आदिवासियों और बस्तर का विनास है बस्तर बटालियन?प्रकृति के सबसे सुन्दर बस्तर को प्रदूषित करना है बस्तर बटालियन?प्रकृति को खत्म करने की ओर अग्रसर होना है बस्तर बटालियन?असली मालिकों(आदिवासियों) को गुलामी की ओर ले जाने का नाम है बस्तर बटालियन?कई हजार साल की संस्कृति और विरासत को ख़त्म करने की साजिस है बस्तर बटालियन|
आज बस्तर, देश और दुनिया के सर्वाधिक चर्चित नामों में से एक है. जो बस्तर एक समय विविधतापूर्ण आदिवासी संस्कृति एवं जीवंत जीवनशैली के कारण जाना जाता था वो आज हिंसक वारदातों में निर्दोष आदिवासियों और आम नागरिकों की असामयिक मौतों के लिए जाना जाता है. क्योंकि :-
मौजूदा स्थिति में राज्य प्रायोजित दमन से पूरा बस्तर के हालात बदतर कर दिए गये हैं. माओवादियों के उन्मूलन के नाम पर निर्दोष आदिवासियों को उनके घरों से भगाकर सैकड़ों गावों को वीरान करवा दिया गया है.
जिन आदिवासियों ने विरोध किया उनके घरों को लूटा गया व जलाया गया. महिलाओं के साथ सुरक्षा बलों ने सामूहिक बलात्कार किया. यह सब सिर्फ इसलिए किया जा रहा है ताकि बस्तर की प्राकृतिक सम्पदा खनिज, जल, जंगल, जमीन की कार्पोरेट लूट सुनिश्चित की जा सके
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