आदिवासियों के विरुद्ध शोषक वर्ग खुलकर सामने…आने वाले दिनों में बस्तर में भारी अशांति का संदेश…
September 15, 2016
कमलशुक्ल संपादकीय (भूमकाल)
“अग्नि” में सक्रिय अधिकाँश वही पुराने लोग हैं जो अब तक सरकार और पुलिस की आदिवासी अत्याचार की नीति का समर्थन करते आये हैं , और यह भी कि इनमें कोई आदिवासी नेता शामिल नहीं है |
अभी अभी हाल में बस्तर पुलिस ने जगदलपुर न्यायालय में प्रति माह दो बार पेशी में उपस्थित हो रहे अवयस्क आदिवासी अर्जुन को तीन लाख का ईनामी बता कर मार डाला है , तीन साल पहले ही उसे 30 साल का खूंखार नक्सली बता गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था , लीगल एड की पहल पर कुछ माह पहले ही वह जमानत पर था और नियमित अपनी पेशी पर उपस्थित हो रहा था |
इसके पहले भी बस्तर की पुलिस ने कई ऐसे निर्दोष को ईनामी बता कर मार डाला है , जो अपने जीवन का कई साल पुलिस के ईनामी और प्रमोशन के षडयंत्र का शिकार होकर जेल में बिताकर न्यालय से बाईज्जत बरी होकर निकले थे | ऐसे ही मारडूम के पास पुलिस ने जेल से बाईज्जत बरी होकर आये मडकम हिड़मा को एक लाख का ईनामी बता कर शूट कर दिया , जिस थानेदार के नेतृत्व में यह हत्याकांड हुआ उसने ग्लानिवश उसके परिवार को दस हजार रूपये अपनी जेब से भी दिया | कुछ ही दिन पहले गोम्पाड गांव में हिड़मे के साथ सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या को पूरा देश नहीं भूला होगा |
मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि यह सब एकाएक नहीं बल्कि सुनियोजित हो रहा है , और इन सबके पीछे आदिवासी विरोधी मानसिकता , जल , जंगल और जमीन से अपना घर भरने की आकांक्षा रखने वाले तमाम गैर बस्तरिया , गैर आदिवासी शोषक वर्ग और पूंजी परस्त – कार्पोरेट घरानों के दलाल और सरकारी षडयंत्र हैं |
बस्तर बटालियन का गठन और “अग्नि” की प्रस्तावित रैली ” मिशन 2016 ” की नीति के तहत सरकार और पुलिस द्वारा नक्सली उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों के साथ किसी भी हद तक जाकर अत्याचार को सही ठहराने और आदिवासियों को आदिवासियों के साथ लड़ा कर जल जंगल और जमीन को कार्पोरेट के हाथों सौंपे जाने की नीति की नीति के तहत है | हिड़मे की हत्या और बलात्कार के बाद आदिवासी समाज के एक मंच पर आने और 17 जुलाई को हुए महाबंद की सफलता से घबराई सरकार ने ही सारे समाज के शोषक और स्वार्थी नेताओं को तलाश कर 17 सितम्बर की तैयारी की है , इसके लिए करोड़ों रूपये लुटाये जा रहे हैं | अडानी , अम्बानी , नीको , एस्सार , गोदावरी आदि कारपोरेट घरानों की भी इस दुष्कृत्य के लिए मदद मिल रही है |
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि इस रैली की कार्ययोजना मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वयं पुलिस अधिकारियों की बैठक में बनायी है , और इस नीति के पीछे आरएसएस के बड़े नेताओं की भूमिका है | “अग्नि” के संयोजक आनंद मोहन मिश्र वही व्यक्ति हैं , जिसने निर्दोष आदिवासियों को कानूनी मदद दे रहे ” लीगल एड ” के अधिवक्ताओं को सरकार और पुलिस के संरक्षण में बस्तर से भगाने के अभियान में प्रमुख भूमिका निभायी थी | चोरी के आरोप में सजायाफ्ता सुब्बाराव , कांग्रेसी संपत झा और कांग्रेस के कई नेता शुरू से इन अराजक अभियानों में शामिल रहे हैं
| महेंद्र कर्मा ने तो इन्ही शोषकों के हित् में संविधान द्वारा आदिवासी हित् के प्रावधान पांचवी और छठवीं अनुसूची के खिलाफ आंदोलन कर और लाखों आदिवासियों को बस्तर से भगाने के षड्यंत्र में शामिल होकर इसी भाजपा की सरकार में 14 वें मंत्री का दर्जा पाया था | इस बार भी भाजपा ने महेंद्र कर्मा की पत्नी से राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखवाकर और उसी को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैधानिक करार दिए सलवाजुड़ुम को वैध करने के मिशन 2016 की नीति के तहत आदिवासी बटालियन का गठन कर आदिवासियों के समूल खात्मे की नीति को अमलीजामा पहनाया है |
17 सितम्बर की रैली के लिए गांव गांव में पुलिस और अग्नि के गुंडों द्वारा सरपंच , शिक्षक , और सामाजिक संगठनों को धमकाये जाने की खबर मिल रही है | पिछली रैली भी पुलिस के सहयोग और सरकारी और कारपोरेट फंड से ऐसे ही निकाली गयी थी | इस बार भी भारी संख्या में पुलिस के जवान , आत्मसमर्पित नक्सली और स्कूली बच्चों को जबरदस्ती शामिल करने की योजना है |
इस रैली में 64 समाजों के शामिल होने की घोषणा की गयी है , पर इन समाजों के जिन नेताओं के नाम की घोषणा की गयी है , उनके अपने खुद के समाज में कोई पुछारी नही है | इस आयोजन के पहले बस्तर के कुख्यात पुलिस अधिकारी शिव राम प्रसाद कल्लूरी ने इन सभी फर्जी समाज प्रमुखों के साथ बैठक आयोजित कर इस आदिवासी बिरोधी रैली की नीति बनायी और बाकायदा पत्रकार वार्ता भी लिया |
कल्लूरी और इस संदिग्ध संगठन “अग्नि” की पत्रकार् वार्ता किसी प्रेस क्लब में नहीं बल्कि चेंबर आफ कॉमर्स के हाल में ली , मतलब साफ है | अब बस्तर के शोषक वर्ग खुलकर आदिवासियों के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं | बल्कि मैं यह कहूँ कि सरकार खुद ही बस्तर में आदिवासी – गैर आदिवासी विवाद को जन्म देकर बस्तर में अशांति के नए कारण को जन्म दे रही है तो गलत नहीं होगा | कुल मिलाकर 17 सितम्बर की रैली बस्तर को नए राज्य या स्वशाशित राज्य की स्थापना की दिशा में प्रेरणा का काम करेगी | 17 सितंवर की रैली में जो भी शामिल हो रहे हैं उनके नाम का लिस्ट आदिवासी समाज को बनाना होगा , यही वे चिन्हांकित लोग होंगे जो आदिवासियों के शोषक और दुश्मन है , जो नक्सली के नाम पर आदिवासी समाज के खात्मे के षड्यंत्र में शामिल हैं | अलग दंडकारण्य राज्य की नींव रमन सिंह ने खुद ही रख दी है , स्वागत है
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September 15, 2016
कमलशुक्ल संपादकीय (भूमकाल)
“अग्नि” में सक्रिय अधिकाँश वही पुराने लोग हैं जो अब तक सरकार और पुलिस की आदिवासी अत्याचार की नीति का समर्थन करते आये हैं , और यह भी कि इनमें कोई आदिवासी नेता शामिल नहीं है |
अभी अभी हाल में बस्तर पुलिस ने जगदलपुर न्यायालय में प्रति माह दो बार पेशी में उपस्थित हो रहे अवयस्क आदिवासी अर्जुन को तीन लाख का ईनामी बता कर मार डाला है , तीन साल पहले ही उसे 30 साल का खूंखार नक्सली बता गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था , लीगल एड की पहल पर कुछ माह पहले ही वह जमानत पर था और नियमित अपनी पेशी पर उपस्थित हो रहा था |
इसके पहले भी बस्तर की पुलिस ने कई ऐसे निर्दोष को ईनामी बता कर मार डाला है , जो अपने जीवन का कई साल पुलिस के ईनामी और प्रमोशन के षडयंत्र का शिकार होकर जेल में बिताकर न्यालय से बाईज्जत बरी होकर निकले थे | ऐसे ही मारडूम के पास पुलिस ने जेल से बाईज्जत बरी होकर आये मडकम हिड़मा को एक लाख का ईनामी बता कर शूट कर दिया , जिस थानेदार के नेतृत्व में यह हत्याकांड हुआ उसने ग्लानिवश उसके परिवार को दस हजार रूपये अपनी जेब से भी दिया | कुछ ही दिन पहले गोम्पाड गांव में हिड़मे के साथ सामूहिक बलात्कार और निर्मम हत्या को पूरा देश नहीं भूला होगा |
मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि यह सब एकाएक नहीं बल्कि सुनियोजित हो रहा है , और इन सबके पीछे आदिवासी विरोधी मानसिकता , जल , जंगल और जमीन से अपना घर भरने की आकांक्षा रखने वाले तमाम गैर बस्तरिया , गैर आदिवासी शोषक वर्ग और पूंजी परस्त – कार्पोरेट घरानों के दलाल और सरकारी षडयंत्र हैं |
बस्तर बटालियन का गठन और “अग्नि” की प्रस्तावित रैली ” मिशन 2016 ” की नीति के तहत सरकार और पुलिस द्वारा नक्सली उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों के साथ किसी भी हद तक जाकर अत्याचार को सही ठहराने और आदिवासियों को आदिवासियों के साथ लड़ा कर जल जंगल और जमीन को कार्पोरेट के हाथों सौंपे जाने की नीति की नीति के तहत है | हिड़मे की हत्या और बलात्कार के बाद आदिवासी समाज के एक मंच पर आने और 17 जुलाई को हुए महाबंद की सफलता से घबराई सरकार ने ही सारे समाज के शोषक और स्वार्थी नेताओं को तलाश कर 17 सितम्बर की तैयारी की है , इसके लिए करोड़ों रूपये लुटाये जा रहे हैं | अडानी , अम्बानी , नीको , एस्सार , गोदावरी आदि कारपोरेट घरानों की भी इस दुष्कृत्य के लिए मदद मिल रही है |
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया है कि इस रैली की कार्ययोजना मुख्यमंत्री रमन सिंह ने स्वयं पुलिस अधिकारियों की बैठक में बनायी है , और इस नीति के पीछे आरएसएस के बड़े नेताओं की भूमिका है | “अग्नि” के संयोजक आनंद मोहन मिश्र वही व्यक्ति हैं , जिसने निर्दोष आदिवासियों को कानूनी मदद दे रहे ” लीगल एड ” के अधिवक्ताओं को सरकार और पुलिस के संरक्षण में बस्तर से भगाने के अभियान में प्रमुख भूमिका निभायी थी | चोरी के आरोप में सजायाफ्ता सुब्बाराव , कांग्रेसी संपत झा और कांग्रेस के कई नेता शुरू से इन अराजक अभियानों में शामिल रहे हैं
| महेंद्र कर्मा ने तो इन्ही शोषकों के हित् में संविधान द्वारा आदिवासी हित् के प्रावधान पांचवी और छठवीं अनुसूची के खिलाफ आंदोलन कर और लाखों आदिवासियों को बस्तर से भगाने के षड्यंत्र में शामिल होकर इसी भाजपा की सरकार में 14 वें मंत्री का दर्जा पाया था | इस बार भी भाजपा ने महेंद्र कर्मा की पत्नी से राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखवाकर और उसी को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैधानिक करार दिए सलवाजुड़ुम को वैध करने के मिशन 2016 की नीति के तहत आदिवासी बटालियन का गठन कर आदिवासियों के समूल खात्मे की नीति को अमलीजामा पहनाया है |
17 सितम्बर की रैली के लिए गांव गांव में पुलिस और अग्नि के गुंडों द्वारा सरपंच , शिक्षक , और सामाजिक संगठनों को धमकाये जाने की खबर मिल रही है | पिछली रैली भी पुलिस के सहयोग और सरकारी और कारपोरेट फंड से ऐसे ही निकाली गयी थी | इस बार भी भारी संख्या में पुलिस के जवान , आत्मसमर्पित नक्सली और स्कूली बच्चों को जबरदस्ती शामिल करने की योजना है |
इस रैली में 64 समाजों के शामिल होने की घोषणा की गयी है , पर इन समाजों के जिन नेताओं के नाम की घोषणा की गयी है , उनके अपने खुद के समाज में कोई पुछारी नही है | इस आयोजन के पहले बस्तर के कुख्यात पुलिस अधिकारी शिव राम प्रसाद कल्लूरी ने इन सभी फर्जी समाज प्रमुखों के साथ बैठक आयोजित कर इस आदिवासी बिरोधी रैली की नीति बनायी और बाकायदा पत्रकार वार्ता भी लिया |
कल्लूरी और इस संदिग्ध संगठन “अग्नि” की पत्रकार् वार्ता किसी प्रेस क्लब में नहीं बल्कि चेंबर आफ कॉमर्स के हाल में ली , मतलब साफ है | अब बस्तर के शोषक वर्ग खुलकर आदिवासियों के खिलाफ खड़े दिख रहे हैं | बल्कि मैं यह कहूँ कि सरकार खुद ही बस्तर में आदिवासी – गैर आदिवासी विवाद को जन्म देकर बस्तर में अशांति के नए कारण को जन्म दे रही है तो गलत नहीं होगा | कुल मिलाकर 17 सितम्बर की रैली बस्तर को नए राज्य या स्वशाशित राज्य की स्थापना की दिशा में प्रेरणा का काम करेगी | 17 सितंवर की रैली में जो भी शामिल हो रहे हैं उनके नाम का लिस्ट आदिवासी समाज को बनाना होगा , यही वे चिन्हांकित लोग होंगे जो आदिवासियों के शोषक और दुश्मन है , जो नक्सली के नाम पर आदिवासी समाज के खात्मे के षड्यंत्र में शामिल हैं | अलग दंडकारण्य राज्य की नींव रमन सिंह ने खुद ही रख दी है , स्वागत है
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