प्रेस विज्ञप्ति
आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय नेता एवम् भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक साथी मनीष कुंजाम पर सरकारी संरक्षण में एक समुदाय विशेष की आस्थाओं के आहत होने के नाम पर किए जा रहे हमलों का छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन कड़े शब्दों में भर्त्सना करता है। ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले महिषासुर संबंधित मिथिकीय पोस्ट को मनीष कुंजाम ने फारवर्ड किया और जब कथित हिंदू सेना ने उनका विरोध किया तो, मनीष ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महिषासुर उनके पूज्य हैं और वह हिंदू नहीं हैं। परंतु अब सरकारी संरक्षण में इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक के मार्गदर्शन में कुछ समुदाय के साथ बैठक कर यह सिद्ध करने की कोशिश हो रही कि मनीष गलत हैं और उनपर भड़काऊ पोस्ट फारवर्ड करने का अपराध कायम करने की कोशिश की जा रही है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है और इसमें सभी धर्मों/समुदायों की अपनी आस्थाएँ और परंपरा हैं। अभी हाल ही में ओणम के समय अमित शाह के बधाई संदेश के बाद पूरे केरल में विरोध हुआ तब उस संदेश को वापस लेते हुये बयान हुआ कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाना नहीं। ज्ञात हो कि ओणम महाबली के सम्मान में मनाया जाता है, ब्राह्मण उसे भी राक्षस कहते हैं। उसी प्रकार महिषासुर विवाद भी अनेक वर्षो से तमाम जगहों पर चर्चा में रहा है। अनेकों उद्धरण पक्ष विपक्ष में आते रहे हैं, परंतु वह एक बौद्धिक, सामाजिक और दार्शनिक बहस है जो लोगों के लिये ज्ञानवर्धक होता है, परंतु जब एक सरकारी पुलिस अधिकारी एक व्यक्ति विशेष को उसके राजनैतिक सामाजिक प्रतिबद्धता के कारण निशाना बनाता है तो वह हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों पर हमला है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन इस प्रवृति का विरोध करती है और सरकार से मांग करती है कि मनीष कुंजाम को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, तथा मिथिकीय बहस में सरकारी पुलिस कर्मियों की संलग्नता को संविधान का उल्लंघन मानते हुए इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करे।
आलोक शुक्ला, नंद कश्यप
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन
आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय नेता एवम् भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व विधायक साथी मनीष कुंजाम पर सरकारी संरक्षण में एक समुदाय विशेष की आस्थाओं के आहत होने के नाम पर किए जा रहे हमलों का छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन कड़े शब्दों में भर्त्सना करता है। ज्ञात हो कि कुछ दिनों पहले महिषासुर संबंधित मिथिकीय पोस्ट को मनीष कुंजाम ने फारवर्ड किया और जब कथित हिंदू सेना ने उनका विरोध किया तो, मनीष ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महिषासुर उनके पूज्य हैं और वह हिंदू नहीं हैं। परंतु अब सरकारी संरक्षण में इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक के मार्गदर्शन में कुछ समुदाय के साथ बैठक कर यह सिद्ध करने की कोशिश हो रही कि मनीष गलत हैं और उनपर भड़काऊ पोस्ट फारवर्ड करने का अपराध कायम करने की कोशिश की जा रही है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र है और इसमें सभी धर्मों/समुदायों की अपनी आस्थाएँ और परंपरा हैं। अभी हाल ही में ओणम के समय अमित शाह के बधाई संदेश के बाद पूरे केरल में विरोध हुआ तब उस संदेश को वापस लेते हुये बयान हुआ कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाना नहीं। ज्ञात हो कि ओणम महाबली के सम्मान में मनाया जाता है, ब्राह्मण उसे भी राक्षस कहते हैं। उसी प्रकार महिषासुर विवाद भी अनेक वर्षो से तमाम जगहों पर चर्चा में रहा है। अनेकों उद्धरण पक्ष विपक्ष में आते रहे हैं, परंतु वह एक बौद्धिक, सामाजिक और दार्शनिक बहस है जो लोगों के लिये ज्ञानवर्धक होता है, परंतु जब एक सरकारी पुलिस अधिकारी एक व्यक्ति विशेष को उसके राजनैतिक सामाजिक प्रतिबद्धता के कारण निशाना बनाता है तो वह हमारे धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और संविधान प्रदत्त मूल अधिकारों पर हमला है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन इस प्रवृति का विरोध करती है और सरकार से मांग करती है कि मनीष कुंजाम को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करें, तथा मिथिकीय बहस में सरकारी पुलिस कर्मियों की संलग्नता को संविधान का उल्लंघन मानते हुए इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करे।
आलोक शुक्ला, नंद कश्यप
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन
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