Monday, September 26, 2016

राफेल डील को ''बोफोर्स-2'' क्यों बता रहे हैं लोग, जानिए इस डील का अंबानी कनेक्शन...


राफेल डील को ''बोफोर्स-2'' क्यों बता रहे हैं लोग, जानिए इस डील का अंबानी कनेक्शन...



Created By : नेशनल दस्तक ब्यूरो Date : 2016-09-24Time : 12:06:08 PM

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के पैदा हुई भारत-पाकिस्तान की तनातनी के बीच फ्रांस के साथ रफाल फाइटर प्लेन को लेकर पिछले चार साल से चली आ रही डील पर पक्की मुंहर लग गई। इस विशालकाय रक्षा सौदे को मीडिया द्वारा फायदे का सौदा बताया जा रहा है। इस खबर को इस तरह प्रचारित किया जा रहा है कि जैसे डील पर मुहर लगते ही पाकिस्तान नेस्तनाबूत हो जाएगा। इस डील के तहत 36 लड़ाकू विमानों को भारत आने में तो अभी तीन से चार साल का वक्त लगेगा, लेकिन इस डील में अभी से ही घोटाले की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। चार साल पहले जब फ्रांस के साथ फाइटर प्लेन की खरीद के लिए समझौता हुआ था तो तब इस प्लेन की कीमत करीब 715 करोड़ रूपये थी, लेकिन अब मोदी सरकार दोगुने से भी ज्यादा कीमत 1600 करोड़ रूपये प्रति प्लेन खरीद रही है। इस हिसाब से यह सौदा दोगुनी कीमत पर करीब 60 हजार करोड़ रूपये में हुआ है। कीमतों के अंतर को देखें तो सीधे-सीधे 30 हजार करोड़ रूपये का यह महंगा सौदा देशभक्त मोदी सरकार ने किया है।

सरकार ने अभी तक इस सवाल का जवाब देश की जनता को नहीं दिया कि जिन विमानों को चार साल पहले 715 करोड़ रूपये की दर से खरीदे जाने की बात हो रही थी, आज उसकी कीमत दोगुनी से ज्यादा क्यों और कैसे हो गई? यह मोदी सरकार की मेक इन इंडिया योजना को खुद सिर के बल खड़ा करना जैसा सौदा है।

विमान की ख़रीद की प्रक्रिया यूपीए सरकार ने 2010 में शुरू की थी। 2012 से लेकर 2015 तक इसे लेकर बातचीत चलती रही।

जब 126 विमानों की बात चल रही थी तब उस वक़्त ये सौदा हुआ था कि 18 विमान भारत ख़रीदेगा और 108 विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड में एसेम्बल होने थे. इसमें तकनीकि हस्तातंरण जैसी बाते भी शामिल थीं।

अप्रैल 2015 में मोदी सरकार ने पेरिस में  घोषणा की कि हम 126 विमानों के सौदे को रद्द कर रहे हैं और इसके बदले 36 विमान सीधे फ्रांस से ख़रीद रहे हैं और एक भी रफ़ाल विमान बनाएंगे नहीं।

बीबीसी के अनुसार भारत को दास्सो को 15 फ़ीसदी एडवांस रकम देनी होगी तब जाकर उन विमानों पर काम शुरू होगा।

इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है...

बोफोर्स - 2
1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 सितंबर, 2014 को जापानी उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा था कि "गुजराती होने के नाते व्यापार मेरे खून में है।"

2. भारत ने आज फ्रांस के साथ राफेल विमान खरीद का समझौता कर लिया. 36 प्लेन खरीदे गए. एक प्लेन की कीमत 1,600 करोड़ रुपए है. भारत की तरफ से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने समझौते पर दस्तखत किए.

3. 13 अप्रैल 2015 को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि भारत 126 राफेल विमान खरीदेगा और इस पर करीब 90,000 करोड़ का खर्च आएगा, यानी तब एक विमान की कीमत 715 करोड़ रुपए बताई गई थी.

देखें उस समय की रिपोर्ट -
4. राफेल प्लेन बनाने वाली कंपनी के तीन महीने के शेयर भाव का चार्ट देखें. कंपनी के निवेशक कंपनी से बेहद खुश हैं.

5. राफेल बनाने वाली कंपनी और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज बिजनेस पार्टनर हैं.
 जब वे पार्टनर बने तब की समाचार पत्रों की रिपोर्ट देख सकते हैं -

पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव की वजह से माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टियां इस वक्त कोई सवाल नहीं उठाना चाहती है, ताकि सेना के मनोव्वल पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। लेकिन जैसे ही पाकिस्तान के साथ तनाव कम होगा, यह रक्षा सौदा एक बड़ा विवाद की वजह बन सकता है।

हालांकि विपक्षी पार्टियां पहले भी इस डील पर सवाल उठाती रही हैं। विपक्षी की आपत्ति इस बात को लेकर रही है कि इस डील के तहत अब एक भी विमान भारत में नहीं बनेगा, जबकि यूपीए के वक्त जो समझौता हुआ था उसके मुताबिक विमानों को भारत में ही हिन्दुस्तान ऐरोनोटिकल के साथ मिलकर फा्रंसिसी कंपनी द्वारा निर्मित किया जाना था। खुद भाजपा के फायर ब्रांड नेता सुब्रहमण्यम स्वामी भी इस सौदे के कई पहलुओं पर पूर्व में सवाल उठाते हुए अदालत में चुनौती देने तक की धमकी मोदी सरकार को दे चुके हैं। हालांकि इस सौदे पर मुंहर लगने के बाद उनका अभी तक इस पर कोई बयान नहीं आया है।

एक फेसबुक यूजर मुकेश त्यागी लिखते हैं-
2012 में फ्रांसीसी फाइटर राफेल की कीमत 715 करोड थी और बीजेपी इस.सौदे के खिलाफ। अब ना खायेंगे ना खाने देंगे वाली ‘देशभक्त’ सरकार उसी.राफेल को 1600 करोड प्रति प्लेन खरीद रही है। क्यों? क्योंकि अब दसो कम्पनी ने एक भारतीय कम्पनी को अपना पार्टनर बना लिया है जिसका अहसान का कर्ज इस सरकार ने चुकता करना है। वैसे मीडिया में युद्धोन्माद फैलाने.की होड क्या इस डील के पक्ष में वातावरण बनाने की कवायद नहीं लगती? अभी से भांड मीडिया राफेल द्वारा 4 मिनट में पाकितान का सफाया करने का दम भर रहा है जबकि सारे राफेल यहाँ पहुँचते 6 साल लगने वाले हैं।

सरकार ने इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो मोदी सरकार के लिए यह यह रक्षा सौदा अगले कुछ दिनों बाद गले की फांस बन सकता है। विमान की बढ़ी हुई कीमत और भारतीय कंपनी की दासो से किस तरह की साझेदारी है, अगर मोदी सरकार इस पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं देती है तो हिन्दुस्तान का अब तक का सबसे बड़ी घोटाला रफाल स्कैम के नाम दर्ज होगा।

हिमांशु कुमार लिखते हैं....

क्या आपको पता है ?
21 तारीख को मोदी सरकार ने एक कंपनी से 59 हज़ार करोड़ के युद्धक जहाज़ खरीदने का सौदा कर लिया, अंबानी की कंपनी भी इस कंपनी की साझेदार है। यानी उरी में सैनिकों को रसोई के स्टोर में बन्द कर के इसलिये जिन्दा जला दिया गया, ताकि जनता को डरा कर अम्बानी की कम्पनी को फायदा पहुंचाया जा सके, कुछ साल बाद यह राज ज़रूर खुलेगा कि उरी हमले का सबसे ज़्यादा फायदा अम्बानी को हुआ था।


सरकार आपको मामू बना रही है,
सरकार से पूछिये 2 करोड़ नौकरियों के वादे का क्या हुआ?
नौजवानों को रोजगार देने की बजाय उन्हें गोरक्षक बना कर उन्हें गाय की पूँछ क्यों पकड़ाई?
पूछिये अडानी को दाल का घोटाला कर के जनता की थाली से दाल गायब क्यों करी ?
भारत वासियों अच्छे से समझ लो,
तुम रोज़गार और दाल का सवाल पूछना भूल जाओ,
इसलिये गाय, जेएनयू और पाकिस्तान से युद्ध का फर्जी जोश पैदा किया जा रहा है,
लोगों को भड़काने मे अंबानी के ही चैनल लगे हुए हैं,
प्रधानमंत्री अंबानी के लिये माडलिंग कर रहे है,
अंबानी ने देश की सवा लाख करोड़ की गैस चुरा ली,
गुजरात सरकार ने अंबानी के 75 हज़ार करोड़ माफ कर दिये,
अंबानी के साले को रिजर्व बैंक का गवर्नर बना दिया,
अंबानी ने सुप्रीम कोर्ट मे रिश्वत देकर खुद पर लगाये गये जुर्माने की फाईल गायब करवा दी,
और आप मूर्ख बन कर पाकिस्तान से लड़ने के लिये नारेबाज़ी कर रहे हो।

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