बस्तर: दो किशोरों की मौत
आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर
से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो किशोरों के कथित रूप से पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
शनिवार को बस्तर पुलिस ने बुरगुम गांव में कथित रूप से एक मुठभेड़ में दो माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था.
अगले दिन रविवार को बस्तर के आईजी पुलिस शिवराम प्रसाद कल्लुरी और पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने इस कथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को एक लाख रुपये का नकद इनाम भी दिया.
लेकिन गांव वालों का आरोप है कि पुलिस दोनों किशोरों को उनके रिश्तेदार के घर से शनिवार को तड़के उठा कर ले गई और बाद में उनकी हत्या कर दी गई
आदिवासी नेता सोनी सोरी मंगलवार को दोनों किशोरों के अंतिम संस्कार में पहुंची.
सोनी सोरी ने कहा, "गड़दा गांव का रहने वाला मुरिया आदिवासी सोनकू राम अपने एक दोस्त सोमड़ू के साथ शुक्रवार को अपनी बुआ के घर पहुंचा था. वहां रात होने के कारण दोनों रुक गये. सुबह चार बजे के आसपास सुरक्षाबलों की एक टीम पहुंची और दोनों किशोरों को अपने साथ लेकर चली गई."
इधर मृतकों के गांव जा रही दंतेवाड़ा की कांग्रेस विधायक देवती कर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर बास्तानार में रोक दिया गया.
इसके बाद मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले में बस्तर में पार्टी के सात विधायकों के नेतृत्व में एक जांच दल बनाने की घोषणा की है.
दूसरी ओर बस्तर में भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिनेश कश्यप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "इस विषय पर जानकारी लूंगा और अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है."
दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कथित मुठभेड़ की कड़ी आलोचना की है.
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह का कहना है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर एक के बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ का सिलसिला चल रहा है.
डॉक्टर लाखन सिंह ने बताया, "बस्तर में सुरक्षाबलों ने हत्याओं का अभियान चलाया हुआ है. बच्चों और बड़ों को घरों से उठा कर ले जाती है और उन्हें माओवादी बता कर मार डालती है. अगर महिलाएं हुईं तो उनके साथ बलात्कार किया जाता है. यह एक भयानक स्थिति है और राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही है.
इस मामले पर कई कोशिश के बाद भी पुलिस का पक्ष हमें नहीं मिल पाया.
(बीबीसी हिन्दी के लिए)
आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर
से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो किशोरों के कथित रूप से पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
शनिवार को बस्तर पुलिस ने बुरगुम गांव में कथित रूप से एक मुठभेड़ में दो माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था.
अगले दिन रविवार को बस्तर के आईजी पुलिस शिवराम प्रसाद कल्लुरी और पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने इस कथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को एक लाख रुपये का नकद इनाम भी दिया.
लेकिन गांव वालों का आरोप है कि पुलिस दोनों किशोरों को उनके रिश्तेदार के घर से शनिवार को तड़के उठा कर ले गई और बाद में उनकी हत्या कर दी गई
आदिवासी नेता सोनी सोरी मंगलवार को दोनों किशोरों के अंतिम संस्कार में पहुंची.
सोनी सोरी ने कहा, "गड़दा गांव का रहने वाला मुरिया आदिवासी सोनकू राम अपने एक दोस्त सोमड़ू के साथ शुक्रवार को अपनी बुआ के घर पहुंचा था. वहां रात होने के कारण दोनों रुक गये. सुबह चार बजे के आसपास सुरक्षाबलों की एक टीम पहुंची और दोनों किशोरों को अपने साथ लेकर चली गई."
इधर मृतकों के गांव जा रही दंतेवाड़ा की कांग्रेस विधायक देवती कर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर बास्तानार में रोक दिया गया.
इसके बाद मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले में बस्तर में पार्टी के सात विधायकों के नेतृत्व में एक जांच दल बनाने की घोषणा की है.
दूसरी ओर बस्तर में भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिनेश कश्यप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "इस विषय पर जानकारी लूंगा और अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है."
दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कथित मुठभेड़ की कड़ी आलोचना की है.
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह का कहना है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर एक के बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ का सिलसिला चल रहा है.
डॉक्टर लाखन सिंह ने बताया, "बस्तर में सुरक्षाबलों ने हत्याओं का अभियान चलाया हुआ है. बच्चों और बड़ों को घरों से उठा कर ले जाती है और उन्हें माओवादी बता कर मार डालती है. अगर महिलाएं हुईं तो उनके साथ बलात्कार किया जाता है. यह एक भयानक स्थिति है और राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही है.
इस मामले पर कई कोशिश के बाद भी पुलिस का पक्ष हमें नहीं मिल पाया.
(बीबीसी हिन्दी के लिए)
आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर
से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो किशोरों के कथित रूप से पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
शनिवार को बस्तर पुलिस ने बुरगुम गांव में कथित रूप से एक मुठभेड़ में दो माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था.
अगले दिन रविवार को बस्तर के आईजी पुलिस शिवराम प्रसाद कल्लुरी और पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने इस कथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को एक लाख रुपये का नकद इनाम भी दिया.
लेकिन गांव वालों का आरोप है कि पुलिस दोनों किशोरों को उनके रिश्तेदार के घर से शनिवार को तड़के उठा कर ले गई और बाद में उनकी हत्या कर दी गई
आदिवासी नेता सोनी सोरी मंगलवार को दोनों किशोरों के अंतिम संस्कार में पहुंची.
सोनी सोरी ने कहा, "गड़दा गांव का रहने वाला मुरिया आदिवासी सोनकू राम अपने एक दोस्त सोमड़ू के साथ शुक्रवार को अपनी बुआ के घर पहुंचा था. वहां रात होने के कारण दोनों रुक गये. सुबह चार बजे के आसपास सुरक्षाबलों की एक टीम पहुंची और दोनों किशोरों को अपने साथ लेकर चली गई."
इधर मृतकों के गांव जा रही दंतेवाड़ा की कांग्रेस विधायक देवती कर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर बास्तानार में रोक दिया गया.
इसके बाद मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले में बस्तर में पार्टी के सात विधायकों के नेतृत्व में एक जांच दल बनाने की घोषणा की है.
दूसरी ओर बस्तर में भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिनेश कश्यप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "इस विषय पर जानकारी लूंगा और अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है."
दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कथित मुठभेड़ की कड़ी आलोचना की है.
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह का कहना है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर एक के बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ का सिलसिला चल रहा है.
डॉक्टर लाखन सिंह ने बताया, "बस्तर में सुरक्षाबलों ने हत्याओं का अभियान चलाया हुआ है. बच्चों और बड़ों को घरों से उठा कर ले जाती है और उन्हें माओवादी बता कर मार डालती है. अगर महिलाएं हुईं तो उनके साथ बलात्कार किया जाता है. यह एक भयानक स्थिति है और राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही है.
इस मामले पर कई कोशिश के बाद भी पुलिस का पक्ष हमें नहीं मिल पाया.
(बीबीसी हिन्दी के लिए)
आलोक प्रकाश पुतुल रायपुर
से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
छत्तीसगढ़ के बस्तर में दो किशोरों के कथित रूप से पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.
शनिवार को बस्तर पुलिस ने बुरगुम गांव में कथित रूप से एक मुठभेड़ में दो माओवादियों के मारे जाने का दावा किया था.
अगले दिन रविवार को बस्तर के आईजी पुलिस शिवराम प्रसाद कल्लुरी और पुलिस अधीक्षक आरएन दास ने इस कथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों को एक लाख रुपये का नकद इनाम भी दिया.
लेकिन गांव वालों का आरोप है कि पुलिस दोनों किशोरों को उनके रिश्तेदार के घर से शनिवार को तड़के उठा कर ले गई और बाद में उनकी हत्या कर दी गई
आदिवासी नेता सोनी सोरी मंगलवार को दोनों किशोरों के अंतिम संस्कार में पहुंची.
सोनी सोरी ने कहा, "गड़दा गांव का रहने वाला मुरिया आदिवासी सोनकू राम अपने एक दोस्त सोमड़ू के साथ शुक्रवार को अपनी बुआ के घर पहुंचा था. वहां रात होने के कारण दोनों रुक गये. सुबह चार बजे के आसपास सुरक्षाबलों की एक टीम पहुंची और दोनों किशोरों को अपने साथ लेकर चली गई."
इधर मृतकों के गांव जा रही दंतेवाड़ा की कांग्रेस विधायक देवती कर्मा ने आरोप लगाया कि उन्हें सुरक्षा का हवाला देकर बास्तानार में रोक दिया गया.
इसके बाद मंगलवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और विधायक भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले में बस्तर में पार्टी के सात विधायकों के नेतृत्व में एक जांच दल बनाने की घोषणा की है.
दूसरी ओर बस्तर में भारतीय जनता पार्टी के सांसद दिनेश कश्यप ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "इस विषय पर जानकारी लूंगा और अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित तौर पर यह जांच का विषय है."
दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों ने भी इस कथित मुठभेड़ की कड़ी आलोचना की है.
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष डॉक्टर लाखन सिंह का कहना है कि बस्तर में माओवादियों के नाम पर एक के बाद एक फर्ज़ी मुठभेड़ का सिलसिला चल रहा है.
डॉक्टर लाखन सिंह ने बताया, "बस्तर में सुरक्षाबलों ने हत्याओं का अभियान चलाया हुआ है. बच्चों और बड़ों को घरों से उठा कर ले जाती है और उन्हें माओवादी बता कर मार डालती है. अगर महिलाएं हुईं तो उनके साथ बलात्कार किया जाता है. यह एक भयानक स्थिति है और राज्य सरकार इसकी अनदेखी कर रही है.
इस मामले पर कई कोशिश के बाद भी पुलिस का पक्ष हमें नहीं मिल पाया.
(बीबीसी हिन्दी के लिए)
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