आपका पैसा अमीरों के लिए
और गरीबों के खिलाफ़ काम आता है
पूंजीपति , सरकार , और बैंक एक ही हैं
***
हिमांशु कुमार
###
आज कल सरकार हर नागरिक का बैंक खाता खुलवाने का कार्यक्रम चला रही है
आप किसी वस्तु या सेवा का उत्पादन करते हैं
उस उत्पादन को आप बाज़ार में बेच देते हैं
उससे आपको क्रय शक्ति मिलती है
आप गेहूं उगाते हैं
या आप साईकिल बनाते हैं या आप
आफिस में काम करते हैं
आपको जो पैसा मिलता है
उससे आप कुछ भी खरीद सकते हैं
इस तरह आप अपना उद्पादन बेच रहे हैं
बदले में आपको क्रय शक्ति मिलती है
आपको अपने काम के बदले
उपभोग करने की आपकी क्षमता से ज़्यादा क्रय शक्ति मिल जाती है
जैसे आप महीने में पांच हज़ार खर्च कर सकते हैं
लेकिन अगर आपकी तनख्वाह छह हज़ार हो तो
आपके पास एक हज़ार रुपया अतिरिक्त क्रय शक्ति जमा हो जायेगी
इस अतिरिक्त क्रय शक्ति पर
अमीरों की नज़र है
आप अपना बचाया हुआ एक हज़ार
बैंक में जमा करते हैं
अब बैंक आप जैसे करोड़ों लोगों के बचाए हुए पैसों को अमीरों को
क़र्ज़ पर दे देते हैं
अमीर उन पैसों से
उद्योग लगाने के लिए सरकार से ज़मीन
मांगते हैं
लेकिन ज़मीनों पर तो गाँव वाले , बस्ती वाले , आदिवासी रहते हैं
ये अमीर लोग सरकार के मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों को
रिश्वत देते हैं
ये सरकार में बैठे मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री
पुलिस और अर्ध सैनिक बल के सिपाहियों को
गरीबों .बस्ती वालों , आदिवासियों को
उनकी ज़मीनों से निकाल कर बाहर भगाने के लिए भेज देते हैं
ये सिपाही जाकर गरीबों को बंदूक और डंडे के दम पर
उन्ही की ज़मीनों से बाहर खदेड़ते हैं
आपका पैसा अमीरों के लिए
और गरीबों के खिलाफ़ काम आता है
यही पूंजीवाद है
बैंक को कोई हक नहीं है कि वह आपकी अतिरिक्त
क्रय शक्ति को
किसी चालाक व्यक्ति को
आपसे बिना पूछे दे दे
लेकिन
पूंजीपति
सरकार
और बैंक
एक ही हैं
इस तरह अमीर
आपकी मेहनत से अमीर बनते हैं
अपनी मेहनत से नहीं
किसी भी चालक आदमी के लिए
अमीर बनने के लिए सरकार
ज़रूरी है
इस तरह आपने देखा कि
आपकी अतिरिक्त
क्रय शक्ति से
किस तरह
चंद मुट्ठी भर लोगों को अमीर बनाया जाता है
और करोड़ों लोगों को उनकी ज़मीनों से उजाड कर ज़बरदस्ती
गरीब बनाया जाता है
अगली बार हम सरकार
और अमीरी के संबंध को और अच्छे से समझेंगे
हम ये भी समझेंगे कि
सरकार द्वारा मेहनती लोग किस तरह से गरीब बनाए जाते हैं
***
और गरीबों के खिलाफ़ काम आता है
पूंजीपति , सरकार , और बैंक एक ही हैं
***
हिमांशु कुमार
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आज कल सरकार हर नागरिक का बैंक खाता खुलवाने का कार्यक्रम चला रही है
आप किसी वस्तु या सेवा का उत्पादन करते हैं
उस उत्पादन को आप बाज़ार में बेच देते हैं
उससे आपको क्रय शक्ति मिलती है
आप गेहूं उगाते हैं
या आप साईकिल बनाते हैं या आप
आफिस में काम करते हैं
आपको जो पैसा मिलता है
उससे आप कुछ भी खरीद सकते हैं
इस तरह आप अपना उद्पादन बेच रहे हैं
बदले में आपको क्रय शक्ति मिलती है
आपको अपने काम के बदले
उपभोग करने की आपकी क्षमता से ज़्यादा क्रय शक्ति मिल जाती है
जैसे आप महीने में पांच हज़ार खर्च कर सकते हैं
लेकिन अगर आपकी तनख्वाह छह हज़ार हो तो
आपके पास एक हज़ार रुपया अतिरिक्त क्रय शक्ति जमा हो जायेगी
इस अतिरिक्त क्रय शक्ति पर
अमीरों की नज़र है
आप अपना बचाया हुआ एक हज़ार
बैंक में जमा करते हैं
अब बैंक आप जैसे करोड़ों लोगों के बचाए हुए पैसों को अमीरों को
क़र्ज़ पर दे देते हैं
अमीर उन पैसों से
उद्योग लगाने के लिए सरकार से ज़मीन
मांगते हैं
लेकिन ज़मीनों पर तो गाँव वाले , बस्ती वाले , आदिवासी रहते हैं
ये अमीर लोग सरकार के मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्रियों को
रिश्वत देते हैं
ये सरकार में बैठे मुख्य मंत्री और प्रधान मंत्री
पुलिस और अर्ध सैनिक बल के सिपाहियों को
गरीबों .बस्ती वालों , आदिवासियों को
उनकी ज़मीनों से निकाल कर बाहर भगाने के लिए भेज देते हैं
ये सिपाही जाकर गरीबों को बंदूक और डंडे के दम पर
उन्ही की ज़मीनों से बाहर खदेड़ते हैं
आपका पैसा अमीरों के लिए
और गरीबों के खिलाफ़ काम आता है
यही पूंजीवाद है
बैंक को कोई हक नहीं है कि वह आपकी अतिरिक्त
क्रय शक्ति को
किसी चालाक व्यक्ति को
आपसे बिना पूछे दे दे
लेकिन
पूंजीपति
सरकार
और बैंक
एक ही हैं
इस तरह अमीर
आपकी मेहनत से अमीर बनते हैं
अपनी मेहनत से नहीं
किसी भी चालक आदमी के लिए
अमीर बनने के लिए सरकार
ज़रूरी है
इस तरह आपने देखा कि
आपकी अतिरिक्त
क्रय शक्ति से
किस तरह
चंद मुट्ठी भर लोगों को अमीर बनाया जाता है
और करोड़ों लोगों को उनकी ज़मीनों से उजाड कर ज़बरदस्ती
गरीब बनाया जाता है
अगली बार हम सरकार
और अमीरी के संबंध को और अच्छे से समझेंगे
हम ये भी समझेंगे कि
सरकार द्वारा मेहनती लोग किस तरह से गरीब बनाए जाते हैं
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