* दंतेवाडा के पत्रकार प्रभात सिंह पर अग्नि के राष्ट्रीय संयोजक द्वारा गालीगलौज ,पुलिस भी उनके साथ ,उठवाने की दी धमकी .
* प्रदेश के पत्रकारों में भारी रोष
* हमले और किडनैप करने की आशंका से इंकार नहीं .
* पुलिस प्रभात सिंह को कुत्ते की माफिक खोज रही है
****
प्रभात सिंह ने बताया कि
मैं आज अपने केस के सिलसिले में अपने वकील साहब से मिलने जगदलपुर कोर्ट गया था । वहाँ एक सज्जन मिले उन्होंने मुझे पहचानते हुए अपना परिचय आनंद मोहन मिश्रा के रूप में दिया ,मैंने कहा अग्नि वाले ! तो हाथ मिला कर अभिवादन हुआ ।
तभी मेरे साथ खड़े एक वकील साहब ने उनसे पूछा कि आज कल कोर्ट में कम दिखाई पड़ रहे हैं । वे सज्जन आनंद मोहन मिश्रा जी बोले व्यस्तता है । आजकल फुर्सत ही कहाँ मिली है .
मैंने सवाल किया कि कोई नया काम धंधा मिल गया है ?
पता नहीं फिर क्या हुआ उन्हें, वे अचानक आगबबूला हो उठे और अपना आपा खोकर कहने लगे .
"मा#####द मैं पैसे के लिए काम कर रहा हूँ क्या ? कि काम धंधा बोल रहा है"
और माँ की गालियों की बौछार करने लगे .
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, तत्पश्चात मैंने और वकील साहब ने वहाँ से खिसक जाना ही उचित समझा.
शायद अपनी इज्जत बचाने का यही ठीक तरीका था .
मैं अभी बस में हूँ और दंतेवाड़ा लौट रहा हूँ ।
मैं यह घटना अपडेट ही कर रहा था कि तभी....
मेरे पास कोतवाली प्रभारी जगदलपुर ( 07024723300 ) का धमकी भरा कॉल आया ।
और मुझे कहा जा रहा है कि तू जल्दी जगदलपुर आ नहीं तो तुझे वैसे ही दंतेवाड़ा से उठाकर (किडनैप कर के ) लायेंगे ।
मुझे लगता है फिर छत्तीसगढ़ सरकार के इशारे पर शिव राम प्रसाद कल्लूरी के किडनैपर्स मुझ पर फिर फर्जी मामला बनाकर अपहरण कर सकते हैं ।
**
कुछ देर बाद प्रभात ने ही खबर पोस्ट कि ,की
बस्तर संभाग के किसी भी पुलिस थाने में मेरी शिकायत ली ही नहीं जा रही है । दो बार पीएचक्यू जाकर अपनी शिकायत देने की कोशिश कर चुका हूँ । साहब से मुलाकात हो नहीं पाई । गृह मंत्रालय में गृह सचिव से शिकायत बावत मुलाकात के लिए मैंने उनके ऑफिस जाकर मुलाकात की कोशिश की मीटिंग में होने की वजह से मुलाकात नहीं हो पाई ।
मैंने अपना नाम और पता फोन पर लिखवाया है । वहाँ बाद में फोन पर पूछने पर जवाब मिला कि साहब फ्री रहेंगे तो आपको कॉल कर बुला लेंगे । पुराने सभी मामलों की शिकायत संवाद के सीईओ को देकर सीएम से मुलाकात का समय भी मैंने माँगा था । किंतु आज तक कई मैसेज और कॉल करने के बाद भी जवाब नहीं आया । कुछ मामलों में एफआईआर करने के लिए शिकायत और अग्नि, सामजिक एकता मंच के लोगों से सुरक्षा दिलाने की दरखास्त लेकर काफी दिनों से भटक रहा हूँ ।
रायगढ से पत्रकार नितिन सिन्हा ने कहा 07024723300 यह नम्बर बस्तर के जगदल पुर कोतवाली के किसी टी आई का है जो सरे आम पत्रकार साथी प्रभात सिंह को मोबाइल पर धमकी दे रहा है.उठवा लूंगा पुराना हिसाब बाकी है ..
अरे साहब प्रदेश में नियम कानून नाम की कोई चीज भी है जो आप किसी को धमका चमका कर उठा लोगे...इस निंदनीय आचरण के लिए कल देश भर के पत्रकार रायगढ़ से आपके इसी नम्बर पर सार्वजनिक फोन लगाएंगे ..उठाइये आप छ ग के कितने पत्रकारों को उठाएंगे..."उक्त असभ्य आचरण और निंदनीय कृत्य के लिए या तो टी आई माफ़ी मांगे या हम पत्रकार कल ही निंदा प्रस्ताव पारित कर भारत के "महामहिम राष्ट्रपति" के नाम ज्ञापन सौपेंगे...
साथियों, ओर जागरूक नागरिको से विनम्र निवेदन है कि कृपया पत्रकार साथी प्रभात सिंह से दुर्व्यवहार के सम्बन्ध में टीआई को फोन करे और उसके इस आचरण का कारण जाने..
नितिन सिन्हा ने आगे कहा कि
पत्रकार हित में तथा पत्रकार एकता के लिहाज से टी आई को फोन लगाना अत्यंत जरूरी है ..एक बार एक सुर में आवाज तो उठाया जाना चाहिए.
.."हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा हो"...
हम सब पत्रकार साथी प्रभात के साथ है हमने टी आई को फोन लगाया उसका नम्बर स्विच आफ बता रहा है..
आई जी से बात करने देश के पत्रकार साथी लग गए है सुनिए महिला पत्रकार शुश्री शह नाज मलिक की आई जी से बात की रिकारडिंग आप जगदलपुर जाने के लिए आज ही फ्लाइट से रायपुर आ रही है
ये है पुलिस तन्त्र का आचरण छ ग में पत्रकारों को प्रोपर चैनल समझाया जाता है..ये माना यदि वो नक्सली है तो भी फोन पर उसे सरे आम फोन पर धमकी देने का अधिकार पुलिस को प्राप्त है क्या .?
..प्रभात नक्सली ,सोनी दी नक्सली हर वो सख्श जो लोकतन्त्र की शान्ति पूर्ण बहाली चाहता है नक्सली है पुलिस की नजर में..
वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि,
कल्लूरी जी अपने रिटायरमेंट का भी सोच के चलिए , ये सरकार हर समय आपको इतना साथ नही देगी | कल्लूरी ने एक पत्रकार से बातचीत में निर्भीक और ईमानदार पत्रकार साथी प्रभात सिंह को सीधे नक्सली करार दिया है | उनकी इतनी हिम्मत इसीलिए हुई क्योंकि रमन सिंह ने उन्हें अभयदान दिया हुआ है | पिछले कई घंटे से प्रभात सिंह का फोन भी बंद है , कहीं उसके साथ कुछ गलत ना हुआ हो
बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह जी का पता नहीं चल पा रहा है, यह पत्र लिखने के बाद, कहीं कुछ अनहोनी की आशंका है.
पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ जो कुछ घट रहा है वह बेहद शर्मनाक है। आज फिर बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह के साथ पुलिस के संरक्षण में चलाए जा रहे एक संगठन के कर्ताधर्ता ने गाली-गलौच की। प्रभात को पहले भी झूठे आरोप में कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा है।
शायद पुलिस के अफसरों और उनके चमचो को लगता है कि वे पत्रकारों/ लेखकों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासियों का केस लड़ने वाले अधिवक्ताओ को धमकाकर कोई महान काम कर रहे हैं।
अरे श्रीमान जी ऐसा करके आप छत्तीसगढ़ को पूरे देश-दुनिया में बदनाम करने का ही काम कर रहे हैं। आपको शायद यह पता नहीं होगा कि देश और दुनिया के जो भी लोग अध्ययन या किसी शोध कार्य के सिलसिले में छत्तीसगढ़ आते हैं तो उनका सबसे पहला सवाल यही होता है कि यहां की सरकार लेखकों/पत्रकारों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसरोकार रखने वाले लोगों को इतना प्रताड़ित क्यों कर रही है? आप अपने साथ-साथ सरकार की भी थू-थू करवा रहे हैं?
अरे भाइयों सहमति-असहमति सभी जगह होती है। जो राज्य असहमति का सम्मान करना जानता है वह विकास के सोपान तय करता है। याद रखिए असहमति हमेशा विरोध के लिए नहीं होती ब्लकि असहमति से कोई बेहतर मार्ग भी प्रशस्त होता।
टुच्ची हरकतों से बाज आइये और इस बात का भी ध्यान रखिए समय की लाठी बहुत बेरहम होती है।
***-
आज तीन युवा कार्यकर्ताओं की लोकतान्त्रिक आवाज़ का सरकार ने गैरकानूनी तरीके से दमन किया है ၊
गुजरात के दलित अधिकारों के लिये आवाज़ उठाने वाले युवा कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी को गुजरात पुलिस ने गायब कर दिया है ၊
छत्तीसगढ़, दन्तेवाड़ा के युवा पत्रकार प्रभात सिंह को आज शाम पुलिस ने अपहरण करने की धमकी दी , उसके बाद से प्रभात सिंह लापता है ၊ प्रभात सिंह को पहले भी आदिवासियों के पक्ष मे लिखने के कारण जेल में डाला जा चुका है ,
कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ को परसों जिनेवा मे संयुक्त राष्टू संध द्वारा आयोजित मानवाधिकार कार्यक्रम मे जाने से रोका गया ၊ उसके बाद कल उन्हें पुलिस घर से उठा कर ले गयी ၊
तो हमला किस पर है ?
दलितों , आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर ,
हमलावर कौन है ?
इन तीनों जगह भाजपा शासन मे है ၊
तो संघ के दुश्मन कौन ?
दलित , आदिवासी और अल्पसंख्यक
देशवासियों , अभी भी कोई भ्रम बचा है क्या ?
**
छ्त्तीसगढ़ में सरकार के विरोध मे और आदिवासियों के पक्ष मे लिखने वाले पत्रकार के लिये सरकार और पुलिस ने नये तरह की सज़ा का आविष्कार किया है ,
पुलिस पत्रकार प्रभात सिंह को पकड़ कर भीड़ के हवाले कर देगी ,
भीड़ पत्रकार प्रभात सिंह के टुकड़े टुकड़े कर देगी ,
हत्यारा पुलिस अधिकारी कल्लूरी कह देगा कि भीड़ ने मार डाला ,
हम क्या कर सकते थे ?
आज जगदलपुर मे पुलिस ने एक रैली करी है ,
उसमे आयी हुई भीड़ के सामने पत्रकार प्रभात सिंह को फेंकने की योजना पुलिस और संघी गुंडों ने बनाई है ,
पुलिस कल रात से प्रभात को पागल कुत्तों की तरह खोज रही है ၊
कंपनियों के राज का सबसे बुरा दौर धीरे धीरे आ रहा है ၊
एक दिन हम जैसे लोगों को भी चौराहे पर बांध कर जिन्दा जलायेंगे संघी लोग ၊
हिमांशु कुमार
* प्रदेश के पत्रकारों में भारी रोष
* हमले और किडनैप करने की आशंका से इंकार नहीं .
* पुलिस प्रभात सिंह को कुत्ते की माफिक खोज रही है
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प्रभात सिंह ने बताया कि
मैं आज अपने केस के सिलसिले में अपने वकील साहब से मिलने जगदलपुर कोर्ट गया था । वहाँ एक सज्जन मिले उन्होंने मुझे पहचानते हुए अपना परिचय आनंद मोहन मिश्रा के रूप में दिया ,मैंने कहा अग्नि वाले ! तो हाथ मिला कर अभिवादन हुआ ।
तभी मेरे साथ खड़े एक वकील साहब ने उनसे पूछा कि आज कल कोर्ट में कम दिखाई पड़ रहे हैं । वे सज्जन आनंद मोहन मिश्रा जी बोले व्यस्तता है । आजकल फुर्सत ही कहाँ मिली है .
मैंने सवाल किया कि कोई नया काम धंधा मिल गया है ?
पता नहीं फिर क्या हुआ उन्हें, वे अचानक आगबबूला हो उठे और अपना आपा खोकर कहने लगे .
"मा#####द मैं पैसे के लिए काम कर रहा हूँ क्या ? कि काम धंधा बोल रहा है"
और माँ की गालियों की बौछार करने लगे .
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, तत्पश्चात मैंने और वकील साहब ने वहाँ से खिसक जाना ही उचित समझा.
शायद अपनी इज्जत बचाने का यही ठीक तरीका था .
मैं अभी बस में हूँ और दंतेवाड़ा लौट रहा हूँ ।
मैं यह घटना अपडेट ही कर रहा था कि तभी....
मेरे पास कोतवाली प्रभारी जगदलपुर ( 07024723300 ) का धमकी भरा कॉल आया ।
और मुझे कहा जा रहा है कि तू जल्दी जगदलपुर आ नहीं तो तुझे वैसे ही दंतेवाड़ा से उठाकर (किडनैप कर के ) लायेंगे ।
मुझे लगता है फिर छत्तीसगढ़ सरकार के इशारे पर शिव राम प्रसाद कल्लूरी के किडनैपर्स मुझ पर फिर फर्जी मामला बनाकर अपहरण कर सकते हैं ।
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कुछ देर बाद प्रभात ने ही खबर पोस्ट कि ,की
बस्तर संभाग के किसी भी पुलिस थाने में मेरी शिकायत ली ही नहीं जा रही है । दो बार पीएचक्यू जाकर अपनी शिकायत देने की कोशिश कर चुका हूँ । साहब से मुलाकात हो नहीं पाई । गृह मंत्रालय में गृह सचिव से शिकायत बावत मुलाकात के लिए मैंने उनके ऑफिस जाकर मुलाकात की कोशिश की मीटिंग में होने की वजह से मुलाकात नहीं हो पाई ।
मैंने अपना नाम और पता फोन पर लिखवाया है । वहाँ बाद में फोन पर पूछने पर जवाब मिला कि साहब फ्री रहेंगे तो आपको कॉल कर बुला लेंगे । पुराने सभी मामलों की शिकायत संवाद के सीईओ को देकर सीएम से मुलाकात का समय भी मैंने माँगा था । किंतु आज तक कई मैसेज और कॉल करने के बाद भी जवाब नहीं आया । कुछ मामलों में एफआईआर करने के लिए शिकायत और अग्नि, सामजिक एकता मंच के लोगों से सुरक्षा दिलाने की दरखास्त लेकर काफी दिनों से भटक रहा हूँ ।
रायगढ से पत्रकार नितिन सिन्हा ने कहा 07024723300 यह नम्बर बस्तर के जगदल पुर कोतवाली के किसी टी आई का है जो सरे आम पत्रकार साथी प्रभात सिंह को मोबाइल पर धमकी दे रहा है.उठवा लूंगा पुराना हिसाब बाकी है ..
अरे साहब प्रदेश में नियम कानून नाम की कोई चीज भी है जो आप किसी को धमका चमका कर उठा लोगे...इस निंदनीय आचरण के लिए कल देश भर के पत्रकार रायगढ़ से आपके इसी नम्बर पर सार्वजनिक फोन लगाएंगे ..उठाइये आप छ ग के कितने पत्रकारों को उठाएंगे..."उक्त असभ्य आचरण और निंदनीय कृत्य के लिए या तो टी आई माफ़ी मांगे या हम पत्रकार कल ही निंदा प्रस्ताव पारित कर भारत के "महामहिम राष्ट्रपति" के नाम ज्ञापन सौपेंगे...
साथियों, ओर जागरूक नागरिको से विनम्र निवेदन है कि कृपया पत्रकार साथी प्रभात सिंह से दुर्व्यवहार के सम्बन्ध में टीआई को फोन करे और उसके इस आचरण का कारण जाने..
नितिन सिन्हा ने आगे कहा कि
पत्रकार हित में तथा पत्रकार एकता के लिहाज से टी आई को फोन लगाना अत्यंत जरूरी है ..एक बार एक सुर में आवाज तो उठाया जाना चाहिए.
.."हर जोर जुल्म के टक्कर में संघर्ष हमारा नारा हो"...
हम सब पत्रकार साथी प्रभात के साथ है हमने टी आई को फोन लगाया उसका नम्बर स्विच आफ बता रहा है..
आई जी से बात करने देश के पत्रकार साथी लग गए है सुनिए महिला पत्रकार शुश्री शह नाज मलिक की आई जी से बात की रिकारडिंग आप जगदलपुर जाने के लिए आज ही फ्लाइट से रायपुर आ रही है
ये है पुलिस तन्त्र का आचरण छ ग में पत्रकारों को प्रोपर चैनल समझाया जाता है..ये माना यदि वो नक्सली है तो भी फोन पर उसे सरे आम फोन पर धमकी देने का अधिकार पुलिस को प्राप्त है क्या .?
..प्रभात नक्सली ,सोनी दी नक्सली हर वो सख्श जो लोकतन्त्र की शान्ति पूर्ण बहाली चाहता है नक्सली है पुलिस की नजर में..
वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि,
कल्लूरी जी अपने रिटायरमेंट का भी सोच के चलिए , ये सरकार हर समय आपको इतना साथ नही देगी | कल्लूरी ने एक पत्रकार से बातचीत में निर्भीक और ईमानदार पत्रकार साथी प्रभात सिंह को सीधे नक्सली करार दिया है | उनकी इतनी हिम्मत इसीलिए हुई क्योंकि रमन सिंह ने उन्हें अभयदान दिया हुआ है | पिछले कई घंटे से प्रभात सिंह का फोन भी बंद है , कहीं उसके साथ कुछ गलत ना हुआ हो
बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह जी का पता नहीं चल पा रहा है, यह पत्र लिखने के बाद, कहीं कुछ अनहोनी की आशंका है.
पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि
छत्तीसगढ़ में पत्रकारों के साथ जो कुछ घट रहा है वह बेहद शर्मनाक है। आज फिर बस्तर के पत्रकार प्रभात सिंह के साथ पुलिस के संरक्षण में चलाए जा रहे एक संगठन के कर्ताधर्ता ने गाली-गलौच की। प्रभात को पहले भी झूठे आरोप में कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा है।
शायद पुलिस के अफसरों और उनके चमचो को लगता है कि वे पत्रकारों/ लेखकों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासियों का केस लड़ने वाले अधिवक्ताओ को धमकाकर कोई महान काम कर रहे हैं।
अरे श्रीमान जी ऐसा करके आप छत्तीसगढ़ को पूरे देश-दुनिया में बदनाम करने का ही काम कर रहे हैं। आपको शायद यह पता नहीं होगा कि देश और दुनिया के जो भी लोग अध्ययन या किसी शोध कार्य के सिलसिले में छत्तीसगढ़ आते हैं तो उनका सबसे पहला सवाल यही होता है कि यहां की सरकार लेखकों/पत्रकारों/ सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनसरोकार रखने वाले लोगों को इतना प्रताड़ित क्यों कर रही है? आप अपने साथ-साथ सरकार की भी थू-थू करवा रहे हैं?
अरे भाइयों सहमति-असहमति सभी जगह होती है। जो राज्य असहमति का सम्मान करना जानता है वह विकास के सोपान तय करता है। याद रखिए असहमति हमेशा विरोध के लिए नहीं होती ब्लकि असहमति से कोई बेहतर मार्ग भी प्रशस्त होता।
टुच्ची हरकतों से बाज आइये और इस बात का भी ध्यान रखिए समय की लाठी बहुत बेरहम होती है।
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आज तीन युवा कार्यकर्ताओं की लोकतान्त्रिक आवाज़ का सरकार ने गैरकानूनी तरीके से दमन किया है ၊
गुजरात के दलित अधिकारों के लिये आवाज़ उठाने वाले युवा कार्यकर्ता जिग्नेश मेवाणी को गुजरात पुलिस ने गायब कर दिया है ၊
छत्तीसगढ़, दन्तेवाड़ा के युवा पत्रकार प्रभात सिंह को आज शाम पुलिस ने अपहरण करने की धमकी दी , उसके बाद से प्रभात सिंह लापता है ၊ प्रभात सिंह को पहले भी आदिवासियों के पक्ष मे लिखने के कारण जेल में डाला जा चुका है ,
कश्मीर के मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज़ को परसों जिनेवा मे संयुक्त राष्टू संध द्वारा आयोजित मानवाधिकार कार्यक्रम मे जाने से रोका गया ၊ उसके बाद कल उन्हें पुलिस घर से उठा कर ले गयी ၊
तो हमला किस पर है ?
दलितों , आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर ,
हमलावर कौन है ?
इन तीनों जगह भाजपा शासन मे है ၊
तो संघ के दुश्मन कौन ?
दलित , आदिवासी और अल्पसंख्यक
देशवासियों , अभी भी कोई भ्रम बचा है क्या ?
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छ्त्तीसगढ़ में सरकार के विरोध मे और आदिवासियों के पक्ष मे लिखने वाले पत्रकार के लिये सरकार और पुलिस ने नये तरह की सज़ा का आविष्कार किया है ,
पुलिस पत्रकार प्रभात सिंह को पकड़ कर भीड़ के हवाले कर देगी ,
भीड़ पत्रकार प्रभात सिंह के टुकड़े टुकड़े कर देगी ,
हत्यारा पुलिस अधिकारी कल्लूरी कह देगा कि भीड़ ने मार डाला ,
हम क्या कर सकते थे ?
आज जगदलपुर मे पुलिस ने एक रैली करी है ,
उसमे आयी हुई भीड़ के सामने पत्रकार प्रभात सिंह को फेंकने की योजना पुलिस और संघी गुंडों ने बनाई है ,
पुलिस कल रात से प्रभात को पागल कुत्तों की तरह खोज रही है ၊
कंपनियों के राज का सबसे बुरा दौर धीरे धीरे आ रहा है ၊
एक दिन हम जैसे लोगों को भी चौराहे पर बांध कर जिन्दा जलायेंगे संघी लोग ၊
हिमांशु कुमार
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