मोहन भागवत जी किसके साथ महाभारत का युद्ध करना चाहते हो ?
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* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दुत्व की स्थापना के लिए कार्यकर्ता महाभारत के लिए तैयार रहें.
** अपने वक्तव्यों को सिद्ध करने के लिए भागवत ने तमाम हिंसा और युद्धों के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि धर्म स्थापना के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ.
***
अभी आगरा में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बडी गंभीर चेतावनी दी पूरे भारतीय समाज को .
उन्होंने कहा कि संघ को महाभारत के लिये तैयार रहना होगा ,आदि आदि .
इतनी गंभीर हिंसक चेतावनी के बाद कही कोई चर्चा या बात तक नहीं हो रही है ?
सहज स्वाभाविक प्रश्न है कि संघ किन से और क्यों महाभारत का हिंसक युद्ध चाहता है.
उन्हें धर्म की स्थापना से कौन रोक रहा है.
महाभारत की तरह उनसे किसने छल किया है और किसने इनके हिस्से की ज़मीन देने से इंकार कर दिया है.
किस द्रोपदी का किसने अपमान किया है .
ये खुद कौरव है या पाण्डव !
एक तथ्य यह भी है कि महाभारत में युद्ध की चेतावनी पाण्डव नही कुटिल कौरव बार बार देते थे.
और हां युद्ध में मोहन तो पाण्डवों के साथ खड़े थे ,यहाँ तो मोहन हज़ार मूंह की सैना कौरव की तरफ से टंकार भर रहे है .
और वैसे भी मोहन की पूरी सैना कन्हैया (jnu) के पीछे पड गई थी ,तो अब कृष्ण कन्हैया तो इनके साथ खड़े होने से रहे .
चलो मान लिया कि हिन्दू धर्म की स्थापना के लिये महाभारत लडने की तैयारी कर रहे है भागवत !
तो सबसे प्रमुख प्रश्न यही कि इस युद्ध में कौरव कौन होगा .
वही न !
जो इन्हें भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने में बाधा डालेगा .
चलो पडतात कर लेते है कि कौन कौन ऐसी ताकत है.
,जो इन्हें रोक सकता है .
सबसे पहले तो भारत का संविधान ही इनके आडे आता है .
वो कहता है कि भारत धर्मनिर्पेक्ष और समाजवादी होगा .
तो सबसे पहले इसे बदलो !
शायद इन्हें होश न हो ,संवैधानिक मूल अधिकार संविधान संशोधन से नहीं बदले जा सकते ,भले ही ये शतप्रतिशत बहुमत आ जाये तो भी .
तब इनके पास एक ही रास्ता बच जायेगा ,जैसा दूसरे देशों में हुआ कि हिंसक तख्तापलट में संविधान ही निरस्त कर दिया जायें.
आप हंस रहे है !
दुनिया के कई देशों में धार्मिक और फासिस्ट उन्मादियों ने ठीक एसा ही किया है .
तो सिद्ध पाया गया कि इनका पहला दुश्मन भारत का संविधान ही हुआ ।
अब जो दूसरा दुश्मन इनके आडे आयेगा वह है भारत की बहुलता , उदारता ,बहुसंस्कृति ,बहुभाषा और भोगोलिक विभिन्नता भी इसकी इजाजत नहीं देता.
भारत का ढांचा ही एसा बना है जो एक धर्म एक संस्कृति एक भाषा और एक रीतिरिवाज की अनुमति नहीं देता .
और फिर
डायवरसिटी भी इनकी दुश्मन की तरह सामने खडी है
जातिगत भेदभाव और भेदभावपूर्ण व्यवहार भी इनके आड़े आयेगा ही .
और फिर जिनके खिलाफ लड लड के संघ खड़ा हुआ ,
उदार हिन्दू ,मुसलमान,इसाई ,बौध्द ,दलित ,आदिवासी किसान ,मजदूर ,महिला निश्चित ही तुम्हारे खिलाफ खड़े है .
काश्मीर ,पूर्वी भारत और बस्तर में तो कबसे युद्ध थोप रखा है .
तो मोहन भागवत !
तुम भी सुई की नौक बराबर कुछ भी दैने को तैयार नहीं हो ,जिनका हक़ बनता है भारत में बराबरी का .
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* राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दुत्व की स्थापना के लिए कार्यकर्ता महाभारत के लिए तैयार रहें.
** अपने वक्तव्यों को सिद्ध करने के लिए भागवत ने तमाम हिंसा और युद्धों के उदाहरण भी दिए। उन्होंने कहा कि धर्म स्थापना के लिए ही महाभारत का युद्ध हुआ.
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अभी आगरा में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बडी गंभीर चेतावनी दी पूरे भारतीय समाज को .
उन्होंने कहा कि संघ को महाभारत के लिये तैयार रहना होगा ,आदि आदि .
इतनी गंभीर हिंसक चेतावनी के बाद कही कोई चर्चा या बात तक नहीं हो रही है ?
सहज स्वाभाविक प्रश्न है कि संघ किन से और क्यों महाभारत का हिंसक युद्ध चाहता है.
उन्हें धर्म की स्थापना से कौन रोक रहा है.
महाभारत की तरह उनसे किसने छल किया है और किसने इनके हिस्से की ज़मीन देने से इंकार कर दिया है.
किस द्रोपदी का किसने अपमान किया है .
ये खुद कौरव है या पाण्डव !
एक तथ्य यह भी है कि महाभारत में युद्ध की चेतावनी पाण्डव नही कुटिल कौरव बार बार देते थे.
और हां युद्ध में मोहन तो पाण्डवों के साथ खड़े थे ,यहाँ तो मोहन हज़ार मूंह की सैना कौरव की तरफ से टंकार भर रहे है .
और वैसे भी मोहन की पूरी सैना कन्हैया (jnu) के पीछे पड गई थी ,तो अब कृष्ण कन्हैया तो इनके साथ खड़े होने से रहे .
चलो मान लिया कि हिन्दू धर्म की स्थापना के लिये महाभारत लडने की तैयारी कर रहे है भागवत !
तो सबसे प्रमुख प्रश्न यही कि इस युद्ध में कौरव कौन होगा .
वही न !
जो इन्हें भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने में बाधा डालेगा .
चलो पडतात कर लेते है कि कौन कौन ऐसी ताकत है.
,जो इन्हें रोक सकता है .
सबसे पहले तो भारत का संविधान ही इनके आडे आता है .
वो कहता है कि भारत धर्मनिर्पेक्ष और समाजवादी होगा .
तो सबसे पहले इसे बदलो !
शायद इन्हें होश न हो ,संवैधानिक मूल अधिकार संविधान संशोधन से नहीं बदले जा सकते ,भले ही ये शतप्रतिशत बहुमत आ जाये तो भी .
तब इनके पास एक ही रास्ता बच जायेगा ,जैसा दूसरे देशों में हुआ कि हिंसक तख्तापलट में संविधान ही निरस्त कर दिया जायें.
आप हंस रहे है !
दुनिया के कई देशों में धार्मिक और फासिस्ट उन्मादियों ने ठीक एसा ही किया है .
तो सिद्ध पाया गया कि इनका पहला दुश्मन भारत का संविधान ही हुआ ।
अब जो दूसरा दुश्मन इनके आडे आयेगा वह है भारत की बहुलता , उदारता ,बहुसंस्कृति ,बहुभाषा और भोगोलिक विभिन्नता भी इसकी इजाजत नहीं देता.
भारत का ढांचा ही एसा बना है जो एक धर्म एक संस्कृति एक भाषा और एक रीतिरिवाज की अनुमति नहीं देता .
और फिर
डायवरसिटी भी इनकी दुश्मन की तरह सामने खडी है
जातिगत भेदभाव और भेदभावपूर्ण व्यवहार भी इनके आड़े आयेगा ही .
और फिर जिनके खिलाफ लड लड के संघ खड़ा हुआ ,
उदार हिन्दू ,मुसलमान,इसाई ,बौध्द ,दलित ,आदिवासी किसान ,मजदूर ,महिला निश्चित ही तुम्हारे खिलाफ खड़े है .
काश्मीर ,पूर्वी भारत और बस्तर में तो कबसे युद्ध थोप रखा है .
तो मोहन भागवत !
तुम भी सुई की नौक बराबर कुछ भी दैने को तैयार नहीं हो ,जिनका हक़ बनता है भारत में बराबरी का .
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