झारखण्ड में आदिवासी युवाओं के फर्जी नक्सली आत्मसमर्पण की कहानी .
** देश में नक्सलवाद के नाम भोले भाले आदिवासीओ को जेलो में डालने और मारने का घिनोना षड्यंत्र सामने आया है जसमे राज्य सरकार, सी आर पी ऍफ़ और राज्य पुलिस .
* सी आर पी ऍफ़ अफसरों ने ५१४ आदिवासी युवाओ का नक्सली बताकर कराया था सरेंडर
जिसकी सच्चाई रराष्ट्रीय मानवाधिकार टीम की जांच में अब पूरी तरह से सामने आ गई है
** झारखंड के आदिवासी क्षेत्रो में रहने वाले ५१४ बेरोजगार आदिवासी युवाओ को नौकरी देने का लालच देकर नक्सलवादी घोषित कर आत्मसमर्पण करवाया गया था
** सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आज देश की विभिन्न जेलो में सिर्फ नक्सलवाद के नाम पर बिना किसी मुकदमे के कुल २ लाख ८४ हजार कैदी जेलो में कई सालो से कैद है जिनमे ८५ प्रतिशत आदिवासी है
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आप सभी को पता होगा की पिछले साल अप्रैल माह में देश की प्रसिद्द पत्रिका इंडिया टुडे ने एक बड़ा खुलाशा किया था जिसमे कहा गया था की
सी आर पी ऍफ़ अफसरों ने ५१४ आदिवासी युवाओ का नक्सली बताकर कराया था सरेंडर
जिसकी सच्चाई रराष्ट्रीय मानवाधिकार टीम की जांच में अब पूरी तरह से सामने आ गई है
झारखंड के आदिवासी क्षेत्रो में रहने वाले ५१४ बेरोजगार आदिवासी युवाओ को नौकरी देने का लालच देकर नक्सलवादी घोषित कर आत्मसमर्पण करवाया गया था जबकि वास्तव में वे युवा नक्सवादी थे ही नहीं जबकि वे गाँव में रहने वाले भोले भाले बेरोजगार आदिवासी युवा थे जो सिर्फ सरकारी नोकरी के लालच में फसाकर जबरन नक्सलवादी बना दिए गए ये तो उन आदिवासी युवाओ का शुक्र था की उनका इनकाउंटर नहीं किया गया लेकिन हकीकत में कितने बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर मौत की नींद सुला दिया जाता जिनकी आज तक कोई जांच नहीं हुवी है
आदिवासी युवाओ को फर्जी नक्सलवादी बनाने की बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग टीम ने गुरूवार ८ सितम्बर २०१६ को ज्यूडिशियल अकेडमी में प्रेस वार्ता के दौरान कही
उन्होंने कहा की जांच में पाया गया की जिन युवाओ को नक्सलवाद ने नाम पर समर्पण कराया गया था वे आम आदिवासी थे ना की नक्सलवादी थे ऐसे बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर सरेंडर करवाना मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है इसमें पीड़ित आदिवासीओ को सरकार ने किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया इसी आधार पर राज्यसरकार से जवाब तलब किया गया था
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एच एल दत्तू ,सदस्यो में जस्टिस साइरस जोसेफ ,
डी मुरुगेशन ,और जस्टिस एस सी सिन्हा और आयोग के अन्य अधिकारी मौजूद थे
आरोपी पक्ष ने कोर्ट में नॉकरी देने के नाम पर ५१४ युवाओ को फर्जी सरेंडर का आरोप सी आर पी ऍफ़ और राज्य पुलिश के अधिकारियो के साथ कोचिंग संस्थान दिग्दर्शन सहित अन्य पर लगाया गया था
सरकार ने वर्ष २०१० से २०१५ तक ७९ लोगो के सरेंडर की बात कोर्ट को बताई थी
इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था की क्योँ ना इस मामले की जांच सी बी आई से जांच कराई जाए ? इस पर सरकार ने कहा था की सी बी आई जांच की जरूरत नहीं है इसका मतलब सरकार ही आदिवासीओ को जबरन नक्सलवादी बनाकर या तो मारना चाहती है या उन्हें जेल में डालना चाहती है .
आप सभी आदिवासी युवा साथियो को जानकार आश्चर्य होगा की सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आज देश की विभिन्न जेलो में सिर्फ नक्सलवाद के नाम पर बिना किसी मुकदमे के कुल २ लाख ८४ हजार कैदी जेलो में कई सालो से कैद है जिनमे ८५ प्रतिशत आदिवासी है जो सिर्फ नक्सलवाद का आरोप लगाकर जेलो में कैद कर दिए गए है
आप सभी देश वासियो को जानकार आश्चर्य होगा की आज भारत के कई अनुसूचित क्षेत्रो में आदिवासीओ के लिए संविधान में दिए गए प्रावधानों की खुले आम धज्जिया उड़ाई जा रही है
आजादी के बाद से अब तक लगभग ३ करोड़ आदिवासीओ को अपनी ही जमीनों से जबरन बेदखल कर दिया है जो आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दर दर ठोकरे खाने को मजबूर है
आज आजादी के ७० साल बिट जाने के बाद भी आदिवासीओ के संवैधानिक प्रावधान पांचवी अनुसूची ,छटवी अनुसूची ,पैसा कानून वनाधिकार कानून अनुसूचित क्षेत्रो में पूर्ण रूप से लागू नहीं किये गए जिसका परिणाम आज आदिवासीओ अपने ही अस्तित्व को अपने जल,जंगल और जमीं को बच्चन के लिए संघर्ष कर रहे है
हाल ही में मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड,उड़ीसा जैसे आदिवासी बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रो में बड़ी संख्या में बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया है और तो और बर्बरता की हद तो तब हो गई जब सुरक्षा बलो ने छोटे छोटे आदिवासी बच्चो तक नहीं बक्शा उन्हें भी बन्दुक गोलियों से भून दिया गया लेकिन राजनितिक पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस की गुलामी करने वाले आदिवास नेताओ को और देश की सरकार को आदिवासीओ की चिंता थोड़े है
आज मध्य भारत के पश्चिम क्षेत्र के पड़े लिखे आदिवासी युवा एकजुट होकर जयस के माध्यम से क्षेत्र के आदिवासीओ के लिए शिक्षा और संवैधानिक अधिकारों की बात करने क्या लग गए क्षेत्र के आदिवासी युवा अपने सामान को अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक क्या करने लग गए प्रदेश की बीजेपी सरकार के झाबुआ जिला के बीजेपी अध्यक्ष दौलत भावसार ने जयस को ही नक्सलवाद से जोडकर अफवाह फैलाने का नाकाम दुष्प्रचार किया था लेकिन अब किसी भी व्यक्ति ,राजनितिक पार्टी या संगठन ने जयस को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नक्सलवाद से जोड़ने की कोसिस की एट्रोसिटी एक्ट के तहटी पुरे भारत में उनके खिलाफ मुकदमा दायर करेगे
भारत के अनुसूचित क्षेत्रो में अब किसी भी बेकसूर आदिवासी को नक्सलवाद के नाम पर मारा गया तो पुरे भारत के आदिवासी एकजुट होकर उनका विरोध करेगे और दोषियों को फ़ासी जी सजा दिलाने के लिए आदिवासीओ की लड़ाई न्यालय में लड़ेंगे
नेशनल जयस देश में आदिवासीओ के संवैधानिक अधिकारों और आदिवासी शब्द की संवैधानिक मान्यता के लिए मिशन २०१८ दिल्ली चलो की तैयारी कर रहा है जिसमे पुरे देश के १० आदिवासी दिल्ली में इकट्ठा होकर संसद का घेराव करेगे जिसके लिए भारत के प्रत्ये राज्य के जयस युवाओ में तूफानी तैयारी शुरू कर है ....
डॉ हिरा अलावा जयस
नेशनल जयस संरक्षक नई दिल्ली
** देश में नक्सलवाद के नाम भोले भाले आदिवासीओ को जेलो में डालने और मारने का घिनोना षड्यंत्र सामने आया है जसमे राज्य सरकार, सी आर पी ऍफ़ और राज्य पुलिस .
* सी आर पी ऍफ़ अफसरों ने ५१४ आदिवासी युवाओ का नक्सली बताकर कराया था सरेंडर
जिसकी सच्चाई रराष्ट्रीय मानवाधिकार टीम की जांच में अब पूरी तरह से सामने आ गई है
** झारखंड के आदिवासी क्षेत्रो में रहने वाले ५१४ बेरोजगार आदिवासी युवाओ को नौकरी देने का लालच देकर नक्सलवादी घोषित कर आत्मसमर्पण करवाया गया था
** सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आज देश की विभिन्न जेलो में सिर्फ नक्सलवाद के नाम पर बिना किसी मुकदमे के कुल २ लाख ८४ हजार कैदी जेलो में कई सालो से कैद है जिनमे ८५ प्रतिशत आदिवासी है
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आप सभी को पता होगा की पिछले साल अप्रैल माह में देश की प्रसिद्द पत्रिका इंडिया टुडे ने एक बड़ा खुलाशा किया था जिसमे कहा गया था की
सी आर पी ऍफ़ अफसरों ने ५१४ आदिवासी युवाओ का नक्सली बताकर कराया था सरेंडर
जिसकी सच्चाई रराष्ट्रीय मानवाधिकार टीम की जांच में अब पूरी तरह से सामने आ गई है
झारखंड के आदिवासी क्षेत्रो में रहने वाले ५१४ बेरोजगार आदिवासी युवाओ को नौकरी देने का लालच देकर नक्सलवादी घोषित कर आत्मसमर्पण करवाया गया था जबकि वास्तव में वे युवा नक्सवादी थे ही नहीं जबकि वे गाँव में रहने वाले भोले भाले बेरोजगार आदिवासी युवा थे जो सिर्फ सरकारी नोकरी के लालच में फसाकर जबरन नक्सलवादी बना दिए गए ये तो उन आदिवासी युवाओ का शुक्र था की उनका इनकाउंटर नहीं किया गया लेकिन हकीकत में कितने बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर मौत की नींद सुला दिया जाता जिनकी आज तक कोई जांच नहीं हुवी है
आदिवासी युवाओ को फर्जी नक्सलवादी बनाने की बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग टीम ने गुरूवार ८ सितम्बर २०१६ को ज्यूडिशियल अकेडमी में प्रेस वार्ता के दौरान कही
उन्होंने कहा की जांच में पाया गया की जिन युवाओ को नक्सलवाद ने नाम पर समर्पण कराया गया था वे आम आदिवासी थे ना की नक्सलवादी थे ऐसे बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर सरेंडर करवाना मानवाधिकार का खुला उल्लंघन है इसमें पीड़ित आदिवासीओ को सरकार ने किसी भी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया इसी आधार पर राज्यसरकार से जवाब तलब किया गया था
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एच एल दत्तू ,सदस्यो में जस्टिस साइरस जोसेफ ,
डी मुरुगेशन ,और जस्टिस एस सी सिन्हा और आयोग के अन्य अधिकारी मौजूद थे
आरोपी पक्ष ने कोर्ट में नॉकरी देने के नाम पर ५१४ युवाओ को फर्जी सरेंडर का आरोप सी आर पी ऍफ़ और राज्य पुलिश के अधिकारियो के साथ कोचिंग संस्थान दिग्दर्शन सहित अन्य पर लगाया गया था
सरकार ने वर्ष २०१० से २०१५ तक ७९ लोगो के सरेंडर की बात कोर्ट को बताई थी
इस मामले में हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था की क्योँ ना इस मामले की जांच सी बी आई से जांच कराई जाए ? इस पर सरकार ने कहा था की सी बी आई जांच की जरूरत नहीं है इसका मतलब सरकार ही आदिवासीओ को जबरन नक्सलवादी बनाकर या तो मारना चाहती है या उन्हें जेल में डालना चाहती है .
आप सभी आदिवासी युवा साथियो को जानकार आश्चर्य होगा की सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आज देश की विभिन्न जेलो में सिर्फ नक्सलवाद के नाम पर बिना किसी मुकदमे के कुल २ लाख ८४ हजार कैदी जेलो में कई सालो से कैद है जिनमे ८५ प्रतिशत आदिवासी है जो सिर्फ नक्सलवाद का आरोप लगाकर जेलो में कैद कर दिए गए है
आप सभी देश वासियो को जानकार आश्चर्य होगा की आज भारत के कई अनुसूचित क्षेत्रो में आदिवासीओ के लिए संविधान में दिए गए प्रावधानों की खुले आम धज्जिया उड़ाई जा रही है
आजादी के बाद से अब तक लगभग ३ करोड़ आदिवासीओ को अपनी ही जमीनों से जबरन बेदखल कर दिया है जो आज अपने अस्तित्व को बचाने के लिए दर दर ठोकरे खाने को मजबूर है
आज आजादी के ७० साल बिट जाने के बाद भी आदिवासीओ के संवैधानिक प्रावधान पांचवी अनुसूची ,छटवी अनुसूची ,पैसा कानून वनाधिकार कानून अनुसूचित क्षेत्रो में पूर्ण रूप से लागू नहीं किये गए जिसका परिणाम आज आदिवासीओ अपने ही अस्तित्व को अपने जल,जंगल और जमीं को बच्चन के लिए संघर्ष कर रहे है
हाल ही में मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,झारखण्ड,उड़ीसा जैसे आदिवासी बाहुल्य अनुसूचित क्षेत्रो में बड़ी संख्या में बेकसूर आदिवासीओ को नक्सलवाद के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया है और तो और बर्बरता की हद तो तब हो गई जब सुरक्षा बलो ने छोटे छोटे आदिवासी बच्चो तक नहीं बक्शा उन्हें भी बन्दुक गोलियों से भून दिया गया लेकिन राजनितिक पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस की गुलामी करने वाले आदिवास नेताओ को और देश की सरकार को आदिवासीओ की चिंता थोड़े है
आज मध्य भारत के पश्चिम क्षेत्र के पड़े लिखे आदिवासी युवा एकजुट होकर जयस के माध्यम से क्षेत्र के आदिवासीओ के लिए शिक्षा और संवैधानिक अधिकारों की बात करने क्या लग गए क्षेत्र के आदिवासी युवा अपने सामान को अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक क्या करने लग गए प्रदेश की बीजेपी सरकार के झाबुआ जिला के बीजेपी अध्यक्ष दौलत भावसार ने जयस को ही नक्सलवाद से जोडकर अफवाह फैलाने का नाकाम दुष्प्रचार किया था लेकिन अब किसी भी व्यक्ति ,राजनितिक पार्टी या संगठन ने जयस को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नक्सलवाद से जोड़ने की कोसिस की एट्रोसिटी एक्ट के तहटी पुरे भारत में उनके खिलाफ मुकदमा दायर करेगे
भारत के अनुसूचित क्षेत्रो में अब किसी भी बेकसूर आदिवासी को नक्सलवाद के नाम पर मारा गया तो पुरे भारत के आदिवासी एकजुट होकर उनका विरोध करेगे और दोषियों को फ़ासी जी सजा दिलाने के लिए आदिवासीओ की लड़ाई न्यालय में लड़ेंगे
नेशनल जयस देश में आदिवासीओ के संवैधानिक अधिकारों और आदिवासी शब्द की संवैधानिक मान्यता के लिए मिशन २०१८ दिल्ली चलो की तैयारी कर रहा है जिसमे पुरे देश के १० आदिवासी दिल्ली में इकट्ठा होकर संसद का घेराव करेगे जिसके लिए भारत के प्रत्ये राज्य के जयस युवाओ में तूफानी तैयारी शुरू कर है ....
डॉ हिरा अलावा जयस
नेशनल जयस संरक्षक नई दिल्ली
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