Tuesday, September 13, 2016

तमिलनाडू का एक ऐसा गांव जिसका हर निवासी जी रहा है देशद्रोह के साए में; )

8,856 देशद्रोही : तमिलनाडू का एक ऐसा गांव जिसका हर निवासी जी रहा है देशद्रोह के साए में; भाग एक
( संघर्ष संवाद )




तमिलनाडु के कूडनकुलम में 8,856 से अधिक लोग देशद्रोह और भारतीय राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे मुकदमों में फंसाए गए हैं. आज़ादी के बाद देशद्रोह के मुकदमे इतनी बड़ी संख्या में कूडनकुलम शांतिपूर्ण आंदोलन के खिलाफ लगाए गए हैं, इससे ही यह पता चलता है कि आज की सरकार का लोगों के जीवन व स्वास्थय, प्राकृतिक संसाधनों और उनकी जीविका तथा सुरक्षा को लेकर कोई भी सरोकार नहीं बचा है. इदिनथाकारी गाँव, जिसकी आबादी 10,000 है, अक्टूबर 2011 से गाँव के लोग धारा 124(ए) झेल रहे हैं। इस गांव के लोगों पर देशद्रोह का फर्जी मुकदमा कूडनकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन करने की वजह से लगाया गया है। 5 सितंबर को कूडनकुलम परमाणु प्लांट विरोधी आंदोलन के अगुवाकर एस. पी. उदयकुमार ने सर्वोच्च न्यायालय में धारा 124(ए) यानि की राष्ट्रद्रोह के मुकदमे में जीत हासिल की किंतु अभी भी 140 से ज्यादा देशद्रोह के फर्जी केस यहाँ लोगों  पर दर्ज हैं। 5 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय के इस कथन के बाद की की सरकार की आलोचना करना देशद्रोह नहीं है, देश में एक बार फिर सरकार द्वारा अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को राष्ट्रद्रोह के नाम पर दबाए जाने के सच को जनता के सामने लाकर रख दिया है।  हम यहां पर कुडनकुलम परमाणु संयंत्र के विरोध में राष्ट्रद्रोह का आरोप झेल रहे 8,856 गांववालों की स्थिति के संबंध में 12 सितंबर को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित अरुण जनार्दन की  रिपोर्ट (तीन भागों में ) प्रकाशित कर रहे हैं। संघर्ष संवाद के लिए इसे राहुल त्रिवेदी ने हिंदी में अनुवाद किया है;

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित किया था कि क्या देशद्रोह नहीं है । लेकिन पांच साल से, अधिकारियों द्वारा मामला लंबा खींचे जाने से, तमिलनाडु का एक पूरा गाँव, जो कि परमाणु संयत्र के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, धारा 124 ए झेल रहा है। अरुण जनार्धनन की रिपोर्ट । फोटो: अमृतराज स्टीफेन ।

5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार की आलोचना देशद्रोह नहीं है, वही देश के सुदूर दक्षिणी क्षेत्र के एक गाँव में सफ़ेद बोर्ड पर आंकड़ा बदल कर 1,846 दिन कर दिया गया ।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ एक मामले पर था, जिसको इदिन्थाकारई के एस. पी. उदयकुमार ने जीता, लेकिन अभी भी 140 से ज्यादा मामले यहाँ के लोगो पर दर्ज है । भारत के देशद्रोह के नक़्शे में, इदिन्थाकारई अभी शून्य पर है । इदिन्थाकारई और कुडनकुलम गाँव में उदयकुमार की अगुवाई में 2011 से कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, जिसमे 8956 लोगों के खिलाफ देशद्रोह के 21 मामले दर्ज किये गए हैं - जो कि पूरे देश में सबसे ज्यादा है ।

कुडनकुलम संयंत्र की 1 इकाई को 10 अगस्त, 2016 को कमीशन किया गया था

इन मामलों में कुछ होने की उम्मीद किसी को भी नहीं है, यहाँ तक कि पुलिस को । लगभग सभी 380 एफ आई आर (जिनमे से 240 सुप्रीम कोर्ट के अक्टूबर 2014 के आर्डर के बाद वापस ले ली गयी थी) में पहले उदयकुमार का नाम था बाद में पांच या दस दूसरे आरोपियों का नाम है और सभी एफ आई आर के अंत में लिखा है "बाकि 300 या 3000 लोग"। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ऐसा दो वजहों से किया गया - एक तो लोगो को डराने के लिए; दूसरा जब हम 2000 या 5000 लोगों पर कई मामले दर्ज कर रहे थे तो सभी सैकड़ों और हजारों लोगों का नाम लिखना अव्यहवारिक था ।

तो, अब पांच साल से, तमिलनाडु का इदिन्थाकारई गाँव, जिसकी आबादी 10,000 है धारा 124 ए, जो कि देशद्रोह की धारा है, झेल रहा है । ज्यादातर आरोपी जिनके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत 21 दूसरे मामले दर्ज है जिसमे " भारत सरकार के  खिलाफ युद्ध छेड़ने या युद्ध उकसाने" का मामला है - ऐसा अपराध जिसमे मृत्युदंड तक प्रावधान है ।

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि उनके मामलों की स्थिति क्या है; अधिकांश लोगों ने अपने खिलाफ हुई एफ आई आर तक नहीं देखी है । अभी तक देशद्रोह का कोई भी मामला हटाया नहीं गया है ।

देशद्रोह का पहला मामला (अपराध संख्या 315): 15 अक्टूबर, 2011

कितने लोगों पर मामला दर्ज हुआ: 10

6800 मेगा वाट वाला कुडनकुलम परमाणु संयंत्र, जो कि 1988 से चल रहा है और जो इदिन्थाकारई के प्रदर्शन वाली जगह से मात्र आधा किलोमीटर दूर है, के खिलाफ प्रदर्शन 2011 में शुरू हुआ, कमीशनिंग की तारीख से पहले। इस प्रदर्शन की अगुवाई महिलाओं ने की क्योंकि पुरुष ज्यादातर समय मछली लेने के लिए समुद्र पर जाते थे।

एडवोकेट सी रसरथिनम, जिन्हें केस डाक्यूमेंट्स में भी चेम्मानि के नाम से जाना जाता है, ने कहा पहला देशद्रोह का मामला कुडनकुकम जंक्शन के पास रोड रोको आंदोलन के बाद 15 अक्टूबर को दर्ज किया गया। चेम्मानि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े है जो की इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।

उदयकुमार, पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी के संयोजक, एक पादरी, फादर माइकल पांडियन जेसुराज को अपराध संख्या 315 में नामित किया गया।

उदयकुमार को सभी 300 एफ आई आर, जिनमे 21 देशद्रोह के मामले, धारा 121 के सभी 21 मामले और 100 आपराधिक मामले शामिल हैं, में मुख्य आरोपी बनाया है। उदयकुमार हँसते हुए कहते  कि ये सिर्फ एक अनुमान है। उन्हें खुद नहीं पता कि इन पांच सालों में उनके ऊपर देशद्रोह के कितने मामले दर्ज है ।

देशद्रोह - 4 सेंट लॉर्ड्स चर्च कंपाउंड में प्रदर्शन के लिए बने पंडाल में बैठी महिला
प्रदर्शनकारियों पर, जिनमे उदयकुमार भी शामिल है, आरोप है कि उन्होंने चर्च से धन लेकर प्रदर्शन किया है। इसने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिलने के आरोपों को भी हवा दे दी।

वी नारायणसामी, तत्कालीन राज्य मंत्री और अभी के पुडुचेरी के मुख्यमंत्री, उन कांग्रेसी नेताओं में से थे जिन्होंने पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी पर हमला किया। जब उनसे आरोपों के बारे में पूछा गया तो, नारायणसामी ने कहा, "मैंने तो तभी कहा था जब मैं मंत्रालय में था। अब आप अभी की सरकार से पूछें।" लेकिन क्या आप अभी मानते है कि पीपल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी को विदेशी फंडिंग मिल रही है? "अब आप ये सब क्यों पूछ रहे हैं?" उन्होंने कहा। "वो सब अब खत्म है."

उदयकुमार के लिए नहीं - हालांकि इतने सारे मामलों के बाद भी उनको अभी तक कोर्ट से कोई समन नहीं मिला है। उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया गया और उन्हें सिर्फ एक बार हिरासत में लिया गया जब वो दो साल पहले एक कांफ्रेंस के लिए नेपाल जा रहे थे । वे बताते है, "सूत्रों से पता चला कि अभी 35 मामलों में चार्जशीट दायर होने वाली है; बाकि के बारे में मुझे कुछ पता नहीं है।

चेम्मानि कहते है कि इसमें हैरान होने वाली कोई बात नहीं है, क्यूंकि "वहाँ पर कोई हिंसा नहीं हुई और न ही सार्वजनिक जीवन में कोई व्यवधान पड़ा"। "वे सिर्फ प्रदर्शनकारियों को डराना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि, उदहारण के लिए, जिन लोगो पर मामला दर्ज किया गया है उन्होंने दो साल तक गिरफ्तार होने के डर से गाँव नहीं छोड़ा ।

उदयकुमार ने बताया कि उन लोगों पर आगजनी, तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ नारे लगाने, हत्या के प्रयास, देशद्रोह और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए मामले दर्ज किये थे।

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साभार : इंडियन एक्सप्रेस
 मंगलवार, सितंबर 13, 2016

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