डिलमिली स्टील प्लांट का जबर्जस्त विरोध ,प्रधानमंत्री का आना हमारे लिये कलंक
जगदलपुर (ब्यूरो)। दो दशक पहले गीदम रोड स्थित स्टील प्लांट के लिए प्रस्तावित डिलमिली क्षेत्र में गूंजते रहे 'मावा नाटे मावा राज' और 'नाटे न राज' जैसे नारे एक बार फिर सुनाई देने लगे हैं। जब से यहां अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट लगाने की दुबारा घोषणा हुई है और नौ मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दंतेवाड़ा में आयोजित जनसभा में स्टील प्लांट के लिए एमओयू किया गया है, इस इलाके में संयंत्र के विरोध में स्वर तेज हो गए हैं।
सोमवार को डिलमिली में अखिल भारतीय आदिवासी महासभा की जनसभा में भी यह नारे जमकर सुनाई दिए। गोंडी बोली के मावा नाटे मावा राज का तात्पर्य हमारे गांव में हमारा राज और नाटे न राज अर्थात गांव का राज होता है।
जनसभा में आसपास के गांवों से पहुंची सैकड़ों की भीड़ ने आदिवासी महासभा के नेताओं मनीष कुंजाम, विंचेम पोदी, बोमड़ा राम, हिड़मो मंडावी व अन्य नेताओं को धैर्य से सुना और सभा के अंत में कहा कि वह लोग किसी भी हाल में अपनी जमीन स्टील प्लांट को नहीं देंगे।
जनसभा में दोनों हाथ उठाकर ग्रामीणों ने कहा कि यदि स्टील प्लांट लगाने की जोर जबरजस्ती की गई तो उसका डटकर मुकाबला किया जाएगा। इसके पहले तिरथुम से चलकर सोमवार को मनीष कुुंजाम के नेतृत्व के आदिवासी महासभा की पदयात्रा डिलमिली पहुंची। जहां पदयात्रियों का स्थानीय लोगों ने जोरदार स्वागत किया।
दोपहर बाद राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे इमली के पेड़ के नीचे जनसभा हुई। जिसे महासभा से जुड़े सीपीआई, कांग्रेस, भाजपा आदि राजनीतिक दलों के समर्थक पंचायत पदाधिकारियों ने भी संबोधित किया। चित्रकोट विधानसभा के कई क्षेत्रों से लोग जनसभा में पहुंचे थे। महासभा के संभागीय संयोजक व पूर्व विधायक मनीष कुंजाम ने कहा कि औद्यागिक विकास के नाम पर बस्तर को सब्जबाग दिखाया जा रहा है। सारी कवायद कार्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है।
आदिवासी को मिले पेशा एक्ट, ग्रामसभा के अधिकार आदि के हनन की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को विस्थापित करने की साजिश है। इसे आदिवासी समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। श्री कुंजाम ने कहा कि डिलमिली हो या लोहंडीगुड़ा महासभा स्टील प्लांट नहीं लगने देगी। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। श्री कुंजाम ने कहा कि एनएमडीसी पिछले पांच दशक से किरंदुल-बचेली में उद्योग स्थापित कर कमाई कर रहा है पर उससे बस्तरियों को क्या मिला। कितने स्थानीय युवाओं को नौकरी मिली। नगरनार में भी यही होने वाला है।
नेताओं-अधिकारियों ने खरीदी जमीन
मनीष कुंजाम व अन्य वक्ताओं ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि डिलमिली में स्टील प्लांट लगाने की चर्चा पिछले दो दशक से चल रही है। इस दौरान इस इलाके में भाजपा के स्थानीय मंत्री, कोंडागांव की पूर्व मंत्री, चित्रकोट के पूर्व विधायक, कई नेता, कांग्रेस के कोंटा के मौजूदा विधायक, कई आदिवासी अधिकारियों ने सैकड़ो एकड़ जमीनें सीधे-साधे आदिवासियों से औने-पौने दामों मे खरीद रखी है।
इन नेताओं और अधिकारियों द्वारा खरीदी गई जमीन पर खेती नहीं की जा रही है। इन्होंने यहां के आदिवासियों की जमीनें ले ली। मनीष कुंजाम ने कहा कि इन्हीं लोगों के जोर से राज्य सरकार डिलमिली में स्टील प्लांट लगाने की योजना पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि एक एकड़ दो एकड़ जमीन का मालिक किसान प्लांट के लिए जमीन नहीं देने की बात कर पुरजोर विरोध कर रहा है और नेता अधिकारी जिन्होंने जमीनें खरीद रखी हैं वे क्यों विरोध नहीं कर रहे है। आदिवासी महासभा के वक्ताओं ने कहा कि महासभा ने टाटा को स्टील प्लांट लगाने से रोक रखा है और डिलमिली में स्टील प्लांट नहीं लगाने देंगे।
जिले के दरभा ब्लॉक में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र का विरोध शुरू हो गया है। डिलमिली सहित पास के बुरूंगपाल, अलवा तथा डोडरेपाल पंचायत के ग्रामीणों ने इसके लिए 30 नवंबर को डिलमिली में क्षेत्रीय विधायक दीपक बैज की उपस्थिति में सामूहिक ग्राम सभा का आयोजन कर शासन द्वारा प्रस्तावित संयंत्र के विरोध में प्रस्ताव पारित किया।
वहीं इस संबंध में मंगलवार को जिला मुख्यालय पहुंच कर जनदर्शन में कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा। डिलमिली के सरपंच सुदरू राम कर्मा, डोडरेपाल के सरपंच कोदूराम शार्दुल, बुरूंगपाल के सरपंच सोमारू राम कर्मा के साथ आए ग्रामीणों ने बताया कि शासन द्वारा डिलमिली में वृहद संयंत्र स्थापना का प्रस्ताव है जिसका कड़ा विरोध डिलमिली तथा पास के पंचायतों के ग्रामीण कर रहे हैं। संयंत्र की स्थापना से क्षेत्र के लोगों का भू-स्वामित्व समाप्त हो जाएगा एवं जल, जंगल, जमीन नष्ट हो जाएगा।
वहीं संयंत्र लगने से क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पाएगा क्योंकि अधिकांश जनता अशिक्षित है और शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। संयंत्र स्थापना का प्रस्ताव निरस्त नहीं किए जाने पर ग्रामीणों द्वारा वृहद आंदोलन किया जाएगा।
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