Wednesday, December 7, 2016

15 मिनट की जनसुनवाई और 1700 एकड़ आदिवासियों की जमीन अडानी के हवाले

बुधवार, 7 दिसंबर 2016

झारखण्ड की भाजपा सरकार का एक और नया कारनामा :15 मिनट की जनसुनवाई और 1700 एकड़ आदिवासियों की जमीन अडानी के हवाले


झारखण्ड के गोड्डा जिले के मोतिया गांव में अडानी पावर प्लांट को दी जा रही 1700 एकड़ जमीन के खिलाफ ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने 6 दिसंबर 2016 को गोड्डा में जनसुनवाई आयोजित की। इस जनसुनवाई के खिलाफ हो रहे विरोध को ही अपना हथियार बना प्रशासन ने न सिर्फ जनसुनवाई को बीच में ही रोक दिया बल्कि ग्रामीणों पर बर्बर लाठी चार्ज भी किया। और इसी के साथ देखते ही देखते 15 मिनट के अंदर 1700 एकड़ जमीन अडानी के हवाले कर दी गई। हम यहां पर आपके साथ दीपक रंजीत की इस जनसुनवाई के नाटक की विस्तृत रिपोर्ट साझा कर रहे है;


पूंजीपतियों के बहुमत सरकार ने अदानी के कहने पर गोड्डा, झारखण्ड में ग्रामीणों के उपर किया लाठी चार्ज।
गोड्डा में प्रस्तावित अदानी पॉवर प्लांट के खिलाफ ग्रामीणों में बड़ते आक्रोश को देखते हुए प्रशासन ने आज दिनांक 6 दिसंबर 2016 गोड्डा में जनसुनवाई का आयोजन किया था।

जिसमे ग्रामीणों के विरोध को दबाने के लिए प्रशासन ने लाठी चला दिया। और रघुवर के पूंजीपति समर्थित पुलिस ने लोगों को घर में घुस-घुस कर मारा है। जिसमे दर्जनों ग्रामीण घायल हुआ।

प्रशासन ने अपना चतुराई दिखाते हुए एक ही दिन, एक ही समय में गोड्डा के मोतिया इलाके में 2 जनसुनवाई का आयोजन किया। ताकि पॉवर प्लांट का विरोध कर रहे समूह इकठ्ठा न हो सके। विरोध जोरदार न सके परन्तु इसके बावजूद अदानी पॉवर प्लांट का जोरदार विरोध हुआ। जिस कारण प्रशासन ने लाठीचार्ज के बहाने जनता के आवाज को दबाने के लिए जनसुनवाई को बिच में ही रोक दिया।

प्रशासन ने एक और चालाकी यह किया था कि जनसुनवाई में सिर्फ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को ही आने का इजाजत था। उसमे भी जो लोग अदानी के दलाल तत्व के लोगो को ही अन्दर आने का परमिशन मिला। बाकि जो अपना जमीन छोड़ना नहीं चाहता है, विस्थापित नहीं होना चाहता है वैसे लोगो को वोटर कार्ड दिखाने के बाद भी अन्दर नहीं जाने दिया गया।

सवाल तो यह भी उठ सकता है कि प्रशासन और अदानी के कर्मचारी वहां कैसे उपस्थित थे? क्या वे भी प्रस्तावित पॉवर प्लांट क्षेत्र के निवासी थे?

प्रशासन के रवैये से साफ़ प्रतीत होता है कि वे अब सीधे- सीधे पूंजीपतियों के दलाली पर उतर आया है और संकेत दे रहा है कि नोटबंदी के दौर में आपको अपना मुह भी बंद रखना पड़ेगा। क्यूंकि साहब को न सुनना पसंद नहीं है।

आप विस्थापन के खिलाफ आवाज उठाते है तो आप विकास विरोधी कहलायेंगे। बाद में आपके ऊपर नक्सलाईट होने का तमगा भी खुद ही लगा देंगे।

उससे भी नहीं माने तो जिसतरह बड़कागांव में गोलीकांड हुआ उसी तरह अगला गोलीकांड गोड्डा में भी करवा दिया जायेगा। आखिर विकास के लिए उन्हें हमारा खून भी तो चाहिए होगा। जबतक झारखंडी लोग मिट खप नहीं जाते इसके बिना कहा उनका विकास होगा।

हो सकता इसका रुपरेखा अदानी साहब रघुवर दास के ऑफिस में रच भी चूका होगा। स्थानीय नीति में दिकुओं को प्राथमिकता देना । इसके बाद सीएनटी/एसपीटी एक्ट में पूंजीपतियों के लिए छेड़छाड़ किया जाना और अब बड़कागांव गोलीकांड, खूंटी गोलीकांड के बाद गोड्डा में अदानी के प्रस्तवित पॉवर प्लांट में लाठी चार्ज करना उसी दिशा में रघुवर दास का बढता कदम साफ़ साफ़ दिख रहा है।

झारखंडी भाइयों अब तो जागिये अपने हक़अधिकार के लिए उठ खड़े होईये।
अभी नहीं तो कभी नहीं।

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