फर्जी प्रकरण में फंसाये गए रायगढ़ के पत्रकार नितिन सिन्हा
[कमल शुक्ल की पोस्ट से ]
फर्जी प्रकरण में फंसाये गए रायगढ़ के पत्रकार नितिन सिन्हा को पुलिस द्वारा मांगे गए दस दिन के रिमांड को खरीज करते हुए केवल दो दिन की रिमांड देते हुए विद्वान न्यायाधीश ने रायगढ़ जेल अधीक्षक को आदेश दिया है कि जेल मैनुवल के अनुसार योग्य चिकित्सक से नितिन का नियमित ईलाज कराकर रोज न्यायलय को रिपोर्ट दें । इसके पहले न्यायालय के निर्देश पर उसे इलाज के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया था , जहाँ शल्य चिकत्स्कों के अनुसार उसके किडनी के स्टोन को तत्काल आपरेशन कर निकलने की जरुरत बतायी गयी । पर रायगढ़ की मीडिया ने इस बीमार पत्रकार साथी के प्रति घोर असंवेदनात्मक रवैय्या अपनाते हुए डाक्टरों की रिपोर्ट को भी झुठला कर स्थानीय पुलिस और जेल पर दबाव बनाते हुए न्यायालय की अवमानना करने से भी नहीं चुकी ।
इस बार भी जेल प्रशासन को न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बाद भी पुलिस द्वारा असहयोगात्मक ( गार्ड उपलब्ध नहीं कराने के कारण ) रवैय्या अपनाने की वजह से आज दूसरे दिन भी नितिन की मेडिकल जांच के लिए जिला चिकत्सालय तक नहीं लाया जा सका । पुलिस के एक अधिकारी का कहना है कि पुलिस मीडिया के हल्ला मचाने को लेकर डरी हुई है । स्थिति यह है कि रायगढ़ के पत्रकारों को अपने ही एक साथी ke मामले में न्यायालय और डाक्टरों पर भी भरोसा नहीं है । हालांकि इस रवैय्या के पिच्छे नितिन द्वारा अपनी पत्रकारिता के दौरान एक बार अनाथ बच्चियों के यौन शोषण के मामले में एक बड़े पत्रकार के भाई के भी शामिल होने को लेकर कुछ पत्रकारों और नेताओं द्वारा बनाये गए दबाव में नही आने और उस मामला को राजधानी के एक अखबार में प्रकाशित करने की घटना को माना जा रहा है ।
जिस शिकायत करता श्याम सोनी की शिकायत पर यह फर्जी मामला बनाया गया है , अब इस मामले में उसी का भाई कैलाश सोनी ही मुख्य आरोपी बन चुका है और भागे - भागे फिर रहा है । हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी रायगढ़ पुलिस उसे गिरफ्तार नही कर पा रही है । इस बात की खबर तक रायगढ़ की मिडिया नहीं दिखा रही है । जबकि कई लोग दबी जुबान से उसके फरारी के लिए स्थानीय पुलिस प्रशासन पर भारी लेन - देन की चर्चा कर रहें हैं । शिकायत करता श्याम सोनी आरएसएस के गौ रक्षा समिति का अध्यक्ष है और इस पद की आड़ में उस पर कई बार अपने टाईल्स के धंधे को दबाव बनाकर अधिकारियों के माध्यम से लाभ पहुँचाया गया है । पता चला है क़ि उसके खिलाफ कई अपराधिक मामले पहले से ही रहें हैं । एक बार तो उसने धंधे के लिए साथ देंने से इंकार करने पर रायगढ़ निगम आयुक्त के साथ देर रात घर घुसकर मार पीट तक किया था , जिसपर अभी मामला न्यायालय में लंबित है । उसके खिलाफ नितिन द्वारा कई बार समाचार प्रकाशित और प्रसारित किया जा चूका है ।
मै नितिन से कोर्ट में पेशी के दौरान मिल चूका हूँ , तब उसने बताया था कि उसे पचास घंटे से पेशाब नहीं हुआ है , इस दर्द को वही समझ सकता है जो किडनी की समस्या झेल रहा हो । मै रायगढ़ के पत्रकारों को चुनौती ती देता हूँ क़ि अगर उन्हें ईमानदारी की पत्रकारिता करनी है या बदले की पत्रकारिता नहीं करनी है तो आप सब मिलकर अपने हिसाब से ड़ाक्टर तय कर और जांच करा लें , अगर उसके बाद यह तय होता है क़ि हाँ नितिन को इलाज की जरुरत नहीं है तो मै भी आपके साथ हो जाउंगा और अगर जो इसकी जरुरत नही समझ रहा है , अपने आपको को ही सही समझ रहा है तो भगवान शीघ्र ही आपको उस पीड़ा का अहसास कराये जिससे नितिन गुजर रहा है , ( यह मांग भगवन से ) और आप सबके बॉस और संपादक जो रायपुर और अन्य जगहों पर हैं उनसे मेरी मांग है कि इस तरह की पत्रकारिता करने वालों को प्रोत्साहन ना दें ।inhe dhakke mar kar tatkal patrakarita s
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