कोरबा (निप्र)। डंगनियाखार स्थित एचटीपीपी तथा बीसीपीपी के राखड़ बांध से राख मिश्रित पानी अहिरन नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे नदी का पानी राखड़युक्त हो गया है, और राख मिश्रित पानी हसदेव नदी में समा रहा है। दोनों नदी का पानी प्रदूषित हो रहा है। ग्रामीणों के समक्ष निस्तार की समस्या उत्पन्ना हो गई है, पानी का उपयोग करने से चर्म रोग की शिकायत भी सामने आने लगी है। शिकायत के बाद भी क्षेत्रीय पर्यावरण संरक्षण मंडल उचित कार्रवाई नहीं कर रही है।
एचटीपीपी एवं बीसीपीपी द्वारा डंगनियाखार में पृथक-पृथक राखड़ बांध बनाया गया है। दोनों पावर प्लांट के डेम भराव की ओर है। इससे राख मिश्रित पानी डेम से बाहर बहने लगा है। डंगनियाखार के समीप ही अहिरन नदी है, जो सर्वमंगला पुल के पास हसदेव नदी में आ कर मिलती है। डेम से राख मिश्रित पानी विगत कई दिनों से सीधे अहिरन नदी में समा रहा है। इससे नदी का पानी राख मिश्रित हो गया है। अहिरन नदी का पानी हसदेव नदी में पहुंच रहा है। हसदेव की किनारा भी राख मिश्रित होने से पानी का रंग सफेद हो गया है। नदी आसपास निवासरत ग्रामीण निस्तारी के लिए अहिरन का पानी का उपयोग करते हैं, वहीं जानवर भी इसी नदी का पानी पीते हैं। पानी में राख मिलने से पूरा पानी प्रदूषित हो गया है और अब ग्रामीणों के निस्तार योग्य भी पानी नहीं रह गया है। ग्रामीणों का कहना है कि वैसे भी गर्मी के दिनों में नदी का पानी कम हो जाता है, ऐसी स्थिति में राख मिश्रित पानी नदी में समाने से पूरा पानी राखड़युक्त हो गया है। इससे न तो निस्तारी हो पा रही है और न ही जानवर के पीने योग्य रह गया है। मजबूरीवश ग्रामीण इस पानी का उपयोग करते हैं, इससे चर्मरोग जैसी बीमारी उत्पन्ना हो रही है। इस संबंध में विद्युत कंपनी एवं बीसीपीपी प्रबंधन को शिकायत की गई। लेकिन दोनों ने उचित कार्रवाई नहीं की। गर्मी के दिनों में पानी के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ रहा है। कभी कभार साफ पानी आता भी है तो नदी किनारे जमी राख की वजह से पानी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जिला प्रशासन से भी उचित कार्रवाई की मांग की गई है।
बाक्स
क्या कहते हैं प्रभावित
फोटो नंबर-23केओ27- तीजराम ।
डेम से राखड़ मिश्रित पानी आकर अहिरन नदी में मिल रहा है। इससे नदी का पानी उपयोग योग्य नहीं रह गया है। नदी काफी गंदी हो गई है, इससे ग्रामीणों को निस्तार हेतु पानी नहीं मिल पा रहा है।
- तीजराम पटेल
--
फोटो नंबर-23केओ28- दयाराम ।
नदी उपयोगिता के नाम पर शून्य हो गई है। राखड़ की वजह से पानी प्रदूषित हो गया है, निस्तारी की समस्या खड़ी हो गई है। अहिरन नदी में गुजारा होता था किंतु अब पानी में 75 फीसदी राख है, इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
- दयाराम
--
फोटो नंबर-23केओ29- रविंद्र ।
अहिरन नदी में कभी निर्मल जल बहता था, लेकिन स्थिति अब ऐसी है कि नदी में राख ही राख दिखाई दे रही है। पानी का स्तर काफी खराब हो गया है। नदी में राखड़ बांध से राख मिश्रित पानी आकर मिल रहा है। पानी गंदा होने से न ग्रामवासियों का इसका लाभ मिल पा रहा है और न ही जानवर उपयोग कर रहे हैं। चर्मरोग भी ग्रामीणों को होने लगा है।
- रविंद्र यादव
वर्सन
डेम भर गया है, इसलिए संयंत्र से राखड़ नहीं छोड़ा जा रहा। अहिरन नदी में हमारे डेम से राख नहीं छोड़ा जा रहा। ऐसे में फिर राखयुक्त पानी कहां से जा रहा है, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है।
- ओसी कपिला, कार्यपालक निदेशक, एचटीपीपी
--
अहिरन नदी में राख मिश्रित पानी छोड़े जाने की सूचना मिली है। स्थल निरीक्षण के बाद आगे कुछ कहा जा सकता है। जिस पावर प्लांट के डेम से राख मिश्रित पानी नदी में छोड़ा जा रहा है, उस पावर प्लांट प्रबंधन को नोटिस दी जाएगी।
- आरपी शिंदे, क्षेत्रीय अधिकारी पर्यावरण विभाग
-----------------
- See more at: http://naidunia.jagran.com/chhattisgarh/korba-as-waterdescharg-355755#sthash.EsvatyRC.dpuf
No comments:
Post a Comment