पँचायत प्रतिनिधयों ने किया भूमि अध्यादेश को खारिज़ ,भू अधिकार एवं भू उपयोग योजना की मांग
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन द्वारा आयोजित पंचायत प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओ ने एक स्वर में केंद्र के भूमि अधिग्रहण अध्यादेश का विरोध करते हुए भू अधिकार और भू उपयोग योजना की तरफदारी की। इस इस सम्मलेन में कोरबा , सरगुजा ,रायगढ़ ,महासमुंद ,धमतरी ,बिलासपुर ,रायपुर ,कांकेर ,जशपुर ,बलौदाबाजार से चुने हुए प्रतिनिधि और कार्यकर्ताओ ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
सम्मलेन की अध्यक्षता चितरंजन बख्शी ,देवसाय ,श्रीमती चंद्रवती ,और वीर साय मझवार ने की ,प्राम्भिक वक्तव्य अलोक शुक्ल ने रखा,जिसके समर्थन में संजय पराते [ माकपा राज्यसचिव ] विजय भाई [भारत जन आंदोलन ]नद कश्यप [छत्तीसगढ़ किसान सभा ] सौरा यादव [सीपीआईएमएल ] सीएल पटेल [सीपीआई ] रिन चिन [दलित आदिवासी संघटन ] एस आर नेताम [आदिवासी विकास परिषद ] देव साय ,श्रीमती चंद्र वती ,भगत सिंह ,आनंद ,कमल देव वारीक ,वीर साय मझवार ,[सभी सरपँच ]सुरेश टेकाम ,[किसानसेना ]रमाकांत बंजारे ,[सीएमएम मजदुर कार्यकर्त्ता समिति ] जयनंदन [हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति ]जन साय पोया [ भारत जन आंदोलन ] आदि बात बात रखी , सम्मलेन में किसानो और आदिवासियों से आव्हान किया गया की 5 मई को देहली में आयोजित रैली में पुरजोर ढ़ंग से शिरकत करें।
सम्मलेन में वक्ताओं ने आरोप लगाये की देश और प्रदेश की सरकार इस देश के जंगल ,जमीन ,जल और प्राकर्तिक संसाधन कार्पोरेट और अन्य बड़े अॉधिक घराने को सौंप देना चाहती हैं। इसके लिए किसानो ,आदिवासियों और कमजोर तबको को कुचलने का काम कर रही हैं। उन्होंने कहा की जमीन किसानो की पीढ़ि दर पीढ़ी अनंत काल तक आजीविका उपलब्ध कराती रही हैं, और कोई भी मुआवज़ा इसकी भरपाई नहीं कर सकता ,उन्होंने इस बात पे चिंता व्यक्त की यदि किसान और जमीन नहीं बचेगे तो देश की खाद्य सम्प्रभुता खत्म हो जायेगी , और इसकी मार देश के गरीब तबके पे ही पड़ेगी ,
वक्ताओं ने इस बात को रेखांकित किया की एक तरफ तो सरकार कार्पोरेट घरानो को 5 -6 लाख करोड़ रुपये टैक्स माफ़ी दे रही है ,इसके बाबजूद वे सरकार को 4 लाख 85 हजार करोड़ का टैक्स पटाने से इंकार कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ सरकार आम जनता के लिया कल्याणकारी योजना जैसे शिक्षा ,स्वास्थ्य ,सार्वजनिक वितरण प्रणाली ,मनरेगा आदि में 1 ,5 लाख करोड़ का आवंटन कम कर रही हैं ,इसका आम जनता केजीवन पे भारी प्रभाव पड रहा हैं।
सम्मलेन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया की अभी तक अधिग्रहित ऐसी जमीन जिसका उपयोग नहीं किया गया है उसे किसानो को वापस किया जाये , योजना बिना ग्राम सभा की पूर्व अनुमति और सामाजिक आंकलन के शुरू न की जाये ,और पेसा तथा वनाधिकार कानून के पालन को सुनिश्चित किया जाये। सम्मेलन में तय किया गया की विधान सभा के शीत कालीन सत्र में किसानो, आदिवासियों ,मजदूरो की मांग को लेके एक बड़ा प्रदर्शन किया जाये ,
भवदीय
अलोक शुक्ला , संयोजक
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