इन आदिवासीयों के लिए देश में कोई व्यक्ति हैं, जो इनके लिए कुछ कर सकता हैं? लिंगा राम कोडपि
इन आदिवासीयों के लिए देश में कोई व्यक्ति हैं, जो इनके लिए कुछ कर सकता हैं? मै और सोनी सोढ़ी आज पकनार थाना गये हुए थे। उस गाँव में थाना व सी. आर. पी.एफ. कैम्फ हैं। मुदेनार गाँव में जो घटना 17/4/15 को घटी थी उसी के विरोध में ग्रामीण थाना का घेराव किये थे। जिसे तीन गोली लगी है उसका इलाज करे और पुलिस प्रशासन इस घटना की रिपोर्ट दर्ज करे । और जिन चार लोगों को उसी गाँव से 19/4/15 से पुलिस ने पकड़ रखा हैं उन्हें छोड़ दे। पर पुलिस प्रशासन ने एेसा नही किया जो ग्रमीण गंभीर रूप से घायल है पुलिस ने अपने कस्टड़ी में ले लिया और हमे मिलने भी नहीं दिया गाया। पुलिस वाले अस्पताल के बाहर बात- चीत कर रहे थे कि नक्सली को गोली लगी हैं, पर वह तो एक आदिवासी ग्रामीण है, अगर वह ग्रामीण नक्सली हैं। तब तो सारे बस्तर के आदिवासी ग्रामीण नक्सली हैं। केद्र से ग्रह मंत्रालय को छत्तिसगढ़ के पुलिस प्रशासन को यह आदेश दे देना चाहिए की देश के तमाम आदिवासीयों को ड़ूड ड़ूड़ कर मार देना चाहिए। वैसे भी हर दिन एक या दो आदिवासी पुलिस प्रशासन के हाथों मर रहे हैं। इनके लिए आवाज कौन उठायेगा। जो उठाता है वह देश की नजर में नक्सली बन जाता हैं। वैसे भी पूरे विश्व में पूजी सबसे बड़ी ताकत बन चुकी हैं। यह एहसास हमें न होता की पूजी क्या है, यह एहसास हमे आज हुआ। आज हमारे पास खाने को न पैसे थे और न घाड़ी किराया देने को। हम किससे बोलते की कीराया के लिए पैसे चाहिए। एक महीला थी जो दिल्ली से आदिवासीयों की मदद के लिए आयी हुई हैं। ,आदिवासी सघर्षों मे साथ देती है। उससे हमने कहाँ कि किराया के लिए कुछ पैसे दे दिजिए तब उस महीला ने 6 साथियों के लिए 700 रूपये दिया। जिससे हम रात के 12 बजे घर पहुचे। हम अपने समाज की मदद करना चाहे तो भी किस प्रकार करे हम आर्थिक रूप से कमजोर है, हमारी समज से बाहर हैं। हमारी कोई मदद करे या न करे हम तो इस लड़ाई को जारी रखेगे और मरते दम तक लड़ेगें। लेकिन देश के तमाम बुध्दीजिवी वर्ग आदिवासीयों के समाप्त होने का राह क्यों देख रहे हैं। आखिर एेसी कौन सी वजह है कि आदिवासी मरते है, पुलिस प्रशासन द्दरा अत्याचार होता हैं तो देश के तमाम बुध्दीजिवी वर्ग चुपचाप देखते रहते है। क्या आदिवासी बुध्दीजिवी वर्ग के दुश्मन है? या इनसे कोई खता हो गई।
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