झूठे हैं पुलिसिया बयान : मोदेनार का सच
मोदेनार से लौटकर
प्रभात सिंह @patrika
हाल ही में बिसपुर
ग्राम पंचायत से अलग होकर नए बने ग्राम पंचायत तोयनार के आश्रित गाँव मोदेनार में
17 अप्रेल शुक्रवार को हुए कथित मुठभेड़ के बाद तमाम तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म
है | डॉक्टर की रिपोर्ट और गोपनीय सैनिक हिड़मो मड़काम के बयान और पुलिसिया कारवाई
से कई संदेह पैदा होते हैं | इन्हीं सवालों को जानने पत्रिका की टीम मोदेनार गाँव
जान जोखिम में डाल कर पहुँची | ग्राम
पंचायत तोयनार के एक ग्रामीण ने हमें एक बार गाँव में जाने से मना किया और बताया
की वहाँ तीर धनुष से लैस ग्रामीण हैं | यदि गाँव जाओगे तो लौटकर वापस नहीं आ पाओगे
| आपको वहीँ बंधक बनाकर रख लिया जायेगा | फिर भी हम जान जोखिम में डालकर पहाड़ियों
से घिरे गाँव मोदेनार पहुँचे | गाँव में सन्नाटा पसरा हुआ था | हम एक ग्रामीण की
मदद से गोपनीय सैनिक हिड़मो मड़काम के भाई पांडू और आयतु के घर पहुँचे जहाँ
ग्रामीणों ने जो कुछ बताया उसे सुनकर किसी के भी होश फाख्ता होना स्वाभाविक है |
उपसरपंच था गोपनीय
सैनिक हिड़मो मड़काम
|
हिड्मो मरकाम उपसरपंच साथ में गोपनीय सैनिक |
ग्रामीणों ने बताया
कि गोपनीय सैनिक हिड़मो मड़काम ग्राम पंचायत बिसपुर का उपसरपंच रह चुका है | अपने पद
पर रहने के दौरान वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन, इंदिरा आवास योजना जैसे तमाम सरकारी
योजनाओं के सारे रूपये हड़प लिए थे | जिसके बाद यह मामला किसी तरह माओवादियों तक
पहुँचा जिस पर माओवादियों ने तकरीबन तीन साल पहले हिड़मो मड़काम की जमकर पिटाई भी की
थी | यह एक मर्तबा होता तो भी बात अलग होती मगर ग्रामीण बताते हैं कि इसके बाद भी
हिड़मो मड़काम लगातार इसी तरह भ्रष्टाचार को अंजाम देता रहा जिस पर माओवादियों ने और
भी दो मर्तबा इसकी जमकर पिटाई कर डाली और
माओवादियों ने धमकी दी कि दोबारा इस तरह के भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किये जायेंगे
| अगर ऐसा क्रम दोबारा दोहराया जाता है तो ऐसी स्थिति में जनादालत में सज़ा ए मौत
दी जाएगी | हिड़मो मड़काम को ग्रामीण भी कुछ माह पहले एक बार तीर धनुष लेकर मारने
गये थे | हिड़मो मड़काम पर आरोप था की वह गाँव के लोगों को पुलिस में नाम देकर
फँसाता है | किन्तु उसकी किस्मत अच्छी थी की वह उस समय घर में मौजूद नहीं था |
गाँव का सबसे अमीर
किसान हिड़मो मड़काम
|
हिड्मो मरकाम के घर में शराब की बोतलें |
ग्रामीणों के बयानों पर
गौर करें तो हिड़मो मड़काम इस इलाके का सबसे धनाढ्य किसान के रूप में जाना जाने लगा
जबकि इसकी अमीरी की वजह उपसरपंच पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार की काली कमाईहै | हिड़मो मड़काम के
पास दो बड़े कच्चे मकान हैं जिसमे तहखाने जैसे कई कमरे भी बने हुए हैं जिनमे हिड़मो
मड़काम अपने ऐशो आराम की सामग्रियां रखता था | हिड़मो मड़काम के पास ट्रैक्टर,
स्कार्पिओ और दुपहिया वाहन भी हैं | जिन्हें उसने उपसरपंच पद पर रहने के दौरान
खरीदे थे
|
तीन बीवियों का पति
हिड़मो मड़काम
ग्रामीणों के
मुताबिक़ हिड़मो मड़काम की मनमौजी प्रवृत्ति का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि
इसने एक पत्नी के जिंदा रहते दो और शादियाँ रचायीं थीं जिसके बाद हिड़मो मड़काम की
पहली पत्नी ने बेहद मानसिक तनाव से गुजरते हुए आत्महत्या कर ली मगर यह बात पुलिस
तक पहुँचने के पहले ही हिड़मो मड़काम ने मामले को गाँव के अन्दर ही दबा दिया |
आईसीडीएस का कालातीत
हो गया पूरक पोषण आहार
|
हिड़मो मरकाम का मकान |
|
हिड्मो के घर में रेड्डी तो ईट |
|
हिड्मो के घर में राशन |
|
मड़कम के घर में रेड्डी टेैत का सामान |
|
कचरे की तरह फैला सरकारी सामान |
हिड़मो मड़काम के
तोयनार और मोदेनार स्थित घर में महिला एवं बाल विकास विभाग का पूरक पोषण आहार ऐसे
ही कालातीत अवस्था में पड़े हुए हैं | छत्तीसगढ़ शासन की दवाईयाँ भी खाली पड़े मकान
में बोरियों में रखी हुई है | जो अब कालातीत हो चुकी हैं | जो महिला एवं बाल विकास
के विकासों की कहानियों का मूक गवाह हैं |
जमीन हडपने की फिराक
में हिड़मो मड़काम
परेशान हो चले
ग्रामीणों ने कैमरे के सामने बताया कि हिड़मो मड़काम ने बीते 2 साल से लगभग 15
ग्रामीणों के पैतृक ज़मीन के राजस्व पट्टे अपने पास यह कहकर रख लिए कि उनके लिए
इंदिरा आवास की राशि जारी की जायेगी और आज तक मोदेनार के बेबस ग्रामीण अपने पट्टों
के लिए दर ब दर भटक रहे हैं मालूम हो कि हिड़मो मड़काम ने पट्टों के साथ ही
पट्टाधारियों की पासपोर्ट आकार की तस्वीरें ले रखी हैं और अब तलक न तो
पट्टाधारियों के पट्टे ही वापस लौटाए गए और न ही इंदिरा आवास ही बने गाँव में आज
भी घास फूस की झोपड़ियां ही नज़र आती है और खेतों की ज़मीन भी ऊबड़ खाबड़ ही है जबकि
हिड़मो मड़काम का दावा है इसने गाँव में काफी विकास कार्य किये हैं | इसके साथ ही
पुलिस की जांच के लिए जो सबसे बड़ा और अहम् सवाल छूट जाता है वो ये कि हिड़मो मड़काम
कहता है वह 40 एकड़ ज़मीन का इकलौता मालिक है जबकि ग्रामीणों का बयान उसके इस दावे
को धता साबित करते हुए हिड़मो मड़काम को महज 5 एकड़ ज़मीन का भूस्वामी बताता है |
|
पाण्डु मड़कम |
|
पाण्डु अपने पिता भीमा के साथ |
नक्सलियों ने नहीं
निकाली किसी की आँखें
बीते 17 अप्रैल को दरभा क्षेत्र
के मोदेनार में हुई कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ के बाद हिड़मो मड़काम गोपनीय सैनिक का बयानआया था कि नक्सलियों
ने उसके भाई आयतु की दोनों आँखें फोड़ डाली हैं जबकि सच इसके ठीक विपरीत है और
पत्रिका ने इसकी पड़ताल करते हुए आयतु से मुलाकात कर ली जिसके बाद आयतु को हिड़मो
मड़काम के बयान के बाबत बताये जाने पर आयतु ने आँखों में आंसू लेकर पत्रिका को बयान
दिया है जो पुलिस और हिड़मो मड़काम के बयान पर एक साथ कई सवाल खड़े करता है | आयतु ने
पत्रिका को बताया कि उसे मुठभेड़ के बाद मंगू उर्फ़ महंगू उर्फ़ रासा और उसके साथी जान
से मारने के लिए उसे पकड़कर नाले के पास ले गए | उसे पुलिस द्वारा नक्सली सहयोगी
बताकर महंगू को फँसाने और हिड़मो मड़काम का भाई होने की वजह से महंगू और उसके साथी
पकड़कर ले गए थे | उनके पास कोई हथियार नहीं था जिसकी वजह से केवल उसे डंडों से
पिटाई की गई | जिसमें उसके आँख के पास चोंट आई और उसकी एक आँख की पलक पलट गई थी
| जहाँ से वह किसी तरह जान बचाकर पहाड़ी
में भाग गया और रात जंगल में बिताकर अल सुबह घर लौटा | उसने आगे बताया कि सिर्फ
हिड़मो मड़काम के द्वारा पुलिस को गुमराह करने की वजह से आज अपनी ज़िन्दगी बचाने के
लिए अपना गृहग्राम और खुद का घर छोड़कर जंगलों में छिपता भटक रहा है |
पांडू नहीं है
माओवादियों के कब्जे में
पांडू और आयतु के नाम पर हल्ला मचा हुआ है कि ये दोनों
नक्सलियों के कब्जे में हैं जबकि आयतु से मुलाक़ात के बाद पांडू की
गोपनीय सैनिक का बयानपतासाजी में पत्रिका
ने पांडू को उसके गृहग्राम मोदेनार में ही सुरक्षित अपने ही घर पर पाया है और
पांडू को जब उनके अपहरण के बाबत पूछा गया तो पांडू ने अचंभित होते हुए पत्रिका को
बताया है कि उसे किसी से कोई खतरा नहीं है और हिड़मो मड़काम उसके अपहरण की झूठी
अफवाह उड़ा रहा है जबकि माओवादियों ने उसे कभी परेशान नहीं किया है | ऐसे में बड़े
सवाल पुलिस के बयानों को खंडित भी करते हैं और साथ ही हिड़मो मड़काम की हकीकत को जगजाहिर
करते हैं मगर अब सवाल यह उठते हैं कि क्या पुलिस ने अब तलक जितने बयान जारी किये
हैं वे सभी कोरी बकवास हैं या फिर हिड़मो मड़काम पुलिस का कोई मोहरा है जिसे पुलिस
अपने इशारों पर नचा रही है ? साथ ही हिड़मो मड़काम की हकीकत ग्रामीणों के बयान पर
किसी बड़े चालबाज़ से कम भी नहीं लगते | ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि सच क्या
है जबकि अब तलक नक्सल मामलों को लेकर जितने भी जांच चले हैं उन सबके नतीजे आज तक
अधर में ही अटके हुए हैं |
गोपनीय सैनिक के भाई
के पुलिस पर सनसनीखेज आरोप
पांडू पुलिस पर उल्टे
आरोप लगाते हुए कहता है कि मुझे दो बार पुलिस गिरफ्तार कर कटेकल्याण और पखनार थाने
ले गई | कटेकल्याण थाने में गिरफ्तारी के समय मेरे साथ 2 अन्य बुधु और
के नाम पर हल्ला मचा हुआ है कि ये दोनों
नक्सलियों के कब्जे में हैं जबकि आयतु से मुलाक़ात के बाद पांडू की
गोपनीय सैनिक का बयानबुधराम को भी पुलिस
ने फर्जी केस में गिरफ्तार किया था | मेरे उपर टीन तस्करी का मामला बनाया गया |
बाद में मेरे चाचा से 5000 लेने के बाद रिहा किया गया | दुसरे बार हिड़मो मड़काम के
घर से पांडू को फिर पखनार पुलिस अक्टूबर 2014 में फर्जी नक्सल मामले में गिरफ्तार
कर ले गई थी | उस वक्त हिड़मो तोयनार गया था | गिरफ्तारी के बाद पहली बार उसे उसकी
माँ 2-4 लोगों के साथ छुड़ाने गई थी, किन्तु उसे छोड़ा नहीं गया | दुसरे दिन जब
हिड़मो मड़काम और पांडू के पिता उसे छुड़ाने गए तो उसे 6 हजार रुपये लेकर छोड़ा गया |
जिसमें से 5 हजार रुपये खुद हिड़मो ने दिया था |
|
छन्नू मड़कम |
|
पाण्डु का चाचा श्यमा मडकम |
मुठभेड़, मुठभेड़ ही
थी या कुछ और है मामला...
ग्रामीणों के अनुसार 17
अप्रैल 2015 को हिड़मो मड़काम अपने चार साथियों के साथ अंग्रेजी शराब लेकर मोदेनार
पहुंचा जहाँ छन्नू मडकाम से हिड़मो मड़काम ने तीन सौ रूपये देकर एक देसी मुर्गा
खरीदा जिसे पकाकर इन पाँचों ने शराब पी | गाँव में उस रात बीज पंडूम मनाने के कुछ
समय बाद पुलिस गाँव में घुसी | पुलिस ने गाँव के मंगू उर्फ़ रासा मड़काम को हिरासत
में लेने की कोशिश की मगर मंगू ने मौका पाकर खुद को एक घर में छिपा लिया जिसके बाद
पुलिस ने घर के अन्दर घुसकर मंगू को पकड़ने की कोशिश की जहाँ दोनों पक्षों के बीच
हाथापाई भी हुई इस हाथापाई के बीच मंगू किसी
ंडू की
गोपनीय सैनिक का बयानतरह पुलिस को चकमा
देकर भागने में कामयाब हो गया मगर पुलिस ने मंगू पर रात के घने अँधेरे में गोली
दाग दी |
पुलिस की चलाई गोली
भी मंगू को छू नहीं पाई वरन एक ग्रामीण भीमा के पैर में पुलिस की तीन गोलियां जा
लगीं जिसका इलाज आप कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी ने पखनार गाँव में करवाने की प्रारंभिक
कोशिश की और इलाके के सभी ग्रामीणों के साथ पखनार थाने पहुंचकर विरोध प्रदर्शन भी
किया था | इसके बाद पुलिस ने आनन फानन में घायल भीमा को गिरफ्तार कर मीडिया में
बयान जरी किया कि मोदेनार में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान पुलिस एक नक्सली को
घायलावस्था में गिरफ्तार किया है जिसका इलाज जगदलपुर के मेकॉज में किया जा रहा है
जबकि पुलिस के बयान को भी मोदेनार इलाके के सभी ग्रामीण एक स्वर में खंडित करते
हैं |
|
भीमा मड़कम जिसे टीन गोली लगी ,जो निर्दोष ग्रामीण था |
पुलिस ने किया चार
को गिरफ्तार
ग्रामीणों के अनुसार पुलिस
ने कथित मुठभेड़ के एक दिन बाद 19 अप्रेल रविवार को दिन में चार लोगों की गिरफ्तार
कर ले गई है | एक सादे कागज़ पर पुलिस ने लिखकर ग्रामीणों के अंगूठा लगवा लिए कागज़
में एक हस्ताक्षर सरपंच पुत्र के भी हैं | पुलिस ने ग्रामीणों को नक्सली मामले में
गिरफ्तार किया जाना बताया है | पर किस नक्सली मामले में इसकी जानकारी नहीं दी जबकि
मोदेनार के गोपनीय सैनिक का बयान ग्रामीणों के अनुसार
वे सभी गाँव के किसान है | उनका नक्सलियों से कोई लेना देना नहीं है |
No comments:
Post a Comment