मीना खालको की हत्या की जाँच सरकार ने उन्हें ही सौंप दी जो हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।
अनीता झ जाँच आयोग ने जब अपनी जाँच में स्पष्ट लिखा है की मीना खालको की हत्या पुलिस की गोली से हुई है और वो माओवादी भी नहीं थी और न ही कोई मुठभेड़ हुई है तो फिर उसकी जाँच सीआईडी से करने का मतलब यही है की सरकार पुलिस कर्मियों को बचाना चाहती हैं , ये वाही सीआईडी है जइसन ेपहले जाँच की थी और मीना के परिवार वालो से कोरे कागज पे हस्तक्षर करवा लिए थे ताकि मामले को रफादफा कर दिया जाये ,इसी सीआईडी ने पाया था की मीना के साथ पुलिस कर्मियों ने बलात्कार किया है ,और इनकी सोफरिश पे पुरे थाने की लोगो को लाइन अटेच कर सिया गया ,बाद में इनकी मिली भगत से फोरेंसिक जाँच में मीना के कपडे और जरुरी वस्तुए ही नहीं भेजी गई ,जिशे कारण फोरेंसिक जाँच पूरी नहीं हो पाई ,और उन कर्मियों को दुबारा थाने में बहाल किया गया।
अब सीआईडी की जाँच के बहाने प्रकरण को लम्बा खिंचा जायेगा ,ताकि मुजरिम झूट जायें ,होगा यही जो ज्यादातर जाँच और मुकदमो में होता है की कोर्ट ये तो मानता है की बेगुनाह पीड़िता को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर बता के मर डाला लेकिन ,,,लेकिन उस एनकाउंटर में कोण कोण पुलिस के लोग शामिल थे ये साबित नहीं हो पाया ,अत ; सब आरोपी संशय के आधार पर आरोप साबित न होने के कारण रिहा किया जाते हैं। ऐसा ही होता रहा है और ऐसा ही होगा।
मीना खालको की हत्या के आरोप में जो भी लोग उस दिन ठाणे में थे उनके खिालाफ हत्या और बलात्कार का एफआईआर दर्ज़ की जनि चाहिए वो भी तुरंत , उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए वो भी तुरंत ,
मीना खलको |
अनीता झ जाँच आयोग ने जब अपनी जाँच में स्पष्ट लिखा है की मीना खालको की हत्या पुलिस की गोली से हुई है और वो माओवादी भी नहीं थी और न ही कोई मुठभेड़ हुई है तो फिर उसकी जाँच सीआईडी से करने का मतलब यही है की सरकार पुलिस कर्मियों को बचाना चाहती हैं , ये वाही सीआईडी है जइसन ेपहले जाँच की थी और मीना के परिवार वालो से कोरे कागज पे हस्तक्षर करवा लिए थे ताकि मामले को रफादफा कर दिया जाये ,इसी सीआईडी ने पाया था की मीना के साथ पुलिस कर्मियों ने बलात्कार किया है ,और इनकी सोफरिश पे पुरे थाने की लोगो को लाइन अटेच कर सिया गया ,बाद में इनकी मिली भगत से फोरेंसिक जाँच में मीना के कपडे और जरुरी वस्तुए ही नहीं भेजी गई ,जिशे कारण फोरेंसिक जाँच पूरी नहीं हो पाई ,और उन कर्मियों को दुबारा थाने में बहाल किया गया।
अब सीआईडी की जाँच के बहाने प्रकरण को लम्बा खिंचा जायेगा ,ताकि मुजरिम झूट जायें ,होगा यही जो ज्यादातर जाँच और मुकदमो में होता है की कोर्ट ये तो मानता है की बेगुनाह पीड़िता को पुलिस ने फर्जी एनकाउंटर बता के मर डाला लेकिन ,,,लेकिन उस एनकाउंटर में कोण कोण पुलिस के लोग शामिल थे ये साबित नहीं हो पाया ,अत ; सब आरोपी संशय के आधार पर आरोप साबित न होने के कारण रिहा किया जाते हैं। ऐसा ही होता रहा है और ऐसा ही होगा।
मीना खालको की हत्या के आरोप में जो भी लोग उस दिन ठाणे में थे उनके खिालाफ हत्या और बलात्कार का एफआईआर दर्ज़ की जनि चाहिए वो भी तुरंत , उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए वो भी तुरंत ,
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