कैदियों की फरियाद पहुंचेगी पीएम और राष्ट्रपति तक
Posted:2015-04-23 00:20:30 IST Updated: 2015-04-23 00:20:30 IST
अनुसूचित जाति आयोग ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के जरिए मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने की पहल की बात की।
रायपुर. प्रदेश के तीन जेलों में बरसों से सजा काट रहे एससी वर्ग के कैदियों की रिहाई के लिए अनुसूचित जाति आयोग पहल करेगा। रायपुर सेंट्रल जेल में बुधवार को कैदियों की सुनवाई के दौरान जेल की अव्यवस्था पर नाराजगी जताते हुए आयोग के सदस्य राजू परमार ने कैदियों को न्याय दिलाने के लिए पहल करने का आश्वासन दिया। आयोग ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के जरिए मामले को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने की पहल की बात की। उन्होंने जेल प्रशासन से इन कैदियों की सूची जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के लिए कहा है।
बेलफेयर सोसाइटी की पहल
कैदियों और उसके परिवार की सुध लेने के लिए जिला और प्रदेश स्तर पर वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया जायेगा। इसके लिए वह केंद्रीय समाज कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखकर पहल करेंगे। अजा आयोग के राष्ट्रीय सदस्य ने बताया कि परिवार के एक सदस्य के जेल जाने के बाद उसके घर वालों को भी सजा भुगतनी पड़ती है। जेल जाने से परिवार बिखर जाता है और इसका असर पूरे परिवार पर पड़ता है।
टेलीफोन सुविधा
कै दियों के लिए जेल के भीतर एसटीडी टेलीफोन सुविधा उपलब्ध कराने पर नाराजगी जताई। निरीक्षण के दौरान कैदियों ने उन्हे बताया कि उन्हे इतनी जानकारी भी नहीं मिल पाती की वह किस हाल में है। इसमें से कई लोंगे के परिवार तक के लोंगो का पता तक नहीं है। उन्हे तलाश करने के लिए जेल प्रशासन को पहल करने कहा।
मजदूरी में हेराफेरी
कैदियों ने बताया कि उन्हे मजदूरी के रुप में 25 रुपए मिलते है, लेकिन रिहाई पर उन्हे मात्र 12.50 पैसे ही दिया जाता है। शिकायत पर जेल एआईजी केके गुप्ता ने मामले की जांच कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि अब उन्हे मजदूरी के रुप में� 75 रुपए दिये जाने का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा गया है।
रिहाई की पहल
सीआरपीसी के तहत आजीवन सजा को 14 से 20 वर्ष मानी गई है। इतनी अवधि तक सजा काटने के बाद भी उनकी रिहाई नहीं होने पर आयोग पहल करेगा। जेल प्रशासन से सूची मिलने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के माध्यम से उनकी रिहाई के लिए प्रयास किया जायेगा। गौरतलब है कि कुछ माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन सजा का निर्धारित करते हुए मुरूगन नामक एक अपराधी की रिहाई का आदेश जारी किया था। गौरतलब है कि जेल में इस समय दर्जनों बंदियों को दुव्र्यवहार की शिकायत कैदियों को कोर्ट में पेश नहीं करने और बिना ट्रायल महीनों जेल में रखने और दुव्र्यवहार करने की शिकायत पर आयोग सदस्य ने जेल प्रशासन पर नाराजगी जताई। उन्होंने इस दोयम दर्जे का व्यवहार करने की दोबारा शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी। निरीक्षण के दौरान जेल में क्षमता से अधिक कैदियों को आपत्ती दर्ज करते हुए व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया।गौरतलब है कि 1990 की क्षमता वाले जेल में 2900 से अधिक कैदियों को रखा गया है। इसमें 500 से अधिक अजा वर्ग के कैदी है।
No comments:
Post a Comment